देश का सबसे पुराना इंजीनियरिंग संस्थान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आइआइटी)175 साल पूरे कर 176 वें साल में प्रवेश कर रहा है। यह प्रौद्योगिकी संस्थान 176 साल का गौरवमयी इतिहास समेटे हुए है। यह 1847 में ‘थामसन कालेज आफ सिविल इंजीनियरिंग’ के तौर पर स्थापित हुआ था। देश को आजादी मिलने के बाद इस कालेज को 1948 में रुड़की विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था।
24 से अधिक संकायों का संचालन कर रहा है संस्थान
9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य बनने के बाद 2001 में इसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) में तब्दील कर दिया गया। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान हरिद्वार से कानपुर तक निकलने वाली उत्तरी गंग नहर का निर्माण जब शुरू हुआ तो तब लेफ्टिनेंट गवर्नर जेम्स थामसन ने कालेज की स्थापना की थी ताकि गंग नहर के निर्माण में इंजीनियरों और सर्वेक्षकों की मदद की जा सके। अपनी स्थापना से लेकर आज तक 175 वर्षों में इस संस्थान ने देश को तकनीकी मानव संसाधन और जानकारी देने में अहम भूमिका निभाई है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की देश के आइआइटी संस्थानों में पांचवें स्थान पर आता है। वहीं यह संस्थान ‘क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2024’ में 369वें स्थान पर है।
24 से अधिक संकायों का संचालन कर रहा है संस्थान
176 साल पूर्व जब इस संस्थान की स्थापना की गई थी तब इसमें केवल सिविल इंजीनियरिंग से जुड़े गिने-चुने संकाय ही थे और आज यह संस्थान 24 से ज्यादा संकायों का संचालन कर रहा है। इनमें प्रमुख रूप से अनुप्रयुक्त विज्ञान एवं अभियांत्रिकी, जैव विज्ञान एवं जैव अभियांत्रिकी,डिजाइन विभाग,जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन,बी आर्क, नैनो प्रौद्योगिकी, आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन,परिवहन प्रणालियां, विद्युत अभियंत्रण, इलेक्ट्रानिक्स एवं संचार अभियांत्रिकी, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान, रासायनिक अभियांत्रिकी, रसायनिकी विभाग, कंप्यूटर साइंस एवं अभियांत्रिकी , भूकम्प अभियांत्रिकी, कागज प्रौद्योगिकी, पालिमर एवं प्रोसेस अभियांत्रिकी भौतिकी विभाग, जल विज्ञान विभाग, जल एवं नवीकरणीय ऊर्जा,प्रबंधन विभाग, गणित विभाग,यान्त्रिकी एवं औद्योगिक अभियांत्रिकी आदि शामिल हैं।
रक्षा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा संस्थान
संस्थान के निदेशक प्रोफेसर केके पंत ने छात्रों से कहा कि संस्थान में छात्रों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा एवं गणित सभी क्षेत्रों में समान अवसर दिए जा रहे हैं। एनआइआरएफ रैंकिंग-2023 में आइआइटी रुड़की को भारत में वास्तुकला एवं नियोजन के शीर्ष संस्थानों के रूप में स्थान मिला है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के कार्यान्वयन में भी संस्थान सबसे आगे है।
संस्थान ने हाल ही में एनईपी-2020 के अनुरूप अपने स्रातक पाठ्यक्रम को संशोधित किया है। इसका उद्देश्य छात्रों की वैश्विक आकांक्षाओं के साथ तालमेल बनाए रखना है। साथ ही यह संस्थान अंतरिक्ष और रक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके लिए कई स्तरों पर कार्य हो रहा है। सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के साथ भी संस्थान एक परियोजना पर कार्य कर रहा है। उद्योगों की जो समस्या है उसका निराकरण कैसे किया जाए, उस पर कार्य चल रहा है। जल की बर्बादी को रोकने के लिए संस्थान व्यापक स्तर पर कार्य कर रहा है। अभियांत्रिकी को जनहित के कार्यों में प्रयोग करने का एक अद्भुत और अनोखा प्रयोग संस्थान में हो रहा है। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर पंत का कहना है कि हम अपने संस्थान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 369 वीं रैंकिंग से 250 वीं रैंकिंग पर लाने के लिए प्रयासरत हैं। देश में हमारा यह संस्थान शीर्ष स्थान पर स्थापित हो इसी दिशा में हम कार्य कर रहे हैं।
इस साल दीक्षांत समारोह में 1916 उपाधियां प्रदान की गईं
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की में इस बार दीक्षांत समारोह में 1916 उपाधियां विभिन्न विषयों में छात्र छात्राओं को प्रदान की गर्इं। जिनमें 1077 स्रातक, 685 परास्रातक एवं 154 पीएचडी शामिल थीं। 155 छात्रों के बीच कुल 125 पदक एवं नगद पुरस्कार वितरित किए गए। उपाधि धारियों में से 46 छात्र छात्राओं को स्वर्ण पदकों से सम्मानित किया गया, जिनमें विभिन्न विभागों के स्वर्ण पदकों के साथ-साथ राष्ट्रपति स्वर्ण पदक, निदेशक स्वर्ण पदक एवं भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा स्वर्ण पदक जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार सम्मिलित हैं।