मंगलवार को विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा में देरी को लेकर कई तरह की बातें उठ रही थीं। ईवीएम से मतदान के बावजूद वोटों की गिनती प्रक्रिया में देरी चर्चा का विषय रही। लेकिन, जानकारी के मुताबिक नतीजों की घोषणा में देरी की असल वजह चुनाव आयोग कि काउंटिंग से संबंधित प्रक्रियाओं का पालन करना था। आधी रात तक चुनाव आयोग ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर मध्य प्रदेश की 230 सीटों में से 170 के नतीजे घोषित किए। इनमें कांग्रेस को 84 और बीजेपी को 82 सीट मिले थे। वहीं, इस दौरान छत्तीसगढ़ को छोड़ राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में परिणाम घोषित कर दिए गए थे।

मध्य प्रदेश के संदर्भ में हो रही देरी पर चुनाव आयोग के सूत्रों ने कुछ बड़े कारण बताए। उनके मुताबिक बैलेट बॉक्स के जरिए ज्यादा मतों का पड़ना, ईवीएम में पड़े मतों का वीवीपैट की पर्ची के साथ टैली करना और दो बड़े दलों के बीच वोट मार्जिन का बेहद कम होने से परिणाम घोषित करने में देरी हुई। दरअसल, वोट का मार्जिन कम होने से आयोग ने गिनती में काफी सतर्कता बरती। पिछले साल से लागू इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम (ETPBS) के तहत काफी संख्या में वोटरों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। ETPBS के तहत इस सुविधा का इस्तेमाल सेना और दूसरे सुरक्षा क्षेत्र में तैनात लोगों ने किया। क्योंकि, ये लोग अपने विधानसभा क्षेत्र से बाहर होते हैं। नई तकनीक के तहत इनका वोट संबंधित रिटर्निंग अधिकारी के पास मेल के जरिए पहुंचता है।

गौरतलब है कि जब तक पोस्टल बैलेट की गिनती संपन्न नहीं हो जाती। तब तक ईवीएम की गिनती शुरू नहीं होती है। ऐसे में मध्य प्रदेश में पोस्टल बैलेट के जरिए भारी संख्या में पड़े मतदान की वजह से काफी देरी हुई।