विद्यालयों में अक्सर शिक्षकों का ध्यान उन मेधावी विद्यार्थियों पर अधिक रहता है, जो पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं और उन्हीं को आगे बढ़ने के ज्यादा अवसर मिलते हैं। इस दौड़ में कई बार कमजोर समझे जाने वाले विद्यार्थी पीछे छूट जाते हैं। केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के गुवाहाटी संभाग ने इस समस्या का समाधान एक रोचक पहल ‘ईच वन, रीच वन’ शुरू करके निकाला है। इस पहल का सकारात्मक असर सैकड़ों विद्यार्थियों के जीवन पर दिख रहा है। इस पहल से जुड़े नौवीं से बारहवीं तक के 99.9 फीसद विद्यार्थियों ने परीक्षा में सफलता हासिल की।

केवीएस के एक अधिकारी के मुताबिक, गुवाहाटी संभाग में शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में ‘ईच-वन-रीच-वन’ एक पहल शुरू की। इस पहल के साथ ऐसे बच्चों को जोड़ा गया है, जिन्हें अक्सर अपेक्षा से कम प्रदर्शन करने वाला समझा जाता था। कुछ कक्षा की भीड़ में खो गए थे, तो कुछ को असावधान, विघ्नकारी या उदासीन का ‘तमगा’ दे दिया गया था। इनमें से कई विद्यार्थी विफलता के भय, घरेलू समस्याओं, भावनात्मक असुरक्षा या प्रेरणा की कमी से भी ग्रसित थे। कुछ घबराहट से जूझ रहे थे।

बच्चों के संघर्षों को केंद्रीय विद्यालय संगठन ने पहचाना

बच्चों के इन अदृश्य संघर्षों को पहचानते हुए, संगठन ने एक संवेदनशील पहचान प्रक्रिया अपनाई। जिन विद्यार्थियों में अकादमिक गिरावट, व्यावहारिक परिवर्तन या भावनात्मक दूरी के लक्षण दिखे, उन्हें ‘ईच-वन-रीच-वन’ की देखभाल की परिधि में लाया गया। उस दौरान संभाग में 41,541 विद्यार्थी पढ़ रहे थे। इनमें से 2026 विद्यार्थियों (करीब पांच फीसद) को उस श्रेणी में रखा गया।

KV Guwahati, Each One Reach One, KVS initiative
इस पहल में शामिल विद्यार्थियों में सीखने की कमी को दूर करने में मदद मिली। (फोटो- सुशील राघव जनसत्ता)

इस पहल के तहत प्रत्येक विद्यार्थी के साथ व्यक्तिगत रूप से एक शिक्षक या प्रधानाचार्य को बतौर ‘मेंटर’ जोड़ा जाता है। ‘ईच-वन-रीच-वन’ में विद्यार्थियों को शिक्षकों/प्रधानाचार्यों से सजीव और भावनात्मक सहयोग मिला। नियमित फोन काल, कक्षा में निगरानी, प्रेरणादायी सत्र यहां तक कि घर पर जाकर मुलाकात के माध्यम से भी ‘मेंटर्स’ ने देखभाल और स्थिरता का एक ताना-बाना बुना। हर बच्चे को यह अहसास दिलाया गया कि वे मूल्यवान हैं और अपनी मेहनत व लगन से सफलता की नई ऊंचाइयों को छू सकते हैं। इस पहल में शामिल विद्यार्थियों में सीखने की कमी को दूर करने में मदद मिली। उनके बातचीत के कौशल व वैचारिक स्पष्टता विकसित करने, भावनात्मक संबल और छोटे लेकिन प्राप्त करने योग्य लक्ष्यों को तय करने के लिए प्रोत्साहन में मदद मिली।

लहरों में डूब रहे थे बच्चे, तूफानी नदी में कूदे पिता, हाथों में बेटों का थामा और मौत के मुंह से खींच लाए बाहर, Viral Video देख भर आएगा दिल

यह पहल जो पूर्वोत्तर की पहाड़ियों से शुरू हुई, अब देशभर के कई अन्य केंद्रीय विद्यालयों को भी प्रेरित कर रही है। केंद्रीय विद्यालय संगठन देश के अन्य भागों में भी इस संवेदनशील और व्यावहारिक पहल को लागू करने के बारे में सोच रहा है। मार्गदर्शकों का सही दिशा में मार्गदर्शन सुनिश्चित करने के लिए गुवाहाटी क्षेत्र ने ‘मेंटर्स आफ मेंटर्स’ पहल की शुरुआत की है।

गुवाहाटी संभाग की एक प्रशिक्षित स्नातक अध्यापिका (अंग्रेजी) ने विद्यार्थियों के साथ बिताए अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम ने मुझे सिखाया कि हर संघर्षरत बच्चे के पीछे एक कहानी होती है और कभी-कभी, एक सरल बातचीत भी बदलाव की शुरुआत बन सकती है।