हरियाणा में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया का संचालन कर रहे हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) की कार्यशैली और इस भर्ती के लिए तैयार की गई चयन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल, असिस्टेंट प्रोफेसर (कॉलेज कैडर) के अंग्रेजी विषय के लिए आयोजित किए गए नॉलेज टेस्ट में सिर्फ 151 कैंडिडेट ही पास हो पाए हैं जबकि आयोग ने 613 रिक्त पदों के लिए यह भर्ती निकाली थी। परिणामस्वरूप 75 फीसदी सीटें खाली रह गई हैं। इस स्थिति ने इस भर्ती की चयन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

2200 से अधिक कैंडिडेट्स ने दी थी यह परीक्षा

एचपीएससी असिस्टेंट प्रोफेसर (कॉलेज कैडर) भर्ती के तहत आयोजित हुए अंग्रेजी विषय के नॉलेज टेस्ट का रिजल्ट मंगलवार (2 दिसंबर 2025) को जारी किया गया था। इस परीक्षा में 2200 से अधिक उम्मीदवार उपस्थित हुए थे। यह नॉलेज टेस्ट 613 रिक्तियों के लिए आयोजित हुआ था, लेकिन इस परीक्षा में सिर्फ 151 उम्मीदवार ही जरूरी मिनिमम 35 परसेंट मार्क्स ला पाए हैं।

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151 कैंडिडेट देंगे इंटरव्यू

इस रिजल्ट के बाद एक्टिविस्ट और कई नेताओं ने आयोग की कार्यशैली और चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। UGC-NET, JRF और दूसरे टॉप कॉम्पिटिटिव एग्जाम पास करने वाले कैंडिडेट सब्जेक्ट नॉलेज टेस्ट में क्वालिफाई करने के लिए ज़रूरी मिनिमम 35 परसेंट मार्क्स कैसे नहीं ला पाए? जिन 151 उम्मीदवारों ने नॉलेज टेस्ट को पास किया है वह अब अगले राउंड यानी इंटरव्यू में पहुंच गए हैं। माना जा रहा है कि उन सभी उम्मीदवारों का चयन लगभग पक्का है क्योंकि 75 फीसदी सीटें तो वैसे भी खाली रह जाएंगी।

8 जून को हुई थी प्रोसेस की शुरुआत

इस भर्ती अभियान की शुरुआत 8 जून को हुए स्क्रीनिंग टेस्ट से हुई थी जो 100 मार्क्स का MCQ वाला एक ऑब्जेक्टिव एग्जाम था। लगभग 4,500 लोग शामिल हुए, जिनमें से लगभग 2,000 को सब्जेक्ट नॉलेज टेस्ट के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया – यह 150 मार्क्स का एक डिस्क्रिप्टिव एग्जाम है।

पेपर में गड़बड़ी या फिर कठिन था पेपर?

इस भर्ती अभियान में इतनी बड़ी संख्या में सीटें खाली रह जाना न केवल चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि परीक्षा में कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ी भी हुई है। वहीं एक्सपर्ट का यह भी मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर उम्मीदवारों का न्यूनतम अंक भी प्राप्त नहीं कर पाना परीक्षा के कठिनाई लेवल को दर्शाता है। इस रिजल्ट से उम्मीदवारों में भी निराशा है। अधिकतर उम्मीदवारों का कहना है कि पेपर का स्तर पीएचडी या NET की तुलना में भी अधिक कठिन था।