मतभेदों को दरकिनार करते हुए भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना ने सीट बंटवारे की घोषणा कर दी। यह समझौता महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव और 2019 लोकसभा चुनाव के लिए किया गया है। चुनाव से पहले गठबंधन को अंतिम रूप भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बीच 18 फरवरी को मुंबई के ‘मातोश्री’ में हुई बैठक में दिया गया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीट बंटवारे का ऐलान करते हुए तीनों ने कहा कि पुलवामा आतंकी हमले, साझा हिंदुत्व विचारधारा और ”राष्ट्रहित” को ध्यान में रखते हुए उन्होंने मतभेद किनारे कर दिए हैं।
फडणवीस ने लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे का ऐलान किया। 2014 के मुकाबले शिवसेना को एक सीट ज्यादा दी गई है। विधानसभा की 288 सीटों में छोटे सहयोगियों की सीटें निकालने के बाद बची हुई सीटों को दोनों पार्टियां बराबर बांट लेंगी। लोकसभा चुनाव में भाजपा 25 और शिवसेना 23 सीटों पर लड़ेगी जबकि इसी साल होने वालो विधानसभा चुनाव में दोनों बराबर सीटों पर ताल ठोकेंगे।
बीजेपी-शिवसेना के बीच इन शर्तों पर हुआ समझौता
दोनों पार्टियों के बीच मध्यस्थता करने वालों ने कहा कि भाजपा ने ऐसा कोई वादा नहीं किया है कि शिवसेना मुख्यमंत्री का चुनाव करेगी। हालांकि यह जरूर कहा गया है कि शिवसेना को डिप्टी सीएम का पद मिलेगा। सभी बड़े मंत्रालय भाजपा और शिवसेना के बीच बराबर बांटे जाएंगे। शिवसेना इस बात पर भी बीजेपी को मनाने में सफल रही कि एशिया की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी को रत्नागिरि के नानर में लगाया जाए। इसके अलावा कर्ज माफी का दायरा बढ़ाने पर भी सहमति बनी।
ठाकरे को धन्यवाद देते हुए अमित शाह ने कहा, “भाजपा-सेना का गठबंधन दिल से है। कुछ गलतफहमियां और चिंताएं थीं जिन्हें राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए सुलझा लिया गया है। शिवसेना और अकाली दल हमारे सबसे पुराने सहयोगियों में से हैं और वह अच्छे-बुरे समय में भाजपा संग खड़े रहे हैं। हम उनके सहयोग का मान करते हैं।”
पिछले कुछ वर्षों में भाजपा पर शिवसेना के तीखे हमलों के संदर्भ में उद्धव ने कहा, “मुझे पता है कि बीजेपी सरकार की आलोचना के बावजूद चुनाव पूर्व गठबंधन पर लोग मेरा मजाक उड़ाएंगे। लेकिन हमारी आलोचना लोगों के लिए अच्छी है… सरकारें आती-जाती रहती हैं।”

