असम की बराक घाटी में बांग्लादेश की सीमा से लगे दो लोकसभा क्षेत्रों – सिलचर (सुरक्षित) और करीमगंज से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों की ओर से उठाए गए प्रमुख मुद्दों में नागरिकता, बेरोजगारी, खराब बुनियादी ढांचा और देश के बाकी हिस्सों के साथ उचित संपर्क की कमी शामिल हैं। बराक घाटी की दो लोकसभा सीट पर बत्तीस उम्मीदवार मैदान में हैं, जहां आम चुनाव के दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा।

घाटी में स्थित इन दो सीट पर भाजपा ने पहली बार 1991 और फिर 1996 में जीत हासिल की थी, जब पार्टी के पास राज्य में व्यावहारिक रूप से कोई संगठनात्मक आधार नहीं था। सिलचर में, मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार और असम के मंत्री परिमल शुक्लाबैद्य, कांग्रेस के सूर्यकांत सरकार और तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार एवं पड़ोसी करीमगंज से एआइयूडीएफ के पूर्व सांसद राधेश्याम विश्वास के बीच होने की संभावना है।

करीमगंज में भाजपा के मौजूदा सांसद कृपानाथ मल्ला, कांग्रेस उम्मीदवार हाफिज अहमद राशिद चौधरी और आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआइयूडीएफ) के सहाबुल इस्लाम चौधरी के बीच कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है। बांग्लादेश के साथ 129 किलोमीटर लंबी सीमा वाले दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में, नागरिकता एक प्रमुख मुद्दा है, क्योंकि पड़ोसी देश से विस्थापित हिंदू बंगालियों की एक बड़ी आबादी है, जो समय के साथ घाटी में आकर बस गए हैं।

भाजपा के सिलचर उम्मीदवार परिमल शुक्लाबैद्य ने कहा कि नागरिकता की समस्या विभाजन के कारण पैदा हुई और 70 साल तक किसी भी राजनीतिक दल ने इसे हल करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि वह भाजपा ही थी जिसने एक कानून बनाया जिससे पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से बराक घाटी आए लोगों को मदद मिलेगी।

भाजपा नेता ने कहा कि यह सच है कि कुछ लोगों को आनलाइन आवेदन करना मुश्किल हो रहा है और दस्तावेज जमा करने से संबंधित मुद्दे हैं, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को मामले से अवगत कराया गया है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि आचार संहिता हटने के बाद प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा।वहीं, कांग्रेस के सूर्यकांत सरकार ने बताया कि बराक घाटी के अधिकांश लोग शुरू में सीएए के पक्ष में थे क्योंकि विस्थापित लोगों का मानना था कि इससे उन्हें मदद मिलेगी क्योंकि नागरिकता के साथ उन्हें किसी अन्य दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी।

सरकार ने आरोप लगाया कि सीएए में नियम अब एक जाल की तरह हैं क्योंकि जो कोई भी सीधे नागरिकता के लिए आवेदन करता है, वह बांग्लादेशी के रूप में स्थापित होता है और अब तक बराक घाटी में केवल एक व्यक्ति ने आवेदन किया है और यदि कानून इतना अच्छा है जैसा कि भाजपा का दावा है, तो लोग इसके तहत आवेदन क्यों नहीं कर रहे हैं। लोगों को एहसास हो गया है कि उनके साथ धोखा हुआ है।

शेष असम और देश के साथ संपर्क भी घाटी में एक प्रमुख मुद्दा रहा है और दोनों निर्वाचन क्षेत्रों के भाजपा उम्मीदवारों का दावा है कि ‘ईस्ट-वेस्ट कारिडोर’ के लगभग पूरा होने के साथ इसका लगभग समाधान हो गया है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में वादा किया था कि इसे जल्द ही पूरा किया जाएगा, लेकिन 10 साल बाद भी प्रगति ‘असंतोषजनक’ है और वर्तमान स्थिति के अनुसार, इसे पूरा होने में पांच से छह साल और लगेंगे। तृणमूल कांग्रेस सिलचर के उम्मीदवार राधेश्याम विश्वास ने कहा कि हमें राज्य की राजधानी तक पहुंचने के लिए मेघालय से होकर जाना पड़ता है और सड़क की हालत दयनीय है।