दिल्ली सरकार में लंबे समय तक मंत्री रहे प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली के बाद दिल्ली की कांग्रेस सरकार में 15 साल मंत्री रहे डॉ. अशोक कुमार वालिया और कांग्रेस के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी समेत पार्टी के कई नेताओं के भाजपा में शामिल होने की चर्चा है। 23 अप्रैल को होने वाले दिल्ली नगर निगम चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में इस बड़े स्तर पर हुई बगावत से चुनावीसमीकरणों में भारी बदलाव होने के आसार हैं। पंजाब में कांग्रेस के चुनाव जीतने के बाद दिल्ली में बने माहौल से लगता था कि आम आदमी पार्टी (आप) मुख्य मुकाबले से बाहर हो रही थी, जैसा राजौरी गार्डन विधानसभा उप चुनाव के नतीजे आए थे। कांग्रेस नेताओं की बगावत ने भाजपा से अधिक आप को मजबूती दी है। बुधवार को निगम चुनावों के लिए घोषणा पत्र जारी करते हुए पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने दावा किया कि निगम चुनाव के बाद कांग्रेस का वजूद ही नहीं बचेगा। केजरीवाल के दावों में ज्यादा दम न होने पर भी इस सत्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि निगम चुनाव से पहले कांग्रेस को लगने वाले झटके उसके चुनाव जीतने के दावों को कमजोर कर रहे हैं।
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद लवली प्रदेश अध्यक्ष बने थे। तब कांग्रेस को 70 में से 8 सीटें मिली थीं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद दिल्ली में कांग्रेस के समर्थन से भाजपा सरकार बनाने के प्रयास हुए थे। तब लवली और हारुन युसूफ ही भाजपा के साथ जाने को तैयार नहीं थे। भाजपा की सरकार कांग्रेस के विधायकों के बजाए भाजपा नेतृत्व के फैसला न ले पाने के चलते नहीं बनी और फरवरी 2015 में फिर से विधानसभा चुनाव हुए। उस चुनाव में कांग्रेस ने लवली के प्रदेश अध्यक्ष रहते अजय माकन को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर दिया। चुनाव बाद उन्हें दिल्ली का अध्यक्ष बना दिया गया। लवली ने विधानसभा चुनाव न लड़ने की घोषणा करके पार्टी नेतृत्व की नाराजगी मोल ली। तब से ही लवली अपने नेतृत्व से टूटे और उन अजय माकन के खिलाफ हो गए, जिनके वह सबसे प्रिय थे। माकन, लवली और हारून की तिकड़ी दिल्ली कांग्रेस की राजनीति में प्रभावशाली मानी जी रही थी।
दीक्षित के वर्ष 2004 में लोकसभा चुनाव लड़ते ही माकन उनके विरोधी हो गए थे, हारून और लवली बाद तक सार्वजनिक रूप से उनका साथ निभाया। इस प्रकरण से दीक्षित काफी आहत हुर्इं। उनका कहना था कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि निगम के टिकट बंटवारे में पूर्व सांसदों और विधायकों से बात ही नहीं की गई। उन्हें किसी भी स्तर पर नहीं पूछा गया। पार्टी नेतृत्व को इस पर सोचना होगा कि दिल्ली के प्रभारी पीसी चाको और अजय माकन के काम का तरीका पार्टी के लिए ठीक नहीं है। बगावत करने वाले नेताओं की सूची तो रोज ही बढ़ रही है। लवली ने संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के कई नेताओं भाजपा में शामिल होने के दावे किए। उसमें सबसे पहला नाम डॉ. अशोक वालिया का है। लगातार दो दिन से प्रयास के बावजूद उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

