यूनिवर्सिटी ग्रांड्स कमीशन (UGC) ने सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को निर्देश दिए थे कि 30 सितंबर तक फाइनल ईयर के छात्रों के एग्जाम करा लिए जाएं। कोरोना महामारी के बढ़ते खतरे को देखते हुए कुछ स्टूडेंट्स और अभिभावक इस मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट चले गए थे कि एग्जाम कराए बिना ही सभी को उनके पुराने रिकॉर्ड के आधार पर नंबर दे दिए जाएं। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई जारी है। अदालत ने 10 अगस्त को इस मामले में सुनवाई की उसके बाद आज और 14 अगस्त को सुनवाई हुई है। UGC ने इस दौरान छात्रों को सलाह दी है कि वे परीक्षाएं रद्द होने की उम्मीद लगाकर न बैठें और अपनी तैयारी पूरी रखें।
UGC Guidelines for University Final Year Exam 2020 Live: Check here
आयोग ने कहा है कि जो छात्र परीक्षा में भाग नहीं ले सकेंगे, उन्हें महामारी की स्थिति नियंत्रण में होने पर परीक्षा के लिए एक और मौका दिया जाएगा। पिछली सुनवाई में देश भर के विश्वविद्यालयों में फाइनल ईयर परीक्षा करवाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने UGC को परीक्षा रद्द करने/ स्थगित करने पर जवाब देने के लिए कहा था। UGC ने कोर्ट में कहा था कि अधिकांश जगह परीक्षाएं हो चुकी हैं या होने वाली हैं। फाइनल ईयर की परीक्षाएं रद्द होंगी या नहीं, इस संबंध में ताजा जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहें।
University Final Year Exams 2020 Live Updates: Check Here
शिवसेना की युवा शाखा 'युवा सेना' द्वारा दायर याचिकाओं सहित यूजीसी ने 50 पन्नों का एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें लगातार कोरोनोवायरस (COVID-19) के बीच सितंबर में परीक्षा आयोजित करने के लिए 6 जुलाई को जारी अपने दिशानिर्देशों को चुनौती दी गई है।
शिवसेना की युवा शाखा 'युवा सेना' द्वारा दायर याचिकाओं सहित यूजीसी ने 50 पन्नों का एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें लगातार कोरोनोवायरस (COVID-19) के बीच सितंबर में परीक्षा आयोजित करने के लिए 6 जुलाई को जारी अपने दिशानिर्देशों को चुनौती दी गई है।
आयोग ने कहा है कि जो छात्र परीक्षा में भाग लेने में सक्षम नहीं होंगे, उन्हें परीक्षा के लिए एक और मौका दिया जाएगा जब महामारी की स्थिति नियंत्रण में होगी।
केंद्रीय मानव संसाधन और विकास मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं सितंबर में होंगी। जिसे 13 राज्यों और यूटी के 31 याचिकाकर्ताओं ने यूजीसी के दिशानिर्देशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
छात्रों ने हैशटैग #StudentsAgainstStateAutonomy के साथ एक ट्विटर पर एक अभियान चलाया है जिसमें वरुण सरदेसाई, आदित्य ठाकरे, अभिषेक सिंघवी, महाराष्ट्र छात्र संघ शामिल हैं। वे भारत भर के छात्रों से आगे आकर अपनी शिक्षा और अपने भविष्य के लिए बोलने की अपील कर रहे हैं।
यूजीसी द्वारा 22 अप्रैल 2020 को और 6 जुलाई 2020 जारी किए गए दिशा-निर्देशों में कोई अंतर नहीं है। UGC ने 22 अप्रैल की गाइडलाइंस में 31 अगस्त तक परीक्षाएं आयोजित करने के निर्देश दिये थे, जबकि 06 जुलाई की गाइडलाइंस में परीक्षाओं को 30 सितंबर तक करा लेने के निर्देश दिये हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सोमवार को कहा, केंद्र सरकार अंग्रेजी भाषा के खिलाफ नहीं है, लेकिन वह भारतीय भाषाओं को मजबूत करना चाहती है। शिक्षा मंत्री को यह बयान इसलिए देना पड़ा क्योंकि नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिलने के बाद विपक्ष के कुछ नेताओं ने सरकार पर ऐसा आरोप लगाया था।
यूजीसी द्वारा 22 अप्रैल 2020 को और 6 जुलाई 2020 जारी किए गए दिशा-निर्देशों में कोई अंतर नहीं है। UGC ने 22 अप्रैल की गाइडलाइंस में 31 अगस्त तक परीक्षाएं आयोजित करने के निर्देश दिये थे, जबकि 06 जुलाई की गाइडलाइंस में परीक्षाओं को 30 सितंबर तक करा लेने के निर्देश दिये हैं।
सिंघवी बताते हैं कि परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों की बहुत असमानता है। कई छात्रों को परीक्षा के लिए यात्रा करना होगा, जो महामारी की इन स्थितियों में प्रत्यक्ष जोखिम पैदा करता है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सोमवार को कहा, केंद्र सरकार अंग्रेजी भाषा के खिलाफ नहीं है, लेकिन वह भारतीय भाषाओं को मजबूत करना चाहती है। शिक्षा मंत्री को यह बयान इसलिए देना पड़ा क्योंकि नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिलने के बाद विपक्ष के कुछ नेताओं ने सरकार पर ऐसा आरोप लगाया था।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सोमवार को कहा, केंद्र सरकार अंग्रेजी भाषा के खिलाफ नहीं है, लेकिन वह भारतीय भाषाओं को मजबूत करना चाहती है। शिक्षा मंत्री को यह बयान इसलिए देना पड़ा क्योंकि नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिलने के बाद विपक्ष के कुछ नेताओं ने सरकार पर ऐसा आरोप लगाया था।
तमिलनाडु में, टर्मिनल परीक्षा के लिए उपस्थित होने वाले छात्रों को छोड़कर, बीए, बीएससी, एमए, एमएससी, बीई / बीटेक, एमई / एमटेक, एमसीए और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के सभी छात्रों को अगले शैक्षणिक वर्ष में प्रमोट किया गया।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी (Edappadi K Palaniswami) ने एक बयान में कहा, इन छात्रों यूजीसी और एआईसीटीई (UGC and AICTE) के दिशानिर्देशों के मुताबिक, मार्क्स दिए गए हैं।
नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद छात्रों को आजादी होगी की अगर वे किसी कोर्स को बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में प्रवेश लेना चाहते हैं तो वे पहले कोर्स से एक निश्चित समय का ब्रेक ले सकते हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने यूजीसी को इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए दिशानिर्देशों में बताए गए अन्य तरीकों से परीक्षा आयोजित करने की संभावना पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था। यूजीसी ने कहा कि परीक्षाएं ऑनलाइन या ऑफलाइन या मिक्स्ड मोड में ली जा सकती हैं, मगर सिम्पल प्रजेंटेशन मोड में नहीं क्योंकि परीक्षा समयबद्ध होनी चाहिए।
यूजीसी के इस साल के अंत तक अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के आयोजन के निर्देशों को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है। याचिकाकर्ता बैंगलोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अंतिम वर्ष के इंजीनियरिंग स्नातक हैं।
कर्नाटक उच्च न्यायालय में, सरकारी अधिवक्ता यह स्वीकार करते हैं कि जहां तक परीक्षाओं का प्रश्न है, उसमें कोई बाधा नहीं होगी। वकील उच्च न्यायालय को बताया कि, यहां तक कि क्वारंटाइन में उन लोगों के लिए, सीईटी परीक्षा आयोजित किए जाने पर पहले से ही अनिवार्य प्रक्रियाएं हैं।
कर्नाटक HC ने कहा कि, अंतिम परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए यह महत्वपूर्ण है। इसलिए दूसरी एजेंसियों को छात्रों के हित में कदम उठाना चाहिए। आपको उन केंद्रीय विश्वविद्यालयों का अध्ययन करना चाहिए जिन्होंने परीक्षा आयोजित की है।
याचिकाकर्ता छात्र आंतरिक अंक और पिछले मूल्यांकन के आधार पर परीक्षाओं को रद्द करने और डिग्री और मार्कशीट जारी करने की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोट इस मामले की सुनवाई कर रहा है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने आज उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि उसने विश्वविद्यालयों को सितंबर में टर्म-एंड परीक्षा के लिए उपस्थित नहीं होने वाले छात्रों के लिए संभव होने पर "विशेष परीक्षा के लिए" परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दी है।
यूजीसी ने फाइनल ईयर की परीक्षाओं के आयोजन का निर्देश दिया है क्योंकि आयोग ने यह महसूस किया कि सीखना एक गतिशील प्रक्रिया है और परीक्षा के माध्यम से किसी के ज्ञान को आंकने का एकमात्र तरीका है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई करने वाला है।
छात्रों, शिक्षाविदों और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के विरोध के बावजूद, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने पहले ट्विटर के जरिए कहा था कि, “किसी भी शिक्षा मॉडल में, मूल्यांकन सबसे महत्वपूर्ण होता है। परीक्षा में प्रदर्शन छात्रों को आत्मविश्वास और संतुष्टि देता है।”
याचिकाकर्ता छात्र आंतरिक अंक और पिछले मूल्यांकन के आधार पर परीक्षाओं को रद्द करने और डिग्री और मार्कशीट जारी करने की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोट इस मामले की सुनवाई कर रहा है।
आयोग ने कहा है कि जो छात्र परीक्षा में भाग लेने में सक्षम नहीं होंगे, उन्हें परीक्षा के लिए एक और मौका दिया जाएगा जब महामारी की स्थिति नियंत्रण में होगी।
यूजीसी ने फाइनल ईयर की परीक्षाओं के आयोजन का निर्देश दिया है क्योंकि आयोग ने यह महसूस किया कि सीखना एक गतिशील प्रक्रिया है और परीक्षा के माध्यम से किसी के ज्ञान को आंकने का एकमात्र तरीका है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई करने वाला है।
याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता का पक्ष रख रहे अधिवक्ता सिंघवी ने कहा कि कई विश्वविद्यालयों के पास तो परीक्षाओं को ऑनलाइन आयोजित करने के लिए आवश्यक आईटी इंफ्रास्ट्रक्टर ही नहीं है। साथ ही, भौतिक रूप से परीक्षाएं कोविड-19 के कारण आयोजित नहीं की जा सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कोरोना को लेकर छात्रों के स्वास्थ्य के मद्देनजर परीक्षा आयोजित न करने की अपील की गई है. युवा सेना की तरफ से कहा गया है कि देश में कोरोना के कारण स्थिति बिगड़ रही है और यह परीक्षा आयोजित करने के लिए अनुकूल नहीं है.
यूजीसी के एक अधिकारी ने कहा, ‘विश्वविद्यालयों के पास परीक्षाएं आयोजित कराने के लिए सितंबर तक का समय है और उनके पास निर्णय लेने की पूरी स्वायत्तता है कि वे कैसे परीक्षाएं कराएंगे. सभी शैक्षणिक संस्थानों की इमारतों को क्वारंटीन के तौर पर इस्तेमाल में नहीं लाया जा रहा.’
यूजीसी के एक अधिकारी ने कहा, ‘यूजीसी एक्ट 1956 की धारा 12 में साफतौर पर लिखा है कि यूजीसी इस तरह के सभी कदम उठा सकती है, जो विश्वविद्यालय शिक्षा के प्रसार और समन्वय के लिए जरूरी हो और यूनिवर्सिटी में शिक्षण, परीक्षा और शोध के मानकों को बनाए रखने के लिहाज से सही हो.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र और पंजाब इन चार राज्यों ने यूजीसी के इन दिशानिर्देशों का विरोध करते हुए इनका पालन नहीं करने में असमर्थता जताई थी।
अंतिम वर्ष की परीक्षाएं 30 सितंबर तक आयोजित कराने के यूजीसी निर्देश को बाध्यकारी बताया गया था। जब कई राज्यों ने यूजीसी के निर्देश का विरोध करना चाहा तो मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि कि अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर यूजीसी के दिशानिर्देश राज्यों के लिए बाध्यकारी हैं।
भारत भर के 755 विश्वविद्यालयों में से 366 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा जारी संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार अगस्त या सितंबर में परीक्षा आयोजित करने की योजना बना रहे हैं, जो कि सितंबर तक परीक्षाओं को अनिवार्य रूप से आयोजित करने के लिए कहते हैं।
यूजीसी द्वारा 22 अप्रैल 2020 को और 6 जुलाई 2020 जारी किए गए दिशा-निर्देशों में कोई अंतर नहीं है। UGC ने 22 अप्रैल की गाइडलाइंस में 31 अगस्त तक परीक्षाएं आयोजित करने के निर्देश दिये थे, जबकि 06 जुलाई की गाइडलाइंस में परीक्षाओं को 30 सितंबर तक करा लेने के निर्देश दिये हैं।
आयोग का कहना है कि फाइनल ईयर के एग्जाम बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। कॉलेज या यूनिवर्सिटी अपनी सुविधा के आधार पर ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी माध्यम में परीक्षा आयोजित कर सकते हैं।
केंद्रीय मानव संसाधन और विकास मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं सितंबर में होंगी। जिसे 13 राज्यों और यूटी के 31 याचिकाकर्ताओं ने यूजीसी के दिशानिर्देशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
भारत भर के 755 विश्वविद्यालयों में से 366 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा जारी संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार अगस्त या सितंबर में परीक्षा आयोजित करने के लिए तैयार हैं। आयोग का निर्देश है कि परीक्षाएं 30 सितंबर से पहले पूरी हो जानी चाहिए।
छात्रों ने हैशटैग #StudentsAgainstStateAutonomy के साथ एक ट्विटर पर एक अभियान चलाया है जिसमें वरुण सरदेसाई, आदित्य ठाकरे, अभिषेक सिंघवी, महाराष्ट्र छात्र संघ शामिल हैं। वे भारत भर के छात्रों से आगे आकर अपनी शिक्षा और अपने भविष्य के लिए बोलने की अपील कर रहे हैं।
कर्नाटक HC ने कहा कि, अंतिम परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए यह महत्वपूर्ण है। इसलिए दूसरी एजेंसियों को छात्रों के हित में कदम उठाना चाहिए। आपको उन केंद्रीय विश्वविद्यालयों का अध्ययन करना चाहिए जिन्होंने परीक्षा आयोजित की है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय में, सरकारी अधिवक्ता यह स्वीकार करते हैं कि जहां तक परीक्षाओं का प्रश्न है, उसमें कोई बाधा नहीं होगी। वकील उच्च न्यायालय को बताया कि, यहां तक कि क्वारंटाइन में उन लोगों के लिए, सीईटी परीक्षा आयोजित किए जाने पर पहले से ही अनिवार्य प्रक्रियाएं हैं।
यूजीसी के इस साल के अंत तक अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के आयोजन के निर्देशों को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है। याचिकाकर्ता बैंगलोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अंतिम वर्ष के इंजीनियरिंग स्नातक हैं।