अब उद्योग के परखने पर आपका दाखिला होगा। अगर दाखिला पाने में सफल होते हैं तो पढ़ते हुए ही कमाओगे और पढ़ाई के बाद आपको पाठ्यक्रम के लिए चुनने वाले उद्योग अच्छे वेतन वाला रोजगार प्रदान करेगा। कौशल विश्वविद्यालयों के नूतन प्रयोग ने कक्षा की पढ़ाई और उद्योगों के कार्य को एक ही माला का मोती बना दिया है। दोनों एक दूसरे का संबल बनने से विद्यार्थियों का रोजगार क्षेत्र में महत्त्व बढ़ा है और इस प्रयोग से पढ़ाई और रोजगार भी एक माल के मनके बन चुके हैं।
पढ़ाई पूरी करने और नौकरी मिलने के बीच समय में अंतर न हो। यानी जैसे ही पढ़ाई खत्म हो तो नौकरी मिल जाए। ऐसी हसरत हर विद्यार्थी के मन में होती है। प्रतियोगिता के इस युग में यह चाह और भी कहीं अधिक बढ़ गई है। विद्यार्थियों की इस अभिलाषा को पूरा करने के लिए नए जमाने की जरूरतों के मुताबिक विश्वविद्यालय की पढ़ाई का स्वरूप भी अब बदल रहा है।
आश्चर्य की बात यह है कि इस नई व्यवस्था वाले विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों का दाखिले के वक्त ही सीधा अपने रोजगारदाता से जुड़ाव हो जाता है। दाखिले के लिए आधी परीक्षा विश्वविद्यालय लेता है तो आधार इम्तिहान उद्योग के प्रतिनिधि लेते हैं। यहीं से आपकी काबलियत उद्योग की नजर में आने लगती है।
विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रम के दौरान ही उद्योग आपको काम पर बुलाते हैं और वो भी एक सम्मानजनक मेहनताना देकर जिसे ‘आन द जाब ट्रेनिंग’ का नाम दिया गया है। वहीं से विद्यार्थी के रोजगार के लिए जमीन तैयार होने लग जाती है। आप भी ऐसे संस्थान में दाखिला लेकर अपनी रोजगार की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं।
इस तरह का नया प्रयोग वाले विश्वविद्यालयों की शुरुआत हरियाणा से ही हुई। पलवल में देश का पहला सरकारी कौशल विश्वविद्यालय ‘श्रीविश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय’ 2017 में स्थापित हुआ। देश के अन्य विश्वविद्यालयों में दिल्ली का दिल्ली कौशल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय, असम का असम कौशल विश्वविद्यालय, सिक्किम का सिक्किम कौशल विश्वविद्यालय, जयपुर का भारतीय कौशल विकास विश्वविद्यालय आदि शामिल है।
श्रीविश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय का ढांचा ऐसा बनाया गया है कि उद्योग और विश्वविद्यालय की कक्षा एक सिक्के के दो पहलू हो गए हैं। विद्यार्थी को ऐसा लगता है कि वो अपने रोजगारदाता के निर्देशन और उसकी अपेक्षाओं के अनुसार तैयार हो रहा है और रोजगार देने वाले उद्योग को यह विश्वास जगा है कि बदलते समय का यह विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को उद्योग उपयोगी शिक्षा दे रहे हैं। श्रीविश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय करीब 43 विभिन्न पाठ्यक्रम संचालित कर रहा है। इसमें डिप्लोमा और डिग्री स्तर के पाठ्यक्रम हैं। इसमें प्रबंधन, इंजीनियरिंग, अप्लाइड साइंस व मानविकी सम्मिलित है।
रुचिकर बात यह है कि 10वीं पास विद्यार्थी ही यहां विभिन्न प्रकार के 15 डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में दाखिला ले सकते हैं। तीन साल के डिप्लोमा के दौरान एक साल तो विद्यार्थी उद्योग में बिताएंगे। यहां वो न केवल व्यावहारिक काम सीखेंगे, बल्कि उन्हें हर माह एक सम्मानजन वजीफा भी मिलेगा। डिप्लोमा में इलेक्ट्रानिक्स, मैन्युफैक्चरिंग, कंप्यूटर साइंस और उपकरण से जुड़े कई पाठ्यक्रम हैं।
इंजीनियरिंग डिग्री और भाषा से जुड़े पाठ्यक्रम में भी यहां के विद्यार्थी पाठ्यक्रम के दौरान उद्योग में काम करते हुए सीखने और कमाने दोनों कार्य करेंगे। यही कारण है कि इस संस्थान ने नारा दिया है- ‘सीखो, कमाओ और अपनी पहचान बनाओ।’ पढ़ाई पूरी होने पर डिप्लोमा धारक विद्यार्थी ही 25 से 30 हजार रुपए से नौकरी की शुरुआत कर पाते हैं।
श्रीविश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति राज नेहरू का कहना है कि देश की पहली कौशल विश्वविद्यालय होने के नाते हमने कौशल शिक्षा के माडल को तैयार किया है। इस अनुपम माडल में कक्षा को सीधे उद्योग के साथ जोड़ा है। इस दोहरे एकीकृत माडल के कारण विद्यार्थी पढ़ाई और सिखाना दोनों साथ-साथ कर रहे हैं। श्रीविश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय का नारा भी है, ‘सीखो कमाओ और अपनी पहचान बनाओ।’ इसी हिसाब से हर पाठ्यक्रम में ‘आन द जाब ट्रेनिंग’ को सम्मिलित किया है।
- प्रदीप कुमार राय (शिक्षक, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय)