2 दिन के बाद देशवासी 79वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाएंगे। देशभर में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। इस मौके पर इन कार्यक्रमों में ध्वजारोहण का प्रोग्राम रखा जाता है और सभी मिलकर राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ गाते हैं। हम बचपन से राष्ट्रगान को गाते आए हैं। राष्ट्रगान को लेकर कुछ बातें हमें बचपन से बताई जाती हैं जैसे राष्ट्रगान को खड़े होकर सावधान की मुद्रा में गाना चाहिए। इसके अलावा यह भी बताया जाता है कि हमारे देश का राष्ट्रगान विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार और दार्शनिक रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहली बार हमारे राष्ट्रगान को कब, कहां और किसने गाया गया था?

कब और कहां गाया गया था राष्ट्रगान?

अगर आप यह नहीं जानते हैं तो इस आर्टिकल में हम आपको पूरी जानकारी देंगे। भारत का राष्ट्रगान सन 1905 में सबसे पहले बंगाली भाषा में लिखा गया था। इसे रविंद्र नाथ टैगोर ने लिखा था। जन-गण-मन को भारतीय राष्ट्रगान के रूप में संविधान सभा ने 24 जनवरी 1950 को अपनाया था, लेकिन इसे पहली बार इससे काफी पहले गाया गया था। भारतीय राष्ट्रगान पहली बार 27 दिसंबर 1911 को कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में गाया गया था।

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पहली बार किसने गाया था भारतीय राष्ट्रगान?

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में राष्ट्रगान पहली बार गाया गया था। उस वक्त इसे एक महिला ने गया था और उस महिला का नाम सरला देवी था। सरला देवी चौधरानी के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे, लेकिन आपको बता दें कि इनका कनेक्शन रवींद्रनाथ टैगोर से था। सरला देवी उनकी भांजी (बहन की बेटी) थी।

राष्ट्रगान से जुड़े कुछ जरूरी नियम जान लीजिए

राष्ट्रगान के शब्दों का उच्चारण हमेशा सही होना चाहिए।

राष्ट्रगान को 52 सेकेंड में पूरा कर लेना चाहिए।

राष्ट्रगान जिस समय बज रहा हो उस दौरान आसपास शांत माहौल होना चाहिए। इस दौरान किसी दूसरे गानों की आवाज या किसी भी तरह का शोर नहीं होना चाहिए।

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राष्ट्रगान जिस समय गाया जाए उस दौरान सभी को सावधान मुद्रा में खड़े रहना चाहिए।

अधिकतर मौकों पर राष्ट्रगान खुले आसमान के नीचे गाया जाना चाहिए।

यह है भारत का राष्ट्रगान

जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता।

पंजाब-सिन्धु-गुजरात-मराठा
द्राविड़-उत्कल-बंग

विंध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग

तब शुभ नामे जागे, तब शुभ आशिष मांगे
गाहे तब जय-गाथा।

जन-गण-मंगलदायक जय हे भारत भाग्य विधाता
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।