JNU disciplinary fines controversy: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भले ही हाल के वर्षों में छात्र आंदोलनों और विरोध प्रदर्शनों की संख्या में कमी आई हो, लेकिन अनुशासनिक जुर्मानों का सिलसिला लगातार जारी है। द इंडियन एक्सप्रेस (The Indian Express) द्वारा प्राप्त आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2016 से अब तक विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों से 30 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना वसूला है।
पूर्व कुलपति एम. जगदीश कुमार (2016–2022) के कार्यकाल में जेएनयू ने लगभग 22 लाख रुपये का जुर्माना वसूला था, जिसमें सबसे अधिक राशि 9 लाख रुपये से अधिक है जो वर्ष 2018 में एकत्र की गई। अब उनकी उत्तराधिकारी संतिश्री धूलिपुड़ी पंडित के कार्यकाल में भी यह प्रवृत्ति जारी है। अब तक उनके कार्यकाल के बीच में ही विश्वविद्यालय ने 14 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना वसूल लिया है, जो उनके पूर्ववर्ती के पूरे कार्यकाल में वसूली गई कुल राशि का आधे से भी ज्यादा है।
छात्रों पर भारी पड़े जुर्माने
छात्रों पर लगाए जाने वाले इन जुर्मानों का असर बेहद गंभीर है। उदाहरण के लिए, अधिकतम 20,000 रुपये का जुर्माना उस छात्र के वार्षिक शुल्क से 40 गुना अधिक है, जो आर्ट फैकल्टी में मात्र 500 रुपये वार्षिक फीस देता है। यह जुर्माना कैंपस संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, अवैध प्रवेश में सहयोग करने, हिंसा करने या प्रशासनिक कार्यों में बाधा डालने जैसे मामलों में लगाया जाता है।
नया अनुशासन मैनुअल
इन सभी प्रावधानों को अब एक नए ‘चीफ प्रॉक्टर ऑफिस मैनुअल’ में औपचारिक रूप दिया गया है। 2023 में विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने इस मैनुअल को मंजूरी दी। इसमें छात्र आचरण से संबंधित विस्तृत नियमों के साथ-साथ सजा और जुर्माने के प्रावधान तय किए गए हैं।
मैनुअल के तहत अब प्रशासनिक भवनों से 100 मीटर के भीतर प्रदर्शन, बिना अनुमति सभा या कार्यक्रम आयोजित करने, या कुलपति आवास के पास विरोध करने पर भी सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
यहां तक कि बिना अनुमति आयोजित फ्रेशर या फेयरवेल पार्टियों पर 6,000 रुपये तक जुर्माना या कम्युनिटी सर्विस की सजा दी जा सकती है, जिसमें सबसे न्यूनतम सजा 500 रुपये जुर्माना या सामुदायिक सेवा अब कैंपस में अनधिकृत स्थानों पर धूम्रपान के लिए तय की गई है।
छात्रों और संगठनों का विरोध
छात्र संगठन इस मैनुअल को लेकर नाराज हैं। जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष नितीश कुमार ने इसे “तानाशाहीपूर्ण और मनमाना” बताया और कहा कि प्रशासन ने इसे “वसूली का जरिया” बना लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि हाल ही में सेंट्रल लाइब्रेरी में निगरानी प्रणाली के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले कई छात्रों पर 20,000 रुपये तक के जुर्माने लगाए गए।
आरएसएस समर्थित एबीवीपी ने भी प्रशासन से टकराव का रुख अपनाया है। संगठन ने इस मैनुअल को “तानाशाहीपूर्ण और छात्र विरोधी” करार दिया। एक एबीवीपी सदस्य ने कहा, “जेएनयू हमेशा बहस और स्वतंत्र अभिव्यक्ति की जगह रहा है, लेकिन यह मैनुअल उस भावना पर हमला है।”
प्रशासन का पक्ष
कुलपति संतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने इस विषय पर टिप्पणी नहीं की, हालांकि पहले वह कह चुकी हैं कि मैनुअल नया नहीं है, बल्कि उसे केवल “कानूनी रूप से सशक्त बनाने के लिए परिष्कृत किया गया” है।
