2019 Lok Sabha Election से पहले नरेंद्र मोदी के अभियान को सबसे बड़ी चुनौती उत्तर प्रदेश से ही मिलती नजर आ रही है। दूसरे राज्यों में जहां पार्टी नए सहयोगियों को जुटाने और पुराने सहयोगियों को मनाने में सफल नजर आ रही है, वहीं यूपी में सहयोगी लगातार एक पर एक मुश्किलें खड़ी करते दिख रहे हैं। सपा-बसपा गठबंधन के बाद सहयोगियों की ओर से दबाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ओमप्रकाश राजभर, बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोले ही हैं अब अपना दल के तेवर भी गर्म हो रहे हैं। मोदी सरकार में मंत्री अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल ने पहले ही कहा था कि हमने बीजेपी को 20 फरवरी का वक्त दिया है. अब वो डेटलाइन भी खत्म हो गई है, कहा जा रहा कि अपना दल कोई बड़ा फैसला कर सकता है.

अपना दल में मंथन जारी : अपना दल के विश्वस्त सूत्र ने बताया कि आने वाले एक-दो दिन में पार्टी हाईकमान बड़ा फैसला ले सकता है। अपना दल ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव और योगी सरकार को लेकर कई मांगे की थी। इन मांगों को पूरा करने के लिए पार्टी की ओर से बीजेपी नेतृत्व को 20 फरवरी तक की समय सीमा दी गई थी। लेकिन समय सीमा खत्म होने तक अपना दल की मांग पर बीजेपी ने कोई सकारात्मक रवैया नहीं दिखाया है। बीजेपी के ठंडे बर्ताव से पार्टी के बड़े नेता बेहद नाराज हैं और शीर्ष नेतृत्व पर सबक सिखाने का दबाव बना रहे हैं। बता दें कि अपना दल के कोटे से मिर्जापुर लोकसभा सीट से सांसद अनुप्रिया पटेल मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं।

प्रियंका से मुलाकात कर चुकीं अनुप्रिया? : सूत्रों का कहना है कि बीजेपी से नाराजगी जाहिर करने के साथ-साथ अपना दल ने कांग्रेस से करीबी बढ़ानी शुरू कर दी है। इसके तहत अनुप्रिया पटेल कांग्रेस महासचिव और पूर्वी यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी से मुलाकात कर चुकी हैं। हालांकि, दोनों के बीच किन मुद्दों पर सहमति बनी है, इसकी डिटेल सामने नहीं आई है।

अपना दल की तैयारियां क्या क्या हैं? : कहने की जरूरत नहीं कि राज्य में जिस तरह का सियासी माहौल नजर आ रहा है, उसमें लोकसभा में मोदी-शाह-योगी फॉर्मूले की कामयाबी के लिए पार्टी को अपना दल जैसे सहयोगियों को बनाए रखने की जरूरत होगी। अपना दल को भी यह पता है। सूत्रों का भी संकेत है कि इन दलों का उद्देश्य दबाव बनाकर गठबंधन में बने रहना और योगी कैबिनेट में मजबूत जगह पाना है। इस वक्त अपना दल के कोटे से एक मंत्री योगी कैबिनेट में शामिल है।

जोखिम उठाने को भी तैयार है पार्टी : बीजेपी की ओर से भाव नहीं मिलने की सूरत में अपना दल जोखिम उठाने को भी तैयार है। इनमें से एक राज्य की सभी सीटों पर लोकसभा चुनाव भी लड़ना है। इसके लिए प्राथमिक स्तर पर तैयारियां भी की गई हैं। हालांकि, पार्टी के दूसरे भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि शीर्ष नेतृत्व अकेले लड़ने का जोखिम नहीं उठाएगा। हो सकता है कि यूपी में नए आशियाने तलाशे जाएं। वैसे अंदरखाने की जो खबरें हैं, उसके मुताबिक राज्य के तमाम दल लगातार एक-दूसरे के संपर्क में बने हुए है । यह भी नहीं भूलना चाहिए कि अभी योगी सरकार का लंबा कार्यकाल बाकी है। भविष्य में अपना दल अपने बलबूते कुछ बड़ा हासिल करता दिख भी नहीं रहा है। ऐसी सूरत में भला कोई सरकार से अलग सड़क की राह क्यों पकड़ेगा। देखना दिलचस्प होगा कि अपना दल गीदड़ भभकी देगा या वाकई अलग राह पर निकलेगा।

क्या थी अपना दल की मांग? : अपना दल के कुछ नेता अपने शीर्ष नेतृत्व पर पिछले कुछ महीनों से बड़ी हिस्सेदारी मांगने को लेकर लगातार दबाव बनाए हुए थे। यूपी की योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में वाजिब हिस्सेदारी के साथ ही पार्टी राज्य सरकार के तमाम आयोगों परिषदों और दूसरी महत्वपूर्ण इकाइयों में हिस्सेदारी मांग रहा था, लेकिन पांच राज्यों में चुनाव से पहले तक देशभर में जमीन पर मजबूत नजर आ रही बीजेपी से अपना दल आमने-सामने मोलभाव नहीं कर पा रही थी।