इस वक्त अधिकतर राज्यों में 10वीं और 12वीं के बोर्ड एग्जाम शुरू हो चुके हैं। सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा भी देशभर के 7842 सेंटर्स पर 15 फरवरी से शुरू हो गई हैं। बोर्ड एग्जाम को लेकर बच्चों में एक अलग डर का माहौल परीक्षा शुरू होने से पहले और परीक्षा के बीच में भी रहता है। हालांकि इसे दूर करने के लिए सरकार की ओर भरसक प्रयास किए जाते हैं।

छात्रों के तनाव को दूर करने के लिए PM आए थे छात्रों के बीच

बोर्ड एग्जाम वास्तव में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए तनावपूर्ण अवधि होती हैं। इसी तनाव को दूर करने के लिए हाल ही में ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम का आठवां संस्करण आयोजित हुआ था जिसमें पीएम मोदी ने छात्रों, शिक्षकों और परिजनों को संबोधित किया था। उस कार्यक्रम से पहले पीएम मोदी ने सुंदर नर्सरी में छात्रों के एक ग्रुप से बातचीत की थी। उस बातचीत में छात्रों ने पीएम से सवाल भी किए थे और पीएम ने उनके सवालों का जवाब भी दिया था।

PPC में पीएम ने कही थी यह बात

‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा था, “यदि कोई छात्र स्कूल में एक निश्चित अंक प्राप्त नहीं करता है, तो वह अपनी कक्षा 10 या कक्षा 12 की परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन नहीं करता है, तो उसे ऐसा लगता है जैसे उसका पूरा जीवन दांव पर लगा है।” इस कार्यक्रम में पीएम के अलावा दीपिका पादुकोण, विक्रांत मैसी, भूमि पेडनेकर और छह बार की विश्व चैंपियन मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम भी शामिल हुई थीं।

पीएम समेत सभी हस्तियों ने छात्रों को दिए थे यह टिप्स

इसके अलावा आध्यात्मिक लीडर सद्गुरु, पैरालिंपिक स्वर्ण पदक विजेता अवनी लेखरा, सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट रुजुता दिवेकर, सोनाली सभरवाल, हेल्थ एक्सपर्ट फूड फार्मर, यूट्यूबर टेक्निकल गुरु जी और राधिका गुप्ता जैसी खेल और बॉलीवुड हस्तियों ने बच्चों को बोर्ड एग्जाम के लिए मानसिक रूप से तैयार रहने में मदद की थी। की प्रेरक कहानियां और भाषण शामिल हैं। इन सभी ने बच्चों के साथ जो टिप्स साझा किए थे उसके कुछ अंश हम आपको यहां बता रहे हैं।

अपने बच्चे को दूसरे से कंपेयर ना करें- पीएम मोदी

परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के इस सेशन में पीएम मोदी ने कहा था कि छात्र दिन के लिए जो योजना बनाते हैं, उसी पर टिके रहें। इससे वे आसानी से दबाव से मुक्त हो जाएंगे। दबाव को अपने ऊपर हावी न होने दें और केवल अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करें। प्रधानमंत्री ने कहा था कि अपने समय को कंट्रोल जरूर करें साथ ही अपनी दिनचर्या को भी बैलेंस करके चलें। पॉजिटिविटी को खोजें।

पीएम ने अभिभावकों से अपने बच्चों को दिखावे के लिए मॉडल के रूप में इस्तेमाल न करने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें उनकी तुलना दूसरों से नहीं करनी चाहिए और इसके बजाय उनका समर्थन करना चाहिए।

शोनाली सबरवाल, डायटीशियन

न्यूट्रीशियन और हेल्थ एक्सपर्ट शोनाली सबरवाल, रुजुता दिवेकर और रेवंत हिमतसिंगका ने भी बच्चों के साथ एक सेशन किया था जिसमें उन्होंने बताया था कि अच्छा खाना खाने के साथ-साथ आपके लिए नींद बहुत जरूरी है। नींद को मारकर पढ़ाई तो बिल्कुल ना करें। उन्होंने कहा था कि घर का बना खाना सबसे अच्छा है और ब्राउन राइस और बाजरा को शामिल करना संतुलित आहार के साथ-साथ स्वस्थ आहार की ओर ले जाता है।

शोनाली ने छात्रों से फाइबर की मात्रा बढ़ाने के लिए कहा जो अच्छे सूक्ष्मजीवों के विकास को बढ़ाता है जिससे पेट का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। उन्होंने छात्रों को अपने दिन की शुरुआत साबुत अनाज से करने का सुझाव दिया, जो दिन के बीच में भूख को कम करता है, उसके बाद फल या मेवे खाने चाहिए।

हेल्थ एक्सपर्ट, ऋजुता दिवेकर

उन्होंने छात्रों को ऐसा खाना खाने से बचने की सलाह दी थी जो तनाव का कारण बने। उन्होंने कहा था कि एग्जाम के दौरान छात्रों को ऐसे खाद्य पदार्थ खाने चाहिए जैसे मूंगफली, केला और चावल अच्छे हैं। दिवेकर ने कहा था कि एनर्जी ड्रिंक तनाव के स्तर को बढ़ाते हैं, इसलिए इनसे बचना चाहिए। पैक किए गए भोजन से बचें क्योंकि आप जितना ज़्यादा पैक किया हुआ खाना खाएंगे, दिन भर में उतनी ही ज़्यादा चीनी की मात्रा आपके शरीर में होगी। उन्होंने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य और कब्ज से बचने के लिए हाइड्रेशन, केला और खेलना ज़रूरी है।

दीपिका ने बताए स्ट्रेस फ्री रहने के टिप्स

बॉलीवुड एक्टर दीपिका पादुकोण ने अपने सेशन के दौरान छात्रों के साथ डिप्रेशन से जूझने के अपने अनुभव को साझा किया और स्ट्रेस फ्री रहने के टिप्स साझा किए। दीपिका ने कहा था, “मुझे लगता है कि प्रतिस्पर्धा और तुलना जीवन का एक हिस्सा है। प्रतिस्पर्धा कोई बुरी चीज नहीं है, लेकिन अपनी ताकत और कमजोरियों को पहचानना अपनी ताकत पर अधिक ध्यान केंद्रित करना और अपनी कमजोरियों पर काम करना शायद ऐसा करने का एकमात्र तरीका है।,” दीपिका ने आगे कहा था कि नींद बहुत महत्वपूर्ण है।

सद्गुरु के वचन

आध्यात्मिक गुरु और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने कहा था कि ऐसी दुनिया में जहां बुद्धिमत्ता को अक्सर अकादमिक उपलब्धियों या दूसरों के साथ तुलना के आधार पर मापा जाता है वहां कभी-कभी योग्यता के वास्तविक सार को अनदेखा कर दिया जाता है। वास्तविक योग्यता ज्ञान और तकनीकी कौशल से परे होती है – यह किसी व्यक्ति की अपनी विशाल क्षमता का दोहन करने की क्षमता में निहित है।