तीन लैंग्वेज फॉर्मूले पर राज्यों में उठने वाले विवादों के बीच रविवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने चेन्नई में इस नीति पर एक बड़ा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि, केंद्र किसी भी राज्य पर कोई भाषा नहीं थोपेगा।
तमिलनाडु और तीन लेंग्वेज पॉलिसी के कार्यान्वयन को लेकर उठे विवाद के बारे में पूछे जाने पर, आईआईटी मद्रास में थिंक इंडिया दक्षिणापथ शिखर सम्मेलन 2025 के दौरान प्रधान ने कहा, “भारत सरकार किसी भी राज्य पर कोई भाषा नहीं थोपेगी। यह राजनीति से प्रेरित है। वे समाज में भय का माहौल पैदा कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा: “तमिलनाडु में पहले से ही बहुभाषी कक्षाएं चल रही हैं। प्राथमिक शिक्षा में छात्र तीन भाषाएं तमिल, अंग्रेजी, तेलुगु सीख रहे हैं। तीन भाषाओं को लेकर मुद्दा कहाँ है? यह आपका (तमिलनाडु की डीएमके सरकार का) राजनीतिक रुख है।”
उन्होंने कहा, “एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020) किसी पर कोई भाषा नहीं थोप रही है। कक्षा 1 और 2 में दो भाषाएं होंगी, जिसमें एक मातृभाषा होगी और वह तमिल है। आप अपनी पसंद की कोई अन्य भाषा पढ़ा सकते हैं। कक्षा 6 से 10 तक, तीन भाषाएं होनी चाहिए, जिसमें एक मातृभाषा होगी और बाकी आपकी पसंद की होगी। कई राज्य सरकारें एनईपी से पहले ही तीन लेंग्वेज पॉलिसी लागू कर रही हैं।”
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी स्कूलों में तीन लेंग्वेज पॉलिसी लागू करने का आह्वान करती है लेकिन तमिलनाडु, जो द्विभाषा नीति का पालन करता है, ने इस आधार पर इसका विरोध किया है कि यह हिंदी “थोप” सकती है।
शिखर सम्मेलन में बोलते हुए प्रधान ने कहा, “कई भाषाएँ सीखने में कोई समस्या नहीं है। मैं तमिल सीखना चाहूंगा क्योंकि यह एक जीवंत सोच वाला समाज है जहां संगम साहित्य की कल्पना की गई थी, तिरुक्कुरल लिखा गया था और एक बहुत ही जीवंत और नवीन अर्थव्यवस्था है। मुझे तमिल सीखनी होगी लेकिन समझने के लिए मुझे अपनी मातृभाषा सीखनी होगी।”