लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सियासी सरगर्मी पूरे चरम पर है और पक्ष-विपक्ष एक दूसरे की नीतियों की आलोचना करने से लेकर उनके प्लान जनता के बीच ले जा रहे हैं। चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है। इस बार भी मध्य प्रदेश की एक एक सीट बीजेपी-कांग्रेस दोनों के लिए ही अहम होने वाली है, इसमें से एक सीट बैतूल भी है, जहां से बीजेपी लगातार जीतने ही लगी है।

बैतूल लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी

बैतूल लोकसभा चुनाव 2024 की बात करें तो बीजेपी इस सीट से लगातार लंबे वक्त तक जीतती रही है। पिछले चुनावों के दौरान बीजेपी ने इस सीट पर दुर्गा दास उइके को उतारा था औऱ कांग्रेस ने रामू टेकाम को टिकट दिया था। बीजेपी ने इस सीट पर दुर्गादास उइके को प्रत्याशी बनाया है। दूसरी ओर कांग्रेस ने राम टेकाम को टिकट दिया है।

2024 लोकसभा चुनावों के प्रत्याशी
पार्टीप्रत्याशी
1बीजेपी दुर्गा दास उइके
2कांग्रेस रामू टेकाम

2019 लोकसभा चुनाव 2019 नतीजे

2019 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो बीजेपी के प्रत्याशी दुर्गा दास उइके ने जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के रामू टेकराम दूसरे और बसपा के अशोक भलावी तीसरे नंबर पर रहे थे।

2019 लोकसभा चुनाव
पार्टीप्रत्याशीवोटनतीजे
1बीजेपी दुर्गा दास उइके8,11,248जीत
2कांग्रेस राम टेकाम4,51,007
3बसपा अशोक भलावी23,573

2014 लोकसभा चुनाव नतीजे

2014 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो बीजेपी ने यहां ज्योति धुर्वे को उतारकर जीत हासिल की थी और दूसरे नंबर पर कांग्रेस नेता अजय शाह मकराय दूसरे नंबर पर थे। तीसरे नंबर पर आप प्रत्याशी राजेस सरियाम तीसरे नंबर पर थे।

2014 लोकसभा चुनाव
पार्टीप्रत्याशीवोटनतीजे
1बीजेपी ज्योति धुर्वे6,43,651जीत
2कांग्रेस अजयर मकराय3,15,037
3आप राजेश सरियाम16,461

2009 लोकसभा चुनाव नतीजे

2009 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो इसमें भी बीजेपी की ही जीत हुई थी। ज्योति धुर्वे को उतारकर बीजेपी ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस के ओझाराम इवने दूसरे और बसपा के राम काकेड़िया तीसरे नंबर पर थे।

2009 लोकसभा चुनाव
पार्टीप्रत्याशीवोटनतीजे
1बीजेपी ज्योति धुर्वे3,94,939जीत
2कांग्रेस ओझराम इवने2,37,422
3बसपा राम काकोड़िया13,586

क्या हैं जातिगत समीकरण

बैतूल लोकसभा सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है। जातिगत समीकरणों के लिहाज से बात करें तो यहां इस सीट पर एससी एसटी वर्ग के मतदाता ही निर्णायक भूमिका में नजर आते हैं। बैतूल सीट पर एससी एसटी के बाद ओबीसी और सामान्य वर्ग प्रभावी होता है, जबकि अल्पसंख्यक वोटर्स भी यहां अहम है जो कि फैसले को पलटने में भी निर्णायक साबित हो सकते हैं।