इलाहाबाद उस संसदीय सीट का नाम है जहां के मतदाता राजनीतिक तौर पर पूरी तरह से जागे हुए माने जाते हैं। इस सीट में पुराना शहर प्रयाग भी है और जमुना के उस पार का इलाका भी। जिसे बोल-चाल की भाषा में जमुना पार के तौर पर पहचाना जाता है। इसी जमुना पार के इलाके में ब्राह्मणों के वो 84 गांव हैं, जिनमें ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या तीन लाख से अधिक है।

मतदाताओं की ये वो बिरादरी है जो इस बार के लोकसभा के चुनाव में यह तय करेगी कि इस संसदीय सीट से कौन जीतेगा? वो जो खुद जमुना पार के चप्पे-चप्पे से वाकिफ है और जिसे इंडिया गठबंधन से अपना प्रत्याशी बनाया है। और दूसरा वो जिसे भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा है और शहर के मतदाता उन्हें बखूबी पहचानते हैं।

इंडिया गठबंधन ने इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से उज्ज्वल रमण सिंह को उतारा है। उज्ज्वल रमण सिंह समाजवादी पार्टी की सरकार में परिवहन मंत्री थे। उनके पिता कुंवर रेवती रमण सिंह आठ बार विधायक और 2004 व 2009 के लोकसभा चुनाव में लगातार दो बार इलाहाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद चुने गए। लगभग पांच दशकों से वे इलाहाबाद में राजनीतिक तौर पर सक्रिय हैं।

खास बात यह कि उनकी पकड़ जमुनापार के ब्राह्मण और भूमिहारों के गावों में खासी गहरी है। जमुनापार के परानीपुर, कुंवरपट्टी, मदरा, रयपुरा, सोरांव, दिघिया, बामपुर, भवानीपुर, चटकहना, समोगरा सहित ब्राह्मणों के 84 गावों और खाई, मुंडा, अंतहिया, बसही, मीरपुर, मवइया, अक्ता समेत भूमिहारों के दो दर्जन से अधिक गावों में कुंवर रेवती रमण सिंह की खासी दखल मनी जाती है।

वहीं, नीरज त्रिपाठी की राजनीतिक पहचान फिलहाल बिहार और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे स्वर्गीय केशरीनाथ त्रिपाठी के पुत्र के तौर पर अधिक है। इलाहाबाद हाई कोर्ट में बतौर वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर नीरज त्रिपाठी टिकट मिलने के पूर्व तक पहचाने जाते थे। राजनीति में पहली बार कदम रख रहे नीरज क्योंकि राजनीति में कभी सक्रिय नहीं रहे, इस वजह से उन्हें उज्जवल रमण सिंह के समक्ष कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है।

इलाहाबाद संसदीय सीट के मतदाताओं का मिजाज निराला है। इस सीट से कई दिग्गजों ने भी अपनी किस्मत आजमाई। यह सीट प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की कर्मभूमि रही। इसी सीट ने लालबहादुर शास्त्री को अपना नेता चुना। मुरली मनोहर जोशी लगातार तीन मर्तबा इलाहाबाद के सांसद रहे। सबसे अधिक सात बार यह सीट कांग्रेस के पास रही। वर्ष 2014 से यह सीट भाजपा के पास है।

इलाहाबाद संसदीय सीट पर मुकाबला कांटे का है। दो अधिवक्ता आमने-सामने हैं। इनमें से एक उज्जवल रमण सिंह राजनीति में अपने पांव पहले ही जमा चुके हैं, जबकि नीरज त्रिपाठी ने राजनीति में पदार्पण किया है। जमुना पार के लोग कहते हैं कि जिस तरफ इलाके के ब्राह्मणों की नजरें इनायत होंगी, उसकी चुनावी नैया पार हो जाएगी।

जबकि इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र का ब्राह्मण खामोश हैं। वो खामोशी से दोनों युवा प्रत्याशियों की हर राजनीतिक गतिविधि पर पैनी नजर रखे हुए हैं। चटकहना गांव के देवेश मिश्र कहते हैं, हमें विकास चाहिए। जिस प्रत्याशी में हम ये काबिलियत देखेंगे कि वो हमारे क्षेत्र का विकास कर सके, हम वोट उसी को देंगे।