देशभर में 11 अगस्त को आयोजित हुई नीट पीजी परीक्षा के पैटर्न को चुनौती देने वाली याचिका पर देश की सर्वोच्च अदालत 4 अक्टूबर को सुनवाई करेगी। बता दें कि NEET PG परीक्षा देने वाले कैंडिडेट्स के एक ग्रुप ने नेशनल बोर्ड ऑफ एजुकेशन फॉर मेडिकल साइंसेज (NBEMS) द्वारा निर्धारित एग्जाम पैटर्न को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में एग्जाम से ठीक तीन दिन पहले बदले गए पैटर्न को लेकर सवाल उठाए गए हैं।

इशिका जैन और अन्य द्वारा दायर याचिका में NEET PG 2024 की आंसर की और क्वेश्चन पेपर को जारी करने की मांग की गई है। इसके अलावा अंकों के मानकीकरण की मांग की गई है क्योंकि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए परीक्षा को दो भागों में विभाजित किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता विभा दत्ता मखीजा और अधिवक्ता तन्वी दुबे ने दावा किया है कि NBEMS ने परीक्षा से ठीक दिन पहले एग्जाम पैटर्न में बदलाव किया जो संदेह पैदा करता है। बता दें कि विभा दत्ता मखीजा और अधिवक्ता तन्वी दुबे सुप्रीम कोर्ट में नीट पीजी उम्मीदवारों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

कोर्ट में विभा दत्ता मखीजा ने कहा, “एक मानकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है,” और कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कोई नियम नहीं थे कि परीक्षा कैसे आयोजित की जाए। “सब कुछ एक ही सूचना बुलेटिन पर निर्भर था जिसे अधिकारियों की मर्जी और पसंद के अनुसार संशोधित किया जा सकता था।”

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने भी एग्जाम पैटर्न में किए गए बदलावों पर सवाल उठाए हैं। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने तीन न्यायाधीशों वाली पीठ की अध्यक्षता करते हुए कहा, “यह बहुत ही असामान्य है… परीक्षा से तीन दिन पहले (परीक्षा पैटर्न बदला गया)… छात्रों में निराशा होगी।” सीजेआई ने पूछा, “वे कह रहे हैं कि आपने नियम नहीं बनाए हैं, सब कुछ ब्रोशर के अनुसार होता है और परीक्षा से तीन दिन पहले, परीक्षा का पूरा पैटर्न बदल दिया जाता है। आप यह सब कैसे कर सकते हैं?”