गुजरात के कॉलेज में अब सीनियर छात्र जूनियर की रैगिंग नहीं सर सकेंगे। मामले को लेकर गुजरा सरकार हाईकोर्ट पहुंची थी। गुजरात सरकार ने बुधवार को हाईकोर्ट को बताया कि उसने उच्च और तकनीकी शिक्षण संस्थानों में रैगिंग पर अंकुश लगाने के लिए एक आदेश जारी किया है और उन्हें इसका पालन करने के लिए कहा है।

मामले में महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध मायी की खंडपीठ को बताया कि सरकारी प्रस्ताव (जीआर) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा जारी नियमों के आधार पर जारी किया गया है।

गुजरात उच्च न्यायालय राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग की घटनाओं से निपटने के लिए एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। त्रिवेदी ने आगे कहा कि जहां तक मेडिकल कॉलेजों का सवाल है। सरकार भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) के नियमों के आधार पर अगले कुछ दिनों में जीआर दाखिल करेगी।

रैगिंग रोकने के लिए बनाए गए नियम

उन्होंने आगे कहा कि गुजरात शिक्षा विभाग ने 19 मार्च के जीआर के माध्यम से संस्थान, विश्वविद्यालय, जिला और राज्य स्तर पर रैगिंग विरोधी समितियों का गठन किया है। जीआर में कहा गया है, ‘‘गंभीरतापूर्वक विचार करने के बाद और उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग पर अंकुश लगाने के लिए गुजरात सरकार ने राज्य में उच्च और तकनीकी शिक्षा संस्थानों में रैगिंग के खतरे को रोकने के लिए नियम बनाने का निर्णय लिया है।’’

गुजरात के सभी विश्वविद्यालयों में लागू होगा नियम

त्रिवेदी ने अपने आवेदन में कहा कि गुजरात के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों जैसे विश्वविद्यालय और डीम्ड विश्वविद्यालय और सभी तकनीकी संस्थानों को रैगिंग पर अंकुश लगाने के लिए यूजीसी और एआईसीटीई नियमों का पालन करने का निर्देश दिया गया है। एक अखबार में तीन जनवरी 2023 को प्रकाशित एक खबर के अनुसार, वडोदरा के एक निजी मेडिकल कॉलेज के आर्थोपेडिक विभाग के तीन वरिष्ठ रेजिडेंट छात्रों को एक जूनियर छात्र की कथित रैगिंग की घटना के बाद जांच लंबित रहने तक निलंबित कर दिया गया था। माना जा रहा है कि यह फैसला इस घटना को ध्यान में रखते हुए किया गया है।