सीबीएसई बोर्ड के उन स्टूडेंट्स को अपने रिजल्ट का इंतजार है जिनकी 10वीं और 12वीं में कंपार्टमेंट आई है। सीबीएसई बोर्ड के स्टूडेंट्स चाहते हैं कि जैसे बिहार बोर्ड ने 10वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स को बिना एग्जाम के पास कर दिया है, वैसे ही सीबीएसई बोर्ड के स्टूडेंट्स को भी पास कर दिया जाए। जबकि बोर्ड ने साफ कर दिया है कि एग्जाम सितंबर में होंगे। सीबीएसई बोर्ड के एग्जाम न हों इसके लिए स्टूडेंट्स कोर्ट चले गए थे। मामला अब अदालत में चल रहा है। अभी इस पर फैसला नहीं आया है।
CBSE Class 10th, 12th Compartment Exam 2020 Live Updates: Check here
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कहा था कि वह विशेष सूत्रों के आधार पर परिणाम जारी करेगा, और जिन छात्रों को इस फॉर्मूले के माध्यम से दिए गए अंकों पर कोई आपत्ति होगी, परीक्षा में बैठने का मौका। इसे अंतिम परीक्षा माना जाना था और इसके बाद किसी भी सुधार परीक्षा की अनुमति नहीं दी जानी थी, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया था। बहुत से स्टूडेंट्स और पैरेंट्स ने CBSE से गुहार लगाई थी कि इस साल की कंपार्टमेंट परीक्षा टाल दी जाए क्योंकि इससे स्टूडेंट्स की सुरक्षा को खतरा है।
Sarkari Naukri Job Notification 2020 LIVE Updates: Check Here
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा 12वीं कक्षा की बची हुई परीक्षाओं को रद्द कराने के लिए छात्रों के अभिभावक अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए थे। 12वीं के कुछ छात्रों के अभिभावकों ने COVID-19 महामारी के कारण देश में मौजूदा हालात को देखते हुए परीक्षाओं के आयोजन को छात्रों के लिए खतरा बताया और उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के निदेशक ने शुक्रवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का मुख्य उद्देश्य नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क ( National Curriculum Framework ) के जरिये कार्यरूप लेगा। नई नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक सुधार का प्रस्ताव किया गया है।
नीति का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा के जरिये कार्यरूप लेगा जिसके लिये अधिक से अधिक सहभागिता वाले कदमों की जरूरत है।''
ऐसे में बहुत से स्टूडेंट्स और पैरेंट्स ने सीबीएसई से गुहार लगाई थी कि इस साल की कंपार्टमेंट परीक्षा टाल दी जाए क्योंकि इससे स्टूडेंट्स की सुरक्षा को खतरा है। सीबीएसई ने काफी विचार-विमर्श करने के बाद यह फैसला सुनाया है कि किसी भी कंडीशन में कंपार्टमेंट परीक्षाएं कैंसिल नहीं की जाएंगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में नयी शिक्षा नीति को मंजूरी दी जिसने 1986 में लागू 34 वर्ष पुरानी शिक्षा नीति का स्थान लिया है। इसके माध्यम से स्कूली शिक्षा से उच्च शिक्षा तक रूपांतरकारी सुधारों का मार्ग प्रशस्त हुआ है ताकि भारत को ज्ञान आधारित महाशक्ति बनाया जा सके।
सीबीएसई ने साफ कर दिया है कि कंपार्टमेंट परीक्षाएं जरूर ली जाएंगी। साथ ही ये भी कहा है कि ये परीक्षाएं कोविड-19 महामारी के हालात को समझते हुए एक निश्चित स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) के तहत आयोजित की जाएंगी। इसकी जानकारी बोर्ड अपनी वेबसाइट cbse.nic.in पर देगा।
बोर्ड ने यह भी कहा कि वे स्टूडेंट्स जो अपने इंटर्नल एसेसमेंट के रिजल्ट्स से संतुष्ट नहीं हैं वे बाद में होने वाले फिजिकल टेस्ट को देकर अपने अंक सुधारने का प्रयास कर सकते हैं। बोर्ड कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार के बाद इंप्रूवमेंट एग्जाम भी आयोजित कर सकता है।
10वीं और 12वीं कक्षओं के लिए बोर्ड परीक्षाएं जारी रहेंगी मगर कोचिंग कक्षाओं की आवश्यकता को समाप्त करने के लिए बोर्ड और प्रवेश परीक्षाओं की मौजूदा प्रणाली में सुधार किया जाएगा। छात्रों के समग्र विकास को प्रोत्साहित करने के लिए बोर्ड परीक्षा को फिर से डिज़ाइन किया जाएगा। छात्र अब नई नीति के अनुसार उन विषयों का खुद चुनाव कर सकेंगे जिनके लिए वे बोर्ड परीक्षा देना चाह रहे हैं।
स्कूलों में शिक्षा के माध्यम पर, शिक्षा नीति में कहा गया है, “जहां भी संभव हो, निर्देश का माध्यम कम से कम ग्रेड 5 तक, मातृभाषा / स्थानीय भाषा / क्षेत्रीय भाषा होगी। इसके बाद, स्थानीय भाषा को जहाँ भी संभव हो भाषा के रूप में पढ़ाया जाता रहेगा। यह नियम सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के स्कूल में लागू होंगे।"
भारत के सर्वोच्च न्यायालय की एक याचिका का जवाब देते हुए, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कहा था कि रिजल्ट स्पेशल फॉर्मुले के आधार पर जारी किया जाएगा।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कहा था कि वह विशेष सूत्रों के आधार पर परिणाम जारी करेगा, और जिन छात्रों को इस फॉर्मूले के माध्यम से दिए गए अंकों पर कोई आपत्ति होगी, परीक्षा में बैठने का मौका। इसे अंतिम परीक्षा माना जाना था और इसके बाद किसी भी सुधार परीक्षा की अनुमति नहीं दी जानी थी, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया था।
कम्पार्टमेंट परीक्षा आमतौर पर उन छात्रों के लिए आयोजित की जाती है जो एक या दो विषयों में फेल होते हैं। बिहार और तेलंगाना राज्य बोर्ड सहित कई बोर्डों ने महामारी के कारण कंपार्टमेंटल परीक्षा को रद्द कर दिया है।
दिल्ली सरकार ने पिछले महीने शिक्षा बोर्ड और पाठ्यक्रम सुधार के गठन के लिए योजना और रूपरेखा तैयार करने के लिए दो समितियों का गठन किया था।
CBSE बोर्ड इस साल कंपार्टमेंट एग्जाम आयोजित करेगा या नहीं अभी नहीं कहा जा सकता है। बोर्ड जल्द ही कम्पार्टमेंट परीक्षा और वैकल्पिक परीक्षा के लिए शिड्यूल जारी करने या नहीं करने की जानकारी देगा। कम्पार्टमेंट एग्जाम की तारीखों का फैसला भारत सरकार के परामर्श से किया जाएगा।
सीबीएसई ने अब "फेल" शब्द के स्थान पर “Essential Repeat” शब्द इस्तेमाल करने का फैसला किया है। एक जारी बयान में कहा गया था कि, रिजल्ट फेल घोषित हुए उम्मीदवारों को जारी किए गए दस्तावेजों और वेबसाइट पर होस्ट किए गए रिजल्ट में "फेल" शब्द के स्थान पर “Essential Repeat” लिखा दिखाई देगा।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा 12वीं कक्षा की बची हुई परीक्षाओं को रद्द कराने के लिए छात्रों के अभिभावक अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए थे। 12वीं के कुछ छात्रों के अभिभावकों ने COVID-19 महामारी के कारण देश में मौजूदा हालात को देखते हुए परीक्षाओं के आयोजन को छात्रों के लिए खतरा बताया और उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।
COVID-19 महामारी के बीच कक्षा 10 और कक्षा 12 के छात्रों के लिए कंपार्टमेंटल परीक्षा आयोजित करने पर बोर्ड द्वारा कई प्रश्न पूछे जाने के बाद नोटिस जारी किया गया था।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के निदेशक ने शुक्रवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का मुख्य उद्देश्य नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क ( National Curriculum Framework ) के जरिये कार्यरूप लेगा। नई नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक सुधार का प्रस्ताव किया गया है।
सीबीएसई ने एक आधिकारिक नोटिस में कहा, यदि कंपार्टमेंट परीक्षा आयोजित नहीं की जाती है, तो बड़ी संख्या में उम्मीदवारों का भविष्य प्रभावित होगा। हालांकि, अभिभावकों का मानना है कि कोरोना संक्रमण के बीच परीक्षाएं आयोजित करने से छात्रों का स्वास्थ्य संकट में पड़ सकता है।
सीबीएसई के टू-लेवल मैथ्स रूल के अनुसार, जो छात्र 11 और 12 क्लास में मैथमैटिक्स पढ़ना चाहते हैं उन्हें 10 मैथमैटिक्स स्टैंडर्ड लेना जरूरी होता है। दूसरे छत्र 10वीं में सामान्य गणित (बेसिक मैथ्स) लेते हैं। कठिनाई के स्तर पर दोनो पेपर अलग होते हैं। ऐसा नया सिद्धांत 2019 में शुरू किया गया है जिससे कि मैथ्स न पढ़ने के इच्छुक छात्रों को अनावश्यक मैथ्स का बोझ न हो।
बोर्ड ने यह भी कहा कि वे स्टूडेंट्स जो अपने इंटर्नल एसेसमेंट के रिजल्ट्स से संतुष्ट नहीं हैं वे बाद में होने वाले फिजिकल टेस्ट को देकर अपने अंक सुधारने का प्रयास कर सकते हैं। बोर्ड कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार के बाद इंप्रूवमेंट एग्जाम भी आयोजित कर सकता है।
सीबीएसई का यह भी कहना है कि कुछ सोचकर ही मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने एमएचआरडी को कॉलेजेस के अंतिम वर्ष की परीक्षाएं और बोर्ड की बची परीक्षाएं कंडक्ट कराने की अनुमति दी है। इन्हें कंडक्ट कराते समय हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखा जाएगा जो स्टूडेंट की सेफ्टी के लिए जरूरी हैं।
छात्रों ने हैशटैग #StudentsAgainstStateAutonomy के साथ एक ट्विटर पर एक अभियान चलाया है जिसमें वरुण सरदेसाई, आदित्य ठाकरे, अभिषेक सिंघवी, महाराष्ट्र छात्र संघ शामिल हैं। वे भारत भर के छात्रों से आगे आकर अपनी शिक्षा और अपने भविष्य के लिए बोलने की अपील कर रहे हैं।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय की एक याचिका का जवाब देते हुए, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कहा था कि रिजल्ट स्पेशल फॉर्मुले के आधार पर जारी किया जाएगा।
बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (BSEB) ने 10वीं और 12 वीं कक्षा के 2 लाख से अधिक छात्रों को प्रमोट कर दिया है। आधिकारिक वेबसाइट पर इस संबंध में नोटिस जारी की गई है। बोर्ड ने जारी सूचना में यह स्पष्ट कर दिया है कि छात्रों को ग्रेस मार्क्स के साथ पास करने की यह व्यवस्था केवल एक बार के लिए अपनाई जा रही है। ऐसा देश में फैल रहे कोरोना संक्रमण के चलते किया जा रहा है।
कम्पार्टमेंट परीक्षा आमतौर पर उन छात्रों के लिए आयोजित की जाती है जो एक या दो विषयों में फेल होते हैं। बिहार और तेलंगाना राज्य बोर्ड सहित कई बोर्डों ने महामारी के कारण कंपार्टमेंटल परीक्षा को रद्द कर दिया है।
कम्पार्टमेंट परीक्षाओं की तारीखों की घोषणा अभी बाकी है, हालांकि, बोर्ड को शिकायतें मिल रही हैं ताकि परीक्षा रद्द करने की मांग की जा सके। बोर्ड ने अभी केवल परीक्षा की जानकारी जारी की है। डेट्स जल्द वेबसाइट पर जारी की जाएंगी।
कम्पार्टमेंट एग्जाम के लिए छात्रों को इतनी फीस जमा करनी होगी।
कक्षाएं ऑनलाइन आयोजित की जा रही हैं। शिक्षा मंत्रालय ने COVID प्रकोप के कारण 2020-21 को “शून्य शैक्षणिक वर्ष” घोषित करने की संभावना से इनकार किया। उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने बताया कि प्रथम-वर्ष के छात्रों को नवंबर-दिसंबर में शामिल होने की संभावना है और वर्तमान में नामांकित लोगों के लिए परीक्षा और कक्षाएं आयोजित करने की सुविधा होगी।
जारी नोटिफिकेशन में 10वीं के छात्रों के निर्धारित योग्यताओं की जानकारी दी गई है।
12वीं के छात्रों के लिए आवेदन के लिए निर्धारित योग्यताओं की जानकारी आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई है।
कंपार्टमेंट एग्जाम के लिए अप्लाई करने के लिए लिंक आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद है।
बिहार और तेलंगाना राज्य बोर्ड सहित कई बोर्डों ने COVID19 महामारी के कारण कंपार्टमेंटल परीक्षा को रद्द कर दिया है।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) उन लोगों के लिए सितंबर में कम्पार्टमेंट, वैकल्पिक परीक्षा का आयोजन करेगा जो अपनी पहली कोशिश में अपनी कक्षा 10 या 12 की बोर्ड परीक्षा को क्लीयर नहीं कर सके, और वे छात्र जो COVID- 19 महामारी के कारण रद्द किए गए पेपर में उपस्थित नहीं हो सके। जिन्होंने अंक में सुधार के लिए आवेदन किया था।
कक्षाएं ऑनलाइन आयोजित की जा रही हैं। शिक्षा मंत्रालय ने COVID प्रकोप के कारण 2020-21 को “शून्य शैक्षणिक वर्ष” घोषित करने की संभावना से इनकार किया। उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने बताया कि प्रथम-वर्ष के छात्रों को नवंबर-दिसंबर में शामिल होने की संभावना है और वर्तमान में नामांकित लोगों के लिए परीक्षा और कक्षाएं आयोजित करने की सुविधा होगी।
जब भी स्कूल फिर से खुलेंगे, यह ‘सामान्य’ की तुलना में बहुत अलग होगा। मास्क और सेनेटाइजर जरूरी होगा। एक ऑनलाइन इंटरेक्शन के दौरान, पोखरियाल ने कहा था कि स्कूलों के सीटिंग प्लान में भी बदलाव होगा। इसके अलावा एक सेक्शन को अलग अलग सेक्शन में भी बांटा जाएगा। स्कूल फिर से खोलने का काम चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा और कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों को पहले बुलाया जाएगा।
वहीं समाज के गरीब वर्गों से संबंधित स्टूडेंट्स के लिए, जिनके पास ऑनलाइन शैक्षणिक उपकरणों तक उचित पहुंच नहीं है, ऑन-कैंपस और ऑनलाइन स्कूली शिक्षा के बीच चयन करना और भी कठिन है।
सितंबर से स्कूलों को फिर से खोलने के बारे में विचार कर रहे राज्यों में, छात्रों के अभिभावक अपने बच्चों को अभी तक स्कूलों में भेजने के लिए तैयार नहीं हैं। अधिकांश पाठ्यक्रम और ऑनलाइन कक्षाओं को जारी रखना चाहते हैं।
असम, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गोवा सहित कई राज्य सरकारें सितंबर से स्कूलों को फिर से खोलने पर विचार कर रही हैं। लेकिन अभिभावक अपने बच्चों को अभी तक स्कूलों में भेजने के लिए तैयार नहीं हैं।
दिसंबर तक स्कूलों के बंद होने की खबरें आने के बाद, सरकारी एजेंसी ने स्पष्ट किया कि “केंद्र सरकार ने अभी तक ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है”। मार्च के मध्य से स्कूलों को बंद कर दिया गया था और शिक्षा मंत्री के नए बयान के अनुसार, स्थिति अनुकूल होने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय और गृह मंत्रालय के साथ चर्चा के बाद स्कूल फिर से खुलेंगे।