अमेठी से कांग्रेस ने बड़ा खेल कर दिया, कई सालों बाद गांधी परिवार का कोई भी सदस्य यहां से चुनावी मैदान में नहीं खड़ा है। कांग्रेस ने अमेठी से इस बार के एल शर्मा को अपना प्रत्याशी बना दिया है। शर्मा का प्रत्याशी बनना अमेठी की जनता के लिए भी किसी झटके से कम नहीं। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि जमीन पर जाकर जब हमने अमेठी की जनता से बात की थी, किसी के भी जहन में के एल शर्मा का नाम तक नहीं था। सभी को उम्मीद थी कि राहुल गांधी ही उम्मीदवार बनने जा रहे हैं।

गौरीगंज पूरी तरह कर रहा था राहुल का समर्थन

अमेठी का गौरीगंज इलाका पूरी तरह राहुल गांधी के पक्ष में खड़ा दिख रहा था। अमेठी की धरती पर कदम रखते ही हमने जैसे ही सुबह-सुबह एक सब्जी मंडी का रुख किया, हर किसी ने वहां एक सुर में राहुल की दावेदारी को सबसे मजबूत बता दिया। प्याज बेचने वाले एक शख्स ने कहा कि स्मृति ईरानी ने तो यहां कोई काम नहीं किया है, दिखता ही नहीं है। हां अगर राहुल गांधी यहां से लड़ेंगे तो वे जीत जाएंगे। एक दूसरे सब्जी वाले ने उसी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला कि अमेठी की जनता तो राहुल गांधी के लिए बेचैन है, पूरे गांधी परिवार को देखने के लिए बेचैन है।

हमने सामने से सवाल भी कर दिया कि आपने 2019 में राहुल को यहां से हरवा दिया था, लेकिन ना वो शख्स अपनी बात पर कायम रहा। उसने कहा कि अगर इस बार राहुल गांधी लड़ेंगे तो जरूर जीत जाएंगे। गांधी परिवार के प्रति यहां पर जबरदस्त आस्था है। स्मृति पर निशाना साधते हुए उस शख्स ने ये भी कहा कि महंगाई बहुत ज्यादा बढ़ गई है, गैस के दाम आसमान छू रहे हैं। मोदी सरकार ने कुछ नहीं किया, यहां तो बस राहुल ही सबकुछ हैं।

अमेठी ग्राउंड रिपोर्ट यहां देखिए

थोड़ा और आगे चले तो एक सड़क चलते आदमी ने हमे रोका और बोला कि भाई साहब मानकर चलो यहां से राहुल गांधी प्रचंड जीत दर्ज करने वाले हैं। स्मृति ईरानी चुनाव के समय यहां दिखी जरूर हैं, उन्होंने अपना एक घर भी बनाया है, लेकिन जितना विकास होना चाहिए था, वो नहीं हुआ है। अगर अब राहुल आएंगे तो उन्हें ही समर्थन देंगे। सब्जी की भारी बोरी ढोए एक दूसरे शख्स ने और विश्वास के साथ ऐलान कर दिया कि राहुल पांच लाख वोटों से जीतने वाले हैं। यहां कोई मुद्दा नहीं है, बस राहुल की वापसी तय है।

स्मृति का समर्थन जामो में ज्यादा

अब इन लोगों की बात सुन क्या कांग्रेस को राहुल गांधी को यहां से नहीं उतारना चाहिए था, जब अमेठी की जनता ही उन्हें फिर सराखों पर बैठाने को तैयार दिख रही थी, क्या कांग्रेस को अपने सबसे बड़े चेहरे पर दांव नहीं चलना चाहिए था? खैर हम अपनी राह पर आगे बढ़े और गौरीगंज की ही कुछ दूसरे इलाकों तक पहुंचे। वहां पर कुछ ऐसे लोग आखिरकार मिल ही गए जो स्मृति के प्रति समर्थन जता रहे थे। एक बूढ़े व्यक्ति ने हमसे कहा कि राहुल गांधी तो पिछले पांच सालों में एक बार भी ना आए। खुद को अमेठी का परिवार बताते हैं, लेकिन इससे होगा क्या, कम से कम स्मृति यहां आती तो हैं, जनता के बीच दिख तो जाती हैं। एक और उत्साहित आदमी ने बोला कि पांच लाख वोटों से स्मृति जीतेंगी, राहुल की जमानत ही जब्त हो जाएगी।

अब गौरीगंज की पड़ताल करने के बाद हम अमेठी के सबसे अहम इलाके जामो में पहुंचे। ये वहीं इलाका है जहां से जीतने के बाद ही अमेठी सीट अपने खाते में जाने की गारंटी मिलती है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी जामो में ही बीजेपी की बढ़त देखने को मिली थी, उस वजह से ही वो सीट पार्टी के खाते में गई। इस बार भी जामो में बीजेपी की बढ़त देखने को मिल रही है, यहां का व्यापारी वर्ग स्मृति ईरानी का समर्थन कर रहा है। कोई इस बात से खुश है कि स्मृति ने एम्स बनवा दिया है, कोई इस बात से तसल्ली ले रहा है कि सड़के पहले की तुलना में बेहतर बन गई हैं।

कांग्रेस ने अपने नेताओं की नहीं सुनी

जामो में कई लोगों ने ऐसा भी कहा कि राहुल एक हार के बाद ही इस क्षेत्र से नदारद हो गए, उन्होंने वायनाड को ज्यादा तवज्जो दी। जमीन पर ये वाला गुस्सा कई लोगों में दिखाई दिया, राहुल का अगर कोई समर्थन भी कर रहा था, ये शिकायत तो जगजाहिर दिखी। वैसे सबसे आखिर में जब हम कांग्रेस कार्यालय गए, वहां पर अमेठी वॉर्ड अध्यक्ष अवनीश तिवारी से बात की, वो काफी विश्वास में थे कि राहुल ही प्रत्याशी बनाए जाएंगे, उन्होंने ये भी कहा था कि गांधी परिवार का सदस्य ही अमेठी जीत सकता है। लेकिन अब लगता है कि कांग्रेस हाईकमान ने अपने अमेठी नेताओं की एक नहीं सुनी है और यहां से के एल शर्मा को उतारने का बड़ा रिस्क ले लिया है।