उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को विवादित बयानों के लिए चुनाव आयोग से हिदायत मिल चुकी है। इसके बावजूद मंगलवार (9 अप्रैल) को उन्होंने एक नए विवाद को जन्म दे दिया। योगी के बयान पर चुनाव आयोग ने मेरठ जिला प्रशासन से बुधवार सुबह 11 बजे तक रिपोर्ट मांगी है। मेरठ में योगी ने कहा था कि हिंदुओं के पास भारतीय जनता पार्टी के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है। उन्होंने कहा, ”जिस तरह बसपा प्रमुख मायावती ने मुस्लिमों के लिए वोट मांगे हैं । मुस्लिमों से कहा है कि वे सिर्फ गठबंधन के लिए वोट करें और अपना वोट बंटने ना दें। अब हिंदुओं के पास भारतीय जनता पार्टी के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।” योगी आदित्यनाथ ने कहा, ”सपा-बसपा, रालोद और कांग्रेस को अगर अली पर विश्वास है, तो हमें बजरंगबली पर पूरा विश्वास है।” योगी के इसी बयान पर विवाद उठ खड़ा हुआ है।
योगी ने कहा, ”वे (सपा-बसपा-रालोद और कांग्रेस) मान चुके हैं कि बजरंगबली के अनुयायी उन्हें वोट नहीं देंगे।” मुख्यमंत्री ने कहा कि ये वे लोग हैं जो मुस्लिम लीग जैसे हरे वायरस के साथ मिलकर देश को बर्बाद करना चाहते हैं । अब समय आ गया है कि इस हरे वायरस को सदैव के लिए खत्म किया जाना चाहिए।
बता दें कि मायावती ने देवबंद में गठबंधन की संयुक्त रैली में कहा था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हर समुदाय के लोग रहते हैं। सहारनपुर, बरेली में मुसलमानों की आबादी काफी अधिक है। ”मैं उनसे कहना चाहती हूं कि वे कांग्रेस को वोट देकर अपना वोट बंटने ना दें। अपना वोट सपा-बसपा-रालोद गठबंधन को दें।”
योगी शुक्रवार (5 अप्रैल) को गाजियाबाद में ”मोदी जी की सेना” कहकर विवादों के घेरे में आ चुके हैं। इसके बाद चुनाव आयोग को उन्हें आगाह करना पडा कि वे भविष्य में अपने वक्तव्यों में सतर्कता बरतें। 66 पूर्व अधिकारियों ने चुनाव आयोग से योगी की भी शिकायत की थी। अपने पत्र में उन्होंने योगी द्वारा भारतीय सेना को ‘मोदी की सेना’ बताने का भी उदाहरण दिया था। नौकरशाहों ने कहा कि आयोग द्वारा इस तरह के बयानों को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत थी लेकिन इस मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को हल्की फटकार ही लगाई।