जेईई मेन 2025 सेशन 1 परीक्षा का परिणाम 11 फरवरी को जारी किया गया था। इस परीक्षा में कुल 14 उम्मीदवारों ने 100 पर्सेंटाइल स्कोर किया। इन सभी को ऑल इंडिया रैंकिंग 1 हासिल हुई। रिजल्ट जारी होने के बाद अब कई स्टूडेंट की सक्सेस स्टोरी निकलकर सामने आ रही हैं। ऐसी ही एक स्टोरी हम आपके साथ साझा कर रहे हैं। दिल्ली में रह रहे छात्र स्पर्श दुबे की यह कहानी है जिन्होंने जेईई मेन्स में 99.75 पर्सेंटाइल के साथ टॉप किया है।
4 साल से दिल्ली में जेईई की तैयारी कर रहे थे स्पर्श
मूल रूप से प्रयागराज के रहने वाले स्पर्श दुबे 4 साल पहले परिवार के साथ प्रयागराज से दिल्ली आ गए थे। यहां स्कूल ऑफ एक्सीलेंस, खिचड़ीपुर में उनकी 9वीं क्लास से पढ़ाई शुरू हुई। 12वीं कक्षा के छात्र स्पर्श दुबे की बचपन से ही पढ़ाई में गहरी रुचि रही है। स्कूल में वह हमेशा एक स्मार्ट और होनहार छवि वाले छात्र रहे हैं। स्पर्श की शुरुआती पढ़ाई प्रयागराज के दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS), सेमफोर्ड स्कूल और सेमस्टार ग्लोबल स्कूल से पूरी हुई। इसके बाद नौवीं से बारहवीं तक उन्होंने दिल्ली के स्कूल ऑफ एक्सीलेंस (School of Excellence), खिचड़ीपुर से पढ़ाई की।
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आशीष नेहरा ने स्पर्श के टैलेंट को सराहा था
स्पर्श की पढ़ाई के अलावा क्रिकेट में भी दिलचस्पी है। वह क्रिकेट देखना बहुत पसंद करते हैं। बचपन में उन्होंने क्रिकेटर बनने का भी ख्वाब देखा था और यह लक्ष्य जीवन में रखा कि अगर क्रिकेटर नहीं बना तो इंजीनियर बनूंगा। स्पर्श स्कूल की क्रिकेट टीम का भी हिस्सा रहे हैं। टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर आशीष नेहरा ने स्पर्श के टैलेंट को सराहा था। आशीष नेहरा ने कहा था कि स्पर्श चीजों को जिस तरह गहराई से सोचता और समझता है, उससे वह एक इंजीनियर जैसा लगता है। स्पर्श के बारे में यह बातें उनके पिता ने बताई हैं।
बच्चों की शिक्षा की खातिर स्पर्श के पिता ने छोड़ा था प्रयागराज
स्पर्श के पिता संजय दुबे जनसत्ता (इंडियन एक्सप्रेस) में ही पत्रकार हैं। उन्होंने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा मुहैया कराने के लिए जीवन में कड़ा संघर्ष झेला है। संजय दुबे बच्चों की शिक्षा का खातिर ही पत्नी शशि के साथ प्रयागराज छोड़कर दिल्ली आ गए थे। दिल्ली आकर उनके सामने आर्थिक संकट सबसे बड़ी चुनौती थी, लेकिन उन मुश्किल परिस्थितियों में भी स्पर्श के पिता ने अपने बच्चों की शिक्षा में कोई कमी नहीं रहने दी। संजय दुबे का कहना है कि ईश्वर के आशीर्वाद और सभी के सहयोग से सब कुछ संभल गया। हम लोग स्पर्श और श्रेया के उज्ज्वल भविष्य के लिए सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं।
स्पर्श की उपलब्धि पर संजय दुबे ने क्या कहा?
बता दें कि संजय दुबे एक बेटी के पिता भी हैं। उनकी बेटी भी पढ़ाई में काफी होनहार है। स्पर्श की छोटी बहन श्रेया दुबे टेक्नोलॉजी में काफी तेज है और अभी आठवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही है। स्पर्श की उपलब्धि पर उनके पिता बेहद खुश हैं। जनसत्ता से बात करते हुए उन्होंने कहा है कि स्पर्श की इस उपलब्धि पर मुझे बेहद खुशी है, मैंने अपने बच्चों से जैसी उम्मीद की थी वह वैसे ही आगे बढ़ रहे हैं। संजय दुबे ने बताया कि स्पर्श ने हमेशा कहा था कि अगर वह क्रिकेटर नहीं बना तो इंजीनियर बनेगा और वह उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।