दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कुछ स्कूली छात्रों ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इन छात्रों ने अपनी याचिका में अदालत से मांग की है कि राजधानी में नवंबर से जनवरी के बीच होने वाली गंभीर प्रदूषण स्थिति के दौरान किसी भी आउटडोर खेल प्रतियोगिता, ट्रायल या कैंप का आयोजन न कराया जाए।
यह याचिका नाबालिग छात्रों ने अपने अभिभावकों के माध्यम से दायर की है। उनका कहना है कि वे दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में आयोजित होने वाली राज्य-स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं, कैंप और ट्रायल्स में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। इसलिए प्रदूषण के बीच उन्हें शारीरिक रूप से कठिन गतिविधियां करने के लिए मजबूर किया जाना उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध और अदालतों द्वारा भी मान्यता प्राप्त तथ्य है कि हर साल सर्दी के महीनों में दिल्ली “सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल” का सामना करती है। इसके बावजूद, स्कूल, इंटर-जोनल, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताएं इसी अवधि में आयोजित की जाती हैं, जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा करती हैं।
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता नवंबर से जनवरी के दौरान अक्सर “सीवियर” और “हैज़र्डस” श्रेणी में रहती है, फिर भी बार-बार इसी अवधि में खेल आयोजन निर्धारित किए जाते हैं। इससे बच्चों,जिन्हें संवेदनशील समूह माना जाता है को जहरीली हवा में तीव्र शारीरिक गतिविधि करनी पड़ती है, जो उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
छात्रों ने कोर्ट से मांग की है कि दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय और स्कूल फेडरेशन ऑफ इंडिया गेम्स को निर्देश दिया जाए कि वे सभी जोनल, इंटर-जोनल, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के आउटडोर खेल कार्यक्रमों को ऐसे महीनों में आयोजित करें जब हवा की गुणवत्ता सुरक्षित और बेहतर हो।
याचिका में यह भी बताया गया है कि याचिका दायर किए जाने के समय दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का तीसरा चरण लागू था और स्थिति चौथे चरण तक पहुंचने का जोखिम था। खराब हवा के कारण बच्चों में “फेफड़ों की वृद्धि में कमी”, संज्ञानात्मक क्षमता पर असर और तीव्र हृदय संबंधी समस्याएं उत्पन्न होने की आशंका बताई गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अदालत इस मामले पर जल्द सुनवाई कर सकती है।
