प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के लिए इस बार के चुनाव में 370 सीटों का लक्ष्य रखा है, वहीं एनडीए के लिए वे 400 पार की बात कर रहे हैं। चार चरणों का चुनाव भी हो चुका है, दावे होने भी शुरू हो चुके हैं, लेकिन कुछ आंकड़े ऐसे भी हैं जिन्हें डीकोड करना जरूरी हो जाता है।
ये नहीं भूलना चाहिए कि 2019 में जब बीजेपी ने फिर सत्ता में वापसी की थी, वो जीत उसकी 2014 वाली जीत से काफी बड़ी थी। उसका कारण ये था कि बीजेपी ने वोट शेयर बढ़ाया था, उसकी सीटों की टैली में सुधार हुआ था और उसने उन सीटों को भी अपने नाम किया था जो पहले कभी वो जीत नहीं पाती थी।
कहना चाहिए कि 2019 के चुनाव में बीजेपी ने अपना वोटर बेस बढ़ाने का काम किया था। 2014 तक जिन सीटों पर बीजेपी को कोई जानता भी नहीं था, वहां पर रणनीति के तहत प्रचार किया और फिर सबसे बड़े उलटफेर भी देखने को मिल गए। बीजेपी ने 2019 में कुछ ऐसी सीटें अपने नाम की थीं, जो पहले वो करने में कभी सफल नहीं रही। इसमें पश्चिम बंगाल, ओडिशा, त्रिपुरा, तेलंगाना जैसे राज्य शामिल है। हरियाणा की रोहतक सीट भी इसमें शामिल की जा सकती है।
पश्चिम बंगाल की ये सीटें बीजेपी पहली बार जीती
| सीट | विजेता | वोट |
| अलीपुरद्वार | जॉन बरला | 13,80,217 |
| बलूरघाट | सुकांता माजूमदार | 11,97,849 |
| बंगौन | शांतनु सरकार | 14,07,758 |
| बंकुरा | सुभास सरकार | 13,71,855 |
| बरकपुर | अर्जुन सिंह | 11,04,517 |
| बिश्नुपुर | खान सौमित्र | 14,20,648 |
| बर्दवान-दुर्ग | एस एस आहूवालिया | 14,33,007 |
| कूच बिहार</td> | निसिथ प्रमाणिक | 15,24,683 |
| दार्जिलिंग | राजू बिस्ता | 12,67,270 |
| हूगली | लॉकेट चटर्जी | 14,57,842 |
| झाड़ग्राम | कुनार हेब्राम | 14,06,214 |
| मालदा उत्तर | खगेन मुर्मू | 13,54,706 |
| मेदेनीपुर | दिलीप घोष | 14,09,815 |
| पुरुलिया | ज्योतिमे सिंह महतो | 13,55,236 |
| रायगंज | देबश्री चौधरी | 12,77,109 |
| रानाघाट | जगन्नाथ सरकार | 14,84,035 |
अब देखिए बंगाल की ये सारी वो सीटें हैं जहां पर पहली बार बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। बड़ी बात ये थी कि 2019 में अमित शाह का बंगाल पर खास फोकस था, पीएम मोदी ने खुद 17 रैलियां अकेले बंगाल में की थीं। ऐसे में उस मेहनत का परिणाम ही ये था कि बीजेपी ने बंगाल में दो सीटों से अपना आंकड़ा बढ़ाकर 18 सीटें कर लिया था। वैसे बंगाल के अलावा हरियाणा की भी कुछ ऐसी सीटें सामने आई हैं जहां पर 2019 के चुनाव में बीजेपी ने पहली बार जीत दर्ज की थी।
हरियाणा की ये सीटें बीजेपी पहली बार जीती
| सीट | विजेता | वोट |
| सिरसा | सुनीता दुग्गल | 13,69,486 |
| हिसार | ब्रिजेंद्र सिंह | 11,79,869 |
| रोहतक | अरविंद कुमार शर्मा | 12,20,571 |
हरियाणा में इस बार बीजेपी की मुश्किलें ज्यादा हैं, मनोहर लाल खट्टर सीएम नहीं है, नायाब सिंह सैनी को कुर्सी सौंप दी गई है। इसके ऊपर निर्दलीयों ने अपना समर्थन बीजेपी से वापस ले लिया है। ऐसे में सरकार पर संकट पहले से मंडरा रहा है, वही जाटों की नाराजगी भी कुछ इलाकों में जमीन पर बीजेपी के लिए चिंता का सबब बन रही है। नूंह-शिकरावा जैसे इलाकों में तो पूरी तरह कांग्रेस की लहर है, ऐसे में अगर फिर बीजेपी को हरियाणा की 10 में से 10 सीटें जीतनी है, उसे जमीन पर काफी मेहनत करनी पड़ेगी।
कर्नाटक की ये सीटें बीजेपी पहली बार जीती
| सीट | विजेता | वोट |
| चामराजनगर | वी श्रीनिवास प्रसाद | 12,70,658 |
| चिकबल्लापुर | बीएन बचे गोड़ा | 13,86,963 |
| कोलार | एस मुनीस्वामी | 12,58,551 |
दक्षिण के राज्य कर्नाटक से 28 सीटें निकलती हैं, पिछली बार बीजेपी ने 26 सीटें अपने नाम की थी। इस बार पार्टी कर्नाटक में जेडीएस के साथ गठबंधन में लड़ रही है, ऐसे में दक्षिण कर्नाटक में वो अपनी स्थिति और ज्यादा मजबूत होती देख रही है। लेकिन एक बड़ी चुनौती ये खड़ी है कि कर्नाटक में अब कांग्रेस की सरकार है, पिछले साल प्रचंड बहुमत के साथ देश की सबसे पुरानी पार्टी ने बीजेपी को इस राज्य से उखाड़ फेंका था। ऐसे में अब अगर फिर पुराने प्रदर्शन को दोहराना है या फिर उससे भी बेहतर करना है तो कुछ नए समीकरण साधने पड़ेंगे।
ओडिशा की ये सीटें बीजेपी ने पहली बार जीती
| सीट | विजेता | वोट |
| बरगह | सुरेश पुजारी | 12,47,912 |
| भुवनेश्वर | अपराजिता सारंगी | 10,05,215 |
| संबलपुर | नितेश गंगा देब | 11,24,455 |
ओडिशा में इस बार बीजेपी के लिए दिलचस्प स्थिति बन रही है। ये वो राज्य है जहां पर सबसे ज्यादा चर्चा थी कि पार्टी इस बार बीजेडी के साथ गठबंधन करने वाली है। उस चर्चा की वजह से कहा गया कि ओडिशा की सारी लोकसभा सीटों पर एनडीए जीत सकता है, लेकिन अब कोई गठबंधन नहीं हुआ है, जो स्थिति 2019 में थी, वो स्थिति अभी भी कायम है। ऐसे में बीजेपी बेहतर कर पाती है या नहीं, ये बड़ा सवाल है।
तेलंगाना की ये सीटें बीजेपी ने पहली बार जीती
| सीट | विजेता | वोट |
| आदिलाबाद | सोयम बापू राव | 10,63,730 |
| करीमनगर | बंदी संजय कुमार | 11,47,697 |
| निजमाबाद | अरविंद धर्मपुरी | 10,62,768 |
तेलंगाना से इस बार बीजेपी को काफी उम्मीदें हैं। 17 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में पार्टी ने दस से ज्यादा सीटें जीतने का दम भरा है। बड़ी बात ये है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने अपना सीटों का ग्राफ एक सीट से बढ़ाकर 8 तक पहुंचा दिया था। ऐसे में बीजेपी खुद को एक बड़ी ताकत के रूप में उभरता हुआ देख रही है। हिंदुत्व के मुद्दे को भुनाकर पार्टी यहां पर भगवा लहर चलाना चाहती है।
अब ये तो बातें सीटों की हुईं, लेकिन अगर बीजेपी की असल बढ़त को समझना है, ये फैक्टर भी काफी अहम है कि पार्टी ने पिछले कुछ सालों में नए वोटबैंक बनाने का काम भी बखूबी किया है। अब बीजेपी को कोई भी शहरी या सिर्फ हिंदी पट्टी वाली पार्टी कहकर संबोधित नहीं कर सकता है। CSDS लोकनीति का सर्वे बताता है कि बीजेपी ने ग्रामीण वोटरों में जबरदस्त पैठ बनाई है, ओबीसी वोटरों के लिए पसंदीदा पार्टी बनी है और फर्स्ट टाइम वोटरों का रुझान भी उसकी तरफ हुआ है।
ग्रामीण इलाकों में बीजेपी का बढ़ता ग्राफ
बीजेपी ने 2014 के बाद से ग्रामीण वोटरों के बीच में अपनी उपस्थिति बड़े स्तर पर दर्ज करवाई है। लोकनीति CSDS का सर्वे बताता है कि पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को ग्रामीण भारत में 37.6 फीसदी वोट मिला था, ये 2014 की तुलना में 6.8 प्रतिशत ज्यादा रहा। वही उसी दौरान कांग्रेस के वोट शेयर में 1.2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी और 2019 में उसका हिस्सा 18.3 प्रतिशत रह गया।
ओबीसी समुदाय बीजेपी की बढ़ती लोकप्रियता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले कुछ सालों में लाभार्थी वोटबैंक पर खासा जोर दिया है। उनका मानना है कि अगर समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक सरकारी योजना का लाभ नहीं जाएगा, तो देश का विकास संभव नहीं। अब इस अप्रोच का फायदा ये हुआ है कि पिछड़ा समाज मजबूती के साथ बीजेपी के साथ खड़ा हुआ है। आंकड़े इस बात की तस्दीक भी करते हैं। बीजेपी को 2014 में ओबीसी समाज का 34 प्रतिशत वोट मिला था जो 2019 में बढ़कर 44 फीसदी तक पहुंच गया। इस बार बीजेपी अपने आंकड़े को और ज्यादा बढ़ाने पर जोर दे रही है। बड़ी बात ये है कि इन्हीं सालों में कांग्रेस का वोटर बेस कमजोर हो चुका है और उसे सिर्फ 15 फीसदी के आसपास ही ओबीसी समाज का वोट मिल रहा है।
