उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया। दरअसल, कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें यूपी सरकार को 3 महीने के अंदर नई मेरिट लिस्ट तैयार करने को कहा गया था।
23 सितंबर को होगी अगली सुनवाई
हाईकोर्ट ने 2018 की इस भर्ती की पुरानी मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया था और फिर से नई सूची जारी करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई जहां सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर स्टे लगा दिया। मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।
यूपी सरकार और पक्षकारों को नोटिस जारी
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और हाईकोर्ट में पक्षकारों को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने पक्षकारों को सात पेज में अपनी दलील पेश करने को कहा है। 23 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई से पहले पक्षकारों को अपना जवाब कोर्ट में पेश करना होगा। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हमें इलाहाबाद HC के फैसले को स्टडी करने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए तब तक हम उनके आदेश पर स्टे लगा रहे हैं।
52 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने की सुनवाई
हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने रवि कुमार सक्सेना और 51 अन्य द्वारा दायर याचिका पर राज्य सरकार और यूपी बेसिक शिक्षा बोर्ड के सचिव सहित अन्य को नोटिस भी जारी किए। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह 23 सितंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में याचिका पर सुनवाई तय करेगी। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने दलील पेश की।
हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि नई चयन सूची तैयार करते समय वर्तमान में कार्यरत सहायक अध्यापकों पर पड़ने वाले किसी भी प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए उन्हें चालू शैक्षणिक सत्र पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि इसका उद्देश्य छात्रों की पढ़ाई में व्यवधान को रोकना है।