केंद्रीय विद्यालयों में फिर से सांसद कोटा शुरू किए जाने की अटकलों पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने संसद में जवाब दिया है। सोमवार को उन्होंने एक लिखित जवाब में कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में दाखिले के लिए सांसद कोटा को फिर से शुरू करने का कोई प्रस्ताव फिलहाल सरकार के विचाराधीन नहीं है। उन्होंने अपने जवाब में कहा, ‘‘केंद्रीय विद्यालय संगठन ने सांसद कोटा सहित कुछ विशेष प्रावधानों को वापस ले लिया, जो कक्षा की स्वीकृत सीट संख्या के अतिरिक्त था और छात्रों की शिक्षा को प्रभावित कर रहा था।’’

क्यों खत्म हुआ था कोटा?

धर्मेंद्र प्रधान ने आगे कहा कि यह कोटा कक्षा की स्वीकृत सीट संख्या से अतिरिक्त था और इसलिए बेहतर छात्र-शिक्षक अनुपात (पीटीआर) को बनाए रखते हुए प्रणाली में गुणात्मक परिवर्तन लाने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के दृष्टिकोण के अनुरूप वांछित शिक्षण परिणाम प्राप्त करने के लिए इन्हें समाप्त कर दिया गया। था।

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केंद्रीय विद्यालयों में क्या था सांसद कोटा?

बता दें कि जब तक यह कोटा था तो एक सांसद को किसी केंद्रीय विद्यालय में 10 बच्चों के दाखिले के लिए सिफारिश करने का विशेषाधिकार प्राप्त था। यहां तक ​​कि जिलाधिकारी को भी प्रायोजक प्राधिकरण कोटे के तहत 17 छात्रों के प्रवेश के लिए सिफारिश करने की शक्ति थी। लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 245 सदस्य इस कोटे के तहत एक साल में कुल 7,880 बच्चों के दाखिले की सिफारिश कर सकते थे, लेकिन 2022 में केंद्र सरकार ने इस कोटे को खत्म कर दिया था।

कोटा खत्म होने से पहले कितने होते थे एडमिशन?

यह कोटा खत्म होने से पहले सांसदों की सिफारिश पर केंद्रीय विद्यालयों में बच्चों के एडमिशन सीमित संख्या से ऊपर पहुंच जाते थे। आंकड़ें बताते हैं कि वर्ष 2018-19 में सांसद कोटे के तहत कुल 8,164 एडमिशन हुए थे। इसी तरह वर्ष 2019-20 में एमपी कोटे से 9411 एडमिशन हुए, तो वहीं 2020-21 में कुल 12,295 बच्चों के दाखिलेहुए। हालांकि साल 2021-22 में एमपी कोटे के तहत कुल 7301 एडमिशन हुए।