लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, कई तरह के विवाद भी सिर उठा रहे हैं। बात चाहे इलेक्टोरल बॉन्ड की हो या फिर शराब घोटाले की, हर मामला चर्चा में है और उस पर जमकर सियासत हो रही है। अब इन्हीं सब मामलों पर गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से दो टूक जवाब दिए गए हैं। हाल ही में उन्होंने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव को दिए एक इंटरव्यू में कई मुद्दों पर विस्तार से बात की है।
इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर हाल ही में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा था। अब उसी मामले पर अमित शाह ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरा सम्मान करते हैं। लेकिन उन्हें आशंका है कि इसके बैन होने के बाद फिर चुनावों में काले धन की वापसी हो सकती है। वे ये भी मानते हैं कि चुनाव में भ्रष्टाचार खत्म करने का एक अहम कदम इलेक्टोरल बॉन्ड था और उसे उसी उदेश्य के साथ लाया भी गया था।
इस समय कौन सी पार्टी को कितना चंदा मिला, इसे लेकर भी डिबेट है। इस पर भी गृह मंत्री ने सफाई देने का काम किया। उनके मुताबिक जिस पार्टी के जितने सांसद और जितने कार्यकर्ता, उस लिहाज से ये देखा जाना चाहिए कि उसे कितना चंदा मिला है। इसी लॉजिक के साथ उन्होंने कहां कि अगर बीजेडी इतनी बड़ी पार्टी होती तो उसे अभी 700 करोड़ नहीं 40 हजार करोड़ का चंदा मिला होता। इसी तरह उन्होंने कांग्रेस और दूसरे दलों का हिसाब देने का प्रयास भी किया।
अब इसके बाद गृह मंत्री ने नागरिकता संशोधन कानून पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने जोर देकर बोला कि ये बोलना कि चुनाव से ठीक पहले ये लेकर आ गए, ये गलत है। 2019 में ये पारित हुआ था। बार-बार कहा गया था कि सदन से ये पारित हो चुका है। फिर सस्पेंस कहा बचा था, पांच साल पहले कानून पारित हुआ था, अब नियम बनाए गए हैं। एनआरसी को लेकर शाह ने अभी स्थिति स्पष्ट नहीं की है, सिर्फ इतना कहना रहा है कि चुनाव के बाद देखा जाएगा।
वैसे इंटरव्यू में एक वक्त ऐसा भी आया जब शाह से शराब घोटाले को लेकर और अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी वाली तलवार पर सवाल पूछा गया। इस पर वे कुछ भी सीधा बोलने से बचे और इसे ईडी की एक कार्रवाई बताया। ये अलग बात है कि उन्होंने सीएए पर केजरीवाल के बयान पर उन्हें आड़े हाथों लिया। यहां तक कह दिया गया कि बिना जानकारी के बयान देने में केजरीवाल माहिर हैं।