यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) दिल्ली, महाराष्ट्र और कर्नाटक में चल रही तीन फर्जी यूनिवर्सिटी को लेकर एक पब्लिक अलर्ट जारी किया है। यूजीसी ने कहा है कि इन तीन विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे स्टूडेंट्स की डिग्रियां न तो निजी सेक्टर की नौकरी में और न ही सरकारी सेक्टर की नौकरी के लिए मान्य होगी। यूजीसी ने छात्रों के अभिभावकों को इन विश्वविद्यालयों से अलर्ट रहने को कहा है। आयोग का कहना है कि यह विश्वविद्यालय बिना किसी लीगल अप्रूवल के यूनिवर्सिटी के तौर पर काम कर रहे हैं।
कौन सी हैं वह तीन यूनिवर्सिटी?
यूजीसी के नोटिस के मुताबिक, राजधानी दिल्ली की NIMS, कर्नाटक की सर्व भारतीय शिक्षा पीठ और महाराष्ट्र के नेशनल बैकवर्ड कृषि विद्यापीठ फर्जी विश्वविद्यालय के रूप में काम कर रहे हैं। UGC के मुताबिक, ये संस्थान जो डिग्री दे रहे हैं उनकी कोई मान्यता नहीं है। इन विश्वविद्यालयों के पास भारतीय कानून के तहत डिग्री देने का अधिकार नहीं है।
आयोग ने छात्रों को दी सलाह
कमीशन ने साफ कहा है कि ऐसे इंस्टीट्यूशन्स से मिली डिग्री वैलिड नहीं हैं। इन विश्वविद्यालयों की क्वालिफिकेशन्स आगे की पढ़ाई, सरकारी भर्ती या प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों के लिए स्वीकार नहीं की जाएगी। UGC ने स्टूडेंट्स को कॉलेज या यूनिवर्सिटी चुनते समय सावधान रहने और एडमिशन लेने से पहले हमेशा यह चेक करने की सलाह दी है कि वह संस्थान आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त है या नहीं। यह चेतावनी UGC की अपनी फेक यूनिवर्सिटीज़ की लिस्ट को अपडेट करने और पब्लिसाइज़ करने की चल रही कोशिशों का हिस्सा है।
यूजीसी के इस एक्ट के अंतर्गत विश्वविद्यालयों को मिलती है मान्यता
यूजीसी से जिस यूनिवर्सिटी को मान्यता प्राप्त होती है उसे ही सही विश्वविद्यालय माना जाता है और किसी विश्वविद्यालय को यह अधिकार एक एक्ट के अंतर्गत आने के बाद मिलता है। यूजीसी अधिनियम, 1956 भारत में उच्च शिक्षा को नियंत्रित करने वाला प्रमुख कानून है। इसके तहत यूजीसी को विश्वविद्यालयों की निगरानी, शैक्षणिक मानक तय करने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने का अधिकार मिलता है। इस कानून के अनुसार, केवल वही संस्थान विश्वविद्यालय कहलाने और डिग्री देने के पात्र होते हैं, जो धारा 2(f) के अंतर्गत मान्यता प्राप्त हों, या धारा 3 के तहत डीम्ड यूनिवर्सिटी घोषित हों।
