Arvind Kejriwal AAP News: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 1 जून तक के लिए अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर आ गए हैं। केजरीवाल को 2 जून को वापस जेल जाना है। जेल जाने से पहले अरविंद केजरीवाल के सामने एक बहुत बड़ा चैलेंज है। ये चैलेंज है उन्हें मिले अवसर को रिजल्ट में बदलने का।

अरविंद केजरीवाल को भले ही सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत के रूप में तीन हफ्ते का समय दिया हो लेकिन आखिरी चरण का प्रचार 30 मई को ही समाप्त हो जाएगा, इस हिसाब से अब उनके पास प्रचार के लिए सिर्फ 19 दिन बचते हैं।

वैसे तो इन 19 दिनों में इंडिया गठबंधन से जुड़े दल भी अरविंद केजरीवाल का फायदा लेने चाहेंगे लेकिन उनकी पहली प्राथमिकता उनकी खुद की पार्टी और वो सीटें होंगी जहां आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ रही है।

लोकसभा चुनाव के अभी चार चरण बाकी है, इन्हीं चरणों के दौरान दिल्ली और पंजाब में लोकसभा चुनाव होना है। राजधानी नई दिल्ली की सात लोकसभा सीटों पर छठे चरण में 25 मई को और पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर सातवें चरण में एक जून को वोट डाले जाने हैं। AAP दिल्ली की चार और पंजाब की सभी 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

इसके अलावा AAP हरियाणा की हिसार लोकसभा सीट पर भी चुनाव लड़ रही है। यहां भी छठे चरण में मतदान होगा। कुल मिलाकर आम आदमी पार्टी 18 लोकसभा सीटों पर चुनाव मैदान में है और इनमें से दिल्ली की चार और हरियाणा की एक लोकसभा सीट पर कांग्रेस का समर्थन हासिल है। अब जेल से बाहर आए केजरीवाल अगर कोर्ट द्वारा दिए गए इस मौके को भुनाने में सफल रहते हैं तो वो निश्चित ही सिंकदर बनकर उभरेंगे।

क्यों मुश्किल है डगर?

अरविंद केजरीवाल की पार्टी को पिछली बार दिल्ली की किसी भी सीट पर सफलता नहीं मिली थी। वह राजधानी की पांच लोकसभा सीटों पर तीसरे नंबर पर खिसक गई थी। जानकारों का मानना है कि राजधानी नई दिल्ली में दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की ये एक बड़ी वजह है। इसके अलावा उन्हें लोकसभा चुनाव 2019 में पंजाब में सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल हुई थी।

हालांकि विधानसभा चुनाव में वहां मिली प्रचंड जीत से केजरीवाल की पार्टी उत्साहित है और अकेले चुनाव लड़ रही है। पिछली बार पंजाब में 12 लोकसभा सीटों पर आप की जमानत जब्त हो गई थी। सिर्फ एक सीट पर आप का प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहा था। वहीं हरियाणा की हिसार लोकसभा सीट पर 2019 ंमें आप ने चुनाव ही नहीं लड़ा था। यहां कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें विजेता प्रत्याशी से चार लाख कम वोट मिले थे।