केंद्र की मोदी सरकार मौजूदा शीतकालीन सत्र में एक ऐसा बिल संसद में पेश करने जा रही है जिसके पास होने के बाद हायर एजुकेशन में बहुत बड़ा बदलाव होगा। इस बिल को केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार को मंजूर दे दी। अब जल्द ही यह बिल संसद में पेश होगा। ‘विकसित भारत शिक्षा अधिक्षण’ बिल में हायर एजुकेशन के लिए एक यूनिफाइड रेगुलेटर स्थापित करने का प्रस्ताव है। यानी कि इस बिल के पास होने के बाद यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC), ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) और नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) जैसी मौजूदा संस्थाओं को रिप्लेस करेगा।
क्यों लाया गया इस बिल को?
यह बिल नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 में भारत के हायर एजुकेशन सेक्टर में गवर्नेंस और ओवरसाइट को आसान बनाने के उद्देश्य से लाया गया है। इस बिल को सिंगल रेगुलेटरी अथॉरिटी की सिफारिशों के बाद लाया गया है। पिछली रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रस्तावित रेगुलेटर का मकसद UGC, AICTE और NCTE के कामों को मिलाकर एक ऐसी संस्था बनाना है जो मेडिकल और लीगल कॉलेजों को छोड़कर, हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन्स में एकेडमिक रेगुलेशन, एक्रेडिटेशन और प्रोफेशनल स्टैंडर्ड तय करने के लिए जिम्मेदार हो। इसकी फंडिंग और फाइनेंशियल ऑटोनॉमी रेगुलेटर के बजाय एडमिनिस्ट्रेटिव मिनिस्ट्री के पास रहेगी।
2018 में भी इस बिल का तैयार हुआ था ड्राफ्ट
यूनिफाइड रेगुलेटर (एक ही संस्था द्वारा पूरी उच्च शिक्षा की निगरानी) का विचार कई सालों से चल रहा है। HECI बिल का पहला ड्राफ्ट 2018 में आया था। उस समय इसका मकसद UGC को खत्म करके एक नया केंद्रीय आयोग बनाना था, लेकिन उस वक्त राज्य स्तर पर इसका विरोध हुआ। राज्य सरकारों ने कहा कि इससे सब कुछ केंद्र सरकार के नियंत्रण में आ जाएगा। इस वजह से इस बिल पर काम आगे नहीं बढ़ा।
अब जो नया बिल लाया जा रहा है, वह NEP 2020 में दिए गए विजन को लागू करने की कोशिश है। NEP 2020 कहता है कि उच्च शिक्षा की व्यवस्था को आधुनिक और सरल बनाने के लिए एक ही रेगुलेटर होना चाहिए, जो तकनीकी शिक्षा और शिक्षक शिक्षा जैसी सभी चीज़ों को देखे।
NEP 2020 ने यह भी सुझाव दिया था कि रेगुलेटरी कामों को चार भागों में बांटा जाए—
रेगुलेशन
एक्रेडिटेशन (मान्यता)
एकेडमिक स्टैंडर्ड
फंडिंग
ताकि एक ही काम कई संस्थाएं न करें (डुप्लीकेशन कम हो), जवाबदेही बनी रहे और सिस्टम ज़्यादा कुशल तरीके से काम कर सके।
