महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन यानी मिड डे मील के लिए अंडे और चीनी के लिए मिलने वाली धनराशि को बंद करने की घोषणा की है। स्कूलों में छात्रों को अंडा और चीनी देने की पहल छात्रों में प्रोटीन की कमी को दूर करने के लिए नवंबर 2023 में की गई थी, जिसे मंगलवार 28 जनवरी को बंद करने का ऐलान कर दिया गया है। अब स्कूलों को खुद ही चंदा इकट्ठा करके अंडे और चीनी का इंतजाम करना होगा।

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने प्रत्येक अंडे के लिए प्रति छात्र 5 रुपये का अतिरिक्त बजट आवंटित किया था, जिसे बंद करने की घोषणा के साथ ही राज्य सरकार ने यह भी कहा कि जो स्कूल प्रबंधन समितियां अपने छात्रों को अंडे उपलब्ध कराने पर जोर देती हैं, उन्हें सार्वजनिक योगदान के माध्यम से इस सुविधा के लिए धन की व्यवस्था करनी होगी।

रिपोर्ट में लिखा है कि, “अंडे का पुलाव और चावल की खीर और नाचनी सातवा जैसे मीठे व्यंजन वैकल्पिक हैं, लेकिन स्कूलों को सार्वजनिक योगदान के माध्यम से चीनी और अंडे के लिए धन की व्यवस्था करनी होगी।”

Maharashtra No fund for eggs and sugar in mid-day meal: मिड डे मील में कब शामिल किया गया था अंडा

नवंबर 2023 में महाराष्ट्र सरकार ने मध्याह्न भोजन योजना में अंडे शामिल किए। छात्रों को सप्ताह में एक बार – बुधवार या शुक्रवार को उबले अंडे, अंडे का पुलाव या अंडा बिरयानी परोसा जाता था। अन्य दिनों में, उन्हें चावल और दाल से बनी खिचड़ी दी जाती थी और रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के तहत ही अंडे को मील में शामिल किया गया था।

इस योजना के तहत, ग्रामीण क्षेत्रों में, स्कूल प्रबंधन समितियों को अंडे खरीदने और हर बुधवार या शुक्रवार को उबले अंडे, अंडे का पुलाव या अंडा बिरयानी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था। नवंबर 2023 को जारी जीआर में यह भी कहा गया है कि जो बच्चे शाकाहारी हैं, उन्हें केला या कोई भी फल दिया जाएगा। मध्याह्न भोजन योजना कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए लागू की गई थी।

Maharashtra, No fund for eggs and sugar in mid-day meal: अंडे पर होता है सालाना 50 करोड़ का खर्च

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार 24 लाख स्कूली बच्चों को प्रति सप्ताह एक अंडा उपलब्ध कराने के लिए सालाना 50 करोड़ रुपये खर्च करती है। संशोधित भोजन योजना में 10 अलग-अलग व्यंजन शामिल होंगे, जिन्हें कच्चे माल के लिए आवंटित मौजूदा फंड का उपयोग करके तैयार किया जा सकता है।