गुजरात के गांधीनगर से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मैदान में है और इस बार उनको चुनौती देने उतरे हैं गुलबर्ग सोसायटी दंगे के दो पीड़ित भाई। भाइयों का नाम इम्तियाज पठाना और फिरोज पठान है। बता दें कि 2002 में गोधरा दंगों के बाद गुलबर्द सोसाइटी में हुई हिंसा में 69 लोग मारे गए थे। वहीं इम्तियाज इस केस के गवाह भी हैं।
कहां से उम्मीदवार हैं इम्तियाज और फिरोज: बता दें कि गुजरात के खेड़ा और गांधीनगर से दोनों भाई 2019 लोकसभा चुनावों के लिए मैदान में उतरे हैं। जिसमें इम्तियाज खेड़ा से तो फिरोज गांधीनगर से चुनाव लड़ेंगे। गुलबर्ग सोसायटी हिंसा में भाइयों ने अपने परिवार के दस लोगों को खो दिया था। जिसमें उनकी मां भी शामिल थीं। बता दें कि अदालत ने 2 जून 2016 को इस मामले में 24 लोगों को दोषी करार दिया था।
National Hindi News, 10 April 2019 LIVE Updates: पढ़ें आज के बड़े अपडेट्स
अपना देश पार्टी के उम्मीदवार बने इम्तियाज: बता दें कि 42 वर्षीय इम्तियाज ने अपना देश पार्टी के ओर से पर्चा भरा है। वहीं उनका चुनावी चिन्ह एक ‘प्रेशर कूकर’ है। वहीं दूसरी ओर बता दें कि फिरोज वही हैं जिन्होंने सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद और गुलबर्ग सोसाइटी के कुछ निवासियों के खिलाफ मामला दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने गुलबर्ग के दंगा पीड़ितों के लिए जमा किए गए पैसे में धांधली की थी।
हमारे मुद्दे को किसी ने नहीं उठाया: फिरोज ने कहा- ‘हमें गुलबर्ग (नरसंहार मामले) में न्याय नहीं मिला है और कोई भी हमारे मुद्दे को नहीं उठा रहा है। कोई अल्पसंख्यक सांसद नहीं है जो हमारे मुद्दे को उठाता। स्थिति अलग होती अगर जाफरी साहब (कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी जो नरसंहार में मारे गए थे) आज होते। लेकिन अब मैं एक सांसद के रूप में निर्वाचित होकर अल्पसंख्यकों के मुद्दों को उठाना चाहता हूं।’ इस चुनाव में अपनी उम्मीदवारी के बारे में बात करते हुए फिरोज़ ने कहा कि उनके पास दलितों, ठाकुरों, रैबारियों, भारवाडों और अन्य जातियों से वेजलपुर में दोस्तों का एक ग्रुप है, जिनकी मदद से वह डोर-टू-डोर अभियान चला रहे थे।

भाजपा को नहीं पड़ेगा फर्क: फिरोज ने कहा- ‘गांधीनगर सीट के क्षेत्र में करीब 19 लाख वोटर्स हैं। उनमें से मुश्किल से एक लाख मुस्लिम मतदाता हैं और ऐसा नहीं है कि मुसलमान भाजपा को वोट नहीं देते हैं। विधानसभा चुनावों में बीजेपी विधायक किशोर चौहान को काफी मुस्लिम वोट मिले। इसलिए मुझे नहीं लगता कि यह भाजपा को प्रभावित करेगा।’ वहीं अल्पसंख्यों के बारे में इम्तियाज ने कहा- ‘आज हर कम्यूनिटी के नेता है चाहें वो दलित हो या पफिर ठाकोर्स। ऐसे में अगर मैं चुनाव जीतता हूं तो मैं अल्पसंख्यकों की आवाज बनूंगा।’
भाजपा के लिए अहम है गांधीनगर सीट: बता दें कि बीजेपी के लिए गांधीनगर सीट काफी अहम मानी जाती है। यहां से पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्णा आडवाणी, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी सहित कई वरिष्ठ नेता मैदान में उतर चुके हैं। वहीं इस बार इस सीट से अमित शाह मैदान में हैं।