Lok Sabha Election 2019: नब्बे के दशक मे इटावासीट पर बसपा प्रमुख कांशीराम ने पहली दफा जीत हासिल कर हाथीनुमा ऐसी साइकिल दौड़ाई जिसकी सारे देश में ना केवल चर्चा हुई बल्कि दलित पिछड़ी राजनीति का एक बड़े प्रयोग का आधार भी कांशीराम की जीत बनी। बेशक उस समय कांशीराम और मुलायम के रिश्ते गठबंधन के खुलेतौर पर नहीं थे लेकिन अंदरूनी गठजोड़ ने कांशीराम की जीत का रास्ता जरूर आसान कर दिया था। इटावा संसदीय सीट से कांशीराम 1991 में पहली दफा सांसद बने थे। इटावा में कांशीराम के संस्मरण सुनाने वालों की कोई कमी नहीं है। यहां ये बता देना भी जरूरी होगा कि इटावा लोकसभा क्षेत्र आरक्षित सीट हुए बगैर ही वर्ष 1991 में हुए इटावा लोकसभा के उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी कांशीराम समेत कुल 48 प्रत्याशी मैदान में थे। चुनाव में कांशीराम को एक लाख 44 हजार 290 मत मिले और उनके समकक्ष भाजपा प्रत्याशी लाल सिंह वर्मा को 1 लाख 21 हजार 824 मत मिले थे। जबकि मुलायम सिंह यादव की जनता पार्टी से लड़े रामसिंह शाक्य को मात्र 82624 मत ही मिले थे। 1991 में कांशीराम की इटावा से जीत के दौरान मुलायम का कांशीराम के प्रति यह आदर अचानक उभर कर सामने आया था जिसमें मुलायम ने अपने खास की पराजय में कोई गुरेज नहीं किया था। इस हार के बाद रामसिंह शाक्य और मुलायम के बीच मनमुटाव भी हुआ।
मुलायम और कांशीराम की जो जुगलबंदी शुरू हुई इसका लाभ उत्तर प्रदेश में 1995 में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनने से मिला। अपने समाजवादी गढ़ से अखिलेश यादव ने युवा कमलेश कठेरिया पर भरोसा जताते हुए संसदीय चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है। राजनैतिक परिवार के युवा सदस्य कमलेश कठेरिया के परिवार के कई सदस्य राजनीति की पहली पायदान चढ़ने के बाद अहम पदों पर पहुंचे। 2014 के संसदीय चुनाव मे कलमेश कठेरिया के पिता प्रेमदास कठेरिया ने सपा उम्मीदवार के बतौर भाजपा उम्मीदवार अशोक दोहरे का मुकाबला किया था लेकिन मोदी लहर मे प्रेमदास कठेरिया 172946 मतों से हार गए थे। प्रेमदास खुद में भी 2009 इटावा संसदीय सीट से सांसद रह चुके हैं। कमलेश की मां श्रीमती विनेश दो दफा एशिया के पहले ब्लाक महेवा की ब्लाक प्रमुख रह चुकी हैं। अभी कलमेश की पत्नी पूजा जिला पंचायत की सदस्य भी हैं।
32 वर्षीय कमलेश कठेरिया इससे पहले 2017 विधानसभा चुनाव में इटावा की भरथना सीट से मैदान में उतरे थे। भाजपा प्रत्याशी सावित्री कठेरिया ने कड़े संघर्ष में 1968 वोट पराजित कर दिया था। इटावा के सनातन धर्म इंटर कालेज में लिपिक के पद पर कार्यरत कमलेश कठेरिया के पिता प्रेमदास कठेरिया 2009 में सांसद बनने से पहले इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं। प्रेमदास कठेरिया को मुलायम सिंह परिवार के विश्वसनीय लोगों में से एक माना जाता है ।
इटावा वही संसदीय सीट है जहां से बसपा सुप्रीमो कांशीराम पहली दफा विजयी हुए। उनकी जीत आज भी यहां पर बसपा कार्यकर्ताओं को स्मरण है। आज दोनों संगठनों के पदाधिकारियों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे गठबंधन उम्मीदवार को कांशीराम की तरह ही विजयी बनाए।
सुनील चित्तौड़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रभारी बसपा
यह गठबंधन बाबा साहब भीमराव जी के संविधान ,डॉ राममनोहर लोहिया की विचारधाराओं को बचाने, बहन मायावती, नेताजी और अखिलेश के सम्मान का गठबंधन है। दोनो दलों को एक हो कर गठबंधन उम्मीदवार को ऐतिहासिक जीत दिलाने का काम करने की जरूरत है ।
अभिषेक यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष, इटावा
चुनावी आकंड़े
41-इटावा संसदीय सीट (अनुसूचित जाति)
मतदान की तिथि – 29 अप्रैल
कुल मतदाता-1739459
पुरुष-945195
महिला-794166
थर्ड जेंडर /अन्य-98
मतदेय स्थल – 2049
मतदान केंद्र- 1474
इटावा लोकसभा में शामिल विधानसभा क्षेत्र
इटावा विधानसभा में 385492 मतदाता
भरथना सुरक्षित विधानसभा में 393729 मतदाता
दिबियापुर विधानसभा में 312722 मतदाता
औरैया सुरक्षित विधानसभा में 323038 मतदाता
सिकंदरा विधानसभा सीट पर 324478 मतदाता