राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके अशोक गहलोत किसी परिचय के मोहताज नही हैं। कभी छात्रसंघ चुनाव हार चुके गहलोत ने मेहनत और लगन से केंद्रीय मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री जैसे तमाम बड़े पदों तक का सफर तय किया है। ब्राह्मण, क्षत्रिय और जाटों की प्रभाव वाली राजस्थान की राजनीति में 1998 में पहली बार माली समाज से ताल्लुक रखने वाले अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने। जिनका खानदानी पेशा ‘जादूगरी’ का था। जोधपुर के महमंदिर क्षेत्र में गहलोत का पुश्तैनी घर है। यह महमंदिर क्षेत्र सरदारपुरा विधानसभा में आता है जहां से गहलोत विधायक है।अशोक गहलोत के परिवार में उनकी पत्नी सुनीता गहलोत के अलावा एक बेटा वैभव और एक बेटी सोनिया है।
जोधपुर से बने सांसद- राजस्थान के दिग्गज नेता अशोक गहलोत का जन्म 3 मई 1951 को हुआ था। गहलोत ने विज्ञान और कानून में स्नातक और अर्थशास्त्र विषय से स्नाकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहने वाले गहलोत 7वीं लोकसभा के लिए 1980 में जोधपुर संसदीय सीट से निर्वाचित हुए।
केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री- इसके बाद उन्होंने इसी सीट से 8वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं लोकसभा का चुनाव भी जीता। इस दौरान गहलोत कांग्रेस की केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे। अशोक गहलोत 2 बार राजस्थान के मुख्यमंत्री के तौर पर भी कार्य कर चुके है। पहली बार 1 दिसंबर 1998 को मुख्यमंत्री बने तो वहीं दूसरी बार 2008 में।
बिजनेस में नहीं सफलता- कॉलेज से निकलने के बाद रोजगार के लिए अशोक गहलोत ने 1972 में बिजनेस में भी हाथ आजमाया। जोधपुर से पचास किलोमीटर दूर पीपाड़ कस्बे में खाद-बीज की दुकान खोली लेकिन यहां सफलता हाथ नहीं लगी। जिसकारण डेढ़ साल में ही कारोबार बंद कर जोधपुर लौटना पड़ा। इसके बाद 1971 में गहलोत ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के वक्त गांधीवादी सुब्बाराव के शिविरों में सेवा भी की थी। फिर उसके बाद उन्होने वर्धा में गांधी सेवा ग्राम में 21 दिन की ट्रेनिंग ली, शायद इसीलिए सादगी गहलोत की जिंदगी का हिस्सा बन गई।
पहले चुनाव में मिली हार- पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान अशोक गहलोत की चुनावी शुरुआत छात्रसंघ चुनाव में दोस्त के हाथ मिली हार के साथ हुई। गहलोत जब एनएसयूआई में सियासत की पहली सीढ़ी चढ़ रहे थे तभी कांग्रेस इमरजेंसी के बाद विभाजन के संकट से जूझ रही थी, तब 1977 में गहलोत ने टिकट की पेशकश को स्वीकार कर लिया।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सबसे युवा अध्यक्ष बने- 1980 में एक बार फिर बड़े नेताओं के पीछे हटने से जोधपुर से गहलोत को टिकट मिला और देश के सबसे युवा सांसद के रूप में चुन कर आये। कहा जाता है कि अशोक गहलोत से इंदिरा गांधी इतनी प्रभावित हुईं कि 1982 में उन्हें कैबिनेट में उपमंत्री बना दिया। इसके बाद 1984 में गहलोत राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सबसे युवा अध्यक्ष बना गए थे।
विवाद- राजनीति में रहते हुए अशोक गहलोत कई बार विवादों में भी आये। वर्ष 2017 में, वह विवादों में तब आए जब उनका नाम पैराडाइज पेपर घोटाले में आया, जिसकी जाँच अंतर्राष्ट्रीय कंसोर्टियम द्वारा की जा रही थी। हालांकि, उन्हें बाद में आरोपों से मुक्त कर दिया गया, क्योंकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिल पाया था। इसके बाद वर्ष 2011 में उनके परिवार के सदस्यों की वित्तीय संबंध रखने वाली फर्मों को कथित रूप से 11000 करोड़ रूपये की संपत्ति और अनुबंध होने के कारण गहलोत को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।
सराहनीय कार्य- अशोक गहलोत ने कई महत्वपूर्ण कार्य भी किये। मुख्यमंत्री रहते हुए गहलोत ने पानी बचाओ, बिजली बचाओ, सबको पढ़ाओ का नारा देकर आम लोगों को जागरूक किया। इसके अलावा वे भारत सेवा संस्थान, के संस्थापक भी है। यह संस्था गरीबों को मुफ्त किताबें और एम्बुलेंस की सुविधा मुहैया कराती है। वर्तमान में अशोक गहलोत अपनी परंपरागत सीट सरदारपुरा से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे है। उनका मुकाबला भाजपा के शंभू सिंह खेतासर से है। गहलोत पार्टी में राज्य के संभावित मुख्यमंत्री के तौर पर भी देखे जा रहे है।
