इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, अहमदाबाद ने इस बात के संकेत दिए हैं कि वह साल 2025 से पीएचडी कोर्सेस में रिजर्वेशन को लागू करेगा। यह मांग लंबे समय से वैश्विक IIM पूर्व छात्र नेटवर्क की ओर से की जा रही है। अब लगता है कि इस मांग के पूरे होने का वक्त आ गया है। IIMA द्वारा पिछले हफ्ते के आखिर में जारी किए गए डॉक्टरेट कार्यक्रमों के लिए ऑनलाइन आवेदनों के दिशानिर्देश में कहा गया है, “प्रवेश के दौरान आरक्षण के लिए भारत सरकार के दिशानिर्देशों का पालन किया जाता है।”
आईआईएम अहमदाबाद में ही लागू नहीं था आरक्षण
IIMA में ऑनलाइन आवेदन 19 सितंबर को शुरू हुए और 20 जनवरी तक स्वीकार किए जाएंगे। सभी 20 IIM में से IIM अहमदाबाद ही आरक्षण लागू करने वाला एकमात्र बचा हुआ संस्थान था। 2021 में, वैश्विक IIM पूर्व छात्र नेटवर्क के सदस्य अनिल वागड़े ने IIMA के पीएचडी कार्यक्रमों में आरक्षण लागू करने की मांग करते हुए गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया था।
क्या गया था जनहित याचिका में?
जनहित याचिका में कहा गया कि 1971 में शुरू हुए IIM अहमदाबाद में पीएचडी कार्यक्रम में आरक्षण प्रदान नहीं करना संवैधानिक प्रावधानों, केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानदंडों का उल्लंघन है। इसमें कहा गया कि 20 में से कम से कम 15 आईआईएम इसी तरह के कार्यक्रमों में आरक्षण प्रदान करते हैं।
कोर्ट में IIMA ने क्या कहा?
इसके बाद IIM अहमदाबाद ने पिछले साल गुजरात उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया कि वह 2025 से शुरू होने वाले शैक्षणिक वर्ष में डॉक्टरेट कार्यक्रमों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के साथ-साथ विकलांग उम्मीदवारों के लिए सीटों का आरक्षण लागू कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट जाने की प्लानिंग थी IIM पूर्व छात्र नेटवर्क की
एक्सप्रेस से बात करते हुए अनिल वागड़े ने कहा कि अगर तीन हफ़्ते पहले IIMA निदेशक को भेजे गए हालिया अनुस्मारक के बाद भी आरक्षण लागू नहीं किया गया तो हम सुप्रीम कोर्ट जाने की योजना बना रहे थे क्योंकि संस्थान ने पिछले साल जमा किए गए अपने हलफ़नामे में आरक्षण लागू करने की तारीख का उल्लेख नहीं किया था। हालाँकि इसका मौखिक रूप से उल्लेख किया गया था लेकिन हलफ़नामे में नहीं।”
