विज्ञान की भूमिका शोध से आगे बढ़कर व्यावसायिक दुनिया तक पहुंच चुकी है। विभिन्न प्रकार के खनिजों और पेट्रोलियम पदार्थों की खोज और उनके उत्पादन में लगी कंपनियों में भूविज्ञान के पेशेवरों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। वह किसी स्थान विशेष पर जल संसाधनों की उपलब्धता का मूल्यांकन करने का भी काम करते हैं। यही नहीं वह भूगर्भ में होने वाली हलचलों के अध्ययन से भूस्खलन, भूकंप, बाढ़ और ज्वालामुखी विस्फोट आदि प्राकृतिक आपदाओं का पूवार्नुमान लगाने में भी सहायता करते हैं। पेशेवर दुनिया में इन्हें भूविज्ञानी कहा जाता है।

पाठ्यक्रम 
स्नातक पाठ्यक्रम
विज्ञान विषयों (भौतिक, रसायन और गणित) से बारहवीं पास करने के बाद भूविज्ञान के स्नातक पाठ्यक्रम दाखिला मिल सकता है। दाखिले की प्रक्रिया विश्वविद्यालय अपने अनुसार निर्धारित करते हैं। कुछ संस्थानों में दाखिला 12वीं के अंकों के आधार पर तैयार योग्यता सूची से होता है, तो कुछ में प्रवेश परीक्षा के माध्यम से। प्रमुख पाठ्यक्रमों में बीएससी (प्रायौगिक भूविज्ञान), बीएससी (पर्यावरणीय भूविज्ञान), बीएससी (भूविज्ञान एवं जल प्रबंधन), बीएससी (भूविज्ञान), बीएससी (आॅनर्स) भूविज्ञान आदि शामिल हैं।
स्नातकोत्तर/डिप्लोमा पाठ्यक्रम
भूविज्ञान या उससे संबंधित विषयों में स्नातक उपाधि हासलि करने के बाद स्नातकोत्तर या पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम में दाखिला लिया जा सकता है। इसके लिए स्नातक में प्राप्त अंकों और प्रवेश परीक्षा को आधार बनाया जाता है। एमए (भूविज्ञान), एमएससी (प्रायौगिक भूविज्ञान), एमएससी (भूविज्ञान), एमएससी (पेट्रोलियम भूविज्ञान), पीजी डिप्लोमा इन भूजल भूविज्ञान, पीजी डिप्लोमा इन जलीय भूविज्ञान आदि पाठ्यक्रम किए जा सकते हैं।

भूविज्ञानी के कार्य
भूगर्भीय प्रक्रियाओं का शोध
भूस्खलन, भूकंप, बाढ़ और ज्वालामुखी विस्फोट आदि आपदाएं धरती की गहराइयों में होने वाली भूगर्भीय हलचलों की वजह से आती हैं। इनसे जानमाल को होने वाली क्षति को कम करने के लिए भूविज्ञानी काम करते हैं। वे इन आपदाओं की पृष्ठभूमि में चलने वाली प्रक्रियाओं का शोध करते हैं। इससे किसी क्षेत्र विशेष में भूकंप की आशंका का आकलन संभव हो पाता है। फिर इसके अनुसार उस स्थान पर किसी इमारत या ढांचागत निर्माण के डिजाइन और सुरक्षा उपायों को मूर्त रूप दिया जा सकता है। इसी तरह वह बाढ़ से प्रभावित रहने वाले क्षेत्रों का नक्शा तैयार करके भविष्य में इसकी जद में आने वाले क्षेत्रों का पूवार्नुमान लगा सकते हैं। इससे योजनाकारों को तय करने में मदद मिलती है कि कहां और किस पैमाने पर बचाव के उपाय करने हैं। कुल मिलाकर भूविज्ञानी प्राकृतिक आपदाओं से लोगों की जान बचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भूगर्भीय पदार्थों का शोध
लोगों की हर दिन की आवश्यकताएं पानी, खनिज तेल और धातुओं से पूरी होती हैं, इन्हें भूगर्भीय पदार्थ कहते हैं। भूविज्ञानी शोध के माध्यम से धरती के उन क्षेत्रों का पता लगाते हैं, जहां खनिजों और व्यावसायिक उपयोग के पदार्थों के भंडार हों। इसी तरह वह पेट्रोलियम पदार्थों और भूजल का भी पता लगाते हैं।

पृथ्वी के इतिहास का अध्ययन
पृथ्वी के अलग-अलग हिस्सों में जलवायु परिवर्तन के कुछ असामान्य रूप देखने को मिल रहे हैं। इनकी वजह जानने के लिए भूविज्ञानी कई सालों से जलवायु का अध्ययन कर रहे हैं। इससे भविष्य में होने वाले मौसम संबंधी परिवर्तनों का अनुमान लगा सकते हैं। इसके अलावा विज्ञान की इस शाखा से पृथ्वी के इतिहास का भी पता लगाया जाता है जैसे पृथ्वी की उम्र, पृथ्वी की विभिन्न सतहों व महाद्वीपों में हुए परिवर्तन आदि।

वेतनमान
भूविज्ञान विषय में स्नातक करने के बाद किसी कंपनी या संस्था में नौकरी शुरू करने पर ढाई से तीन लाख रुपए सालाना वेतन मिल जाता है। स्नातकोत्तर या पीजी डिप्लोमा करने के बाद इसमें 40 से 45 फीसद तक का वृद्धि हो जाती है। इस स्तर पर न्यूनतम सालाना वेतन चार लाख रुपए तक पहुंच सकता है। सरकारी क्षेत्र की कंपनियों और संगठनों में वेतन सरकार की ओर से निर्धारित वेतनमान के अनुसार मिलता है। सरकारी कंपननियों में 16 हजार से 50 हजार रुपए तक प्रति माह वेतन मिल सकता है।

यहां से कर सकते हैं पढ़ाई
अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
उत्कल विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर
अन्नामलाई विश्वविद्यालय, तमिलनाडु<br /> कलकत्ता विश्वविद्यालय, कोलकाता<br /> पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़
दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय, डिब्रूगढ़
पटना विश्वविद्यालय, पटना
रांची विश्वविद्यालय, रांची

रोजगार के मौके
भूविज्ञान की पढ़ाई करने के बाद सरकारी और निजी क्षेत्र के संस्थानों में काम करने के विकल्प मिलते हैं। प्राकृतिक संसाधनों की खोज, उत्पादन और वितरण से जुड़ी निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में हर साल भूविज्ञान के पेशेवरों की नियुक्ति करती हैं। पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर सलाह देने के काम में जुटी परामर्श फर्म और एनजीओ में भी भूविज्ञान के पेशेवरों की मांग होती है। जियोलॉजिक सर्वे आॅफ इंडिया और सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड जैसे सरकारी क्षेत्र के शोध संगठनों में भी भू-विज्ञानी की नियुक्ति की जाती है। इसके लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षा आयोजित करता है। शिक्षण कार्य में रुचि होने पर कॉलेजों या विश्वविद्यालयों से असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में जुड़ा जा सकता है।