कांग्रेस द्वारा बिहार चुनाव के पहले चरण के लिए जो टिकट बांटे गए हैं, उन पर पार्टी के भीतर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। अब पार्टी ने इस पर कार्रवाई करते हुए प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा, वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह और चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह को चुनाव चयन समिति से ही बाहर कर दिया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने सख्त कार्रवाई करते हुए इन नेताओं को बिहार चुनाव की सभी 6 कमेटियों में भी जगह नहीं दी है।

वहीं पार्टी ने उम्मीदवारों को चयन पर सवाल उठाने वाले दोनों पूर्व प्रदेश अध्यक्षों चंदन बागची और अनिल शर्मा को कमेटी में शामिल किया है। कांग्रेस इलेक्शन कमेटी की बैठक अब 14 अक्टूबर को होगी। बता दें कि बिहार चुनाव के पहले चरण के लिए पार्टी उम्मीदवारों के चयन पर कुछ नेताओं ने नाराजगी जाहिर की थी और इसकी शिकायत आलाकमान से की थी। शिकायत में कहा गया कि कई नेताओं के आखिरी वक्त पर टिकट काटे गए।

वहीं कुछ दागी उम्मीदवारों को टिकट दिए गए। एक नेता पर तो अपने परिजनों को टिकट दिलाने के लिए पार्टी के वफादार नेताओं के टिकट काटने के भी आरोप लगे हैं।

वहीं भाजपा ने भी अपने बागी नेताओं पर सख्त रुख अपना लिया है। इसी के चलते पार्टी ने अपने 9 नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल होने के लिए 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। दरअसल ये नेता टिकट नहीं मिलने से नाराज हैं और इन्होंने पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। जिन नेताओं को भाजपा ने निष्कासित किया है उनमें राजेन्द्र सिंह, रामेश्वर चौरसिया, रवींद्र यादव, डॉ. उषा विद्यार्थी, श्वेता सिंह, इन्दु कश्यप, अनिल कुमार, मृणाल शेखर और अजय प्रताप शामिल हैं।

पार्टी की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि ‘आप लोग राजग के प्रत्याशी के विरुद्ध चुनाव लड़ रहे हैं। इससे राजग के साथ-साथ पार्टी की छवि भी धूमिल हो रही है। आप लोगों को दल विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया जाता है।’