उत्तरप्रदेश में शिक्षा जगत में हुए एक घपले का खुलासा हुआ है। देश में शिक्षा का भविष्य संवारने वाले शिक्षक खुद अपनी शिक्षा का फर्जी प्रमाण पत्र दिखाकर नौकरी कर रहे थे। राज्य में कई शिक्षक ऐसे भी थे जिनके पास या तो शिक्षक होने के लिए अनिवार्य डिग्री मौजूद नहीं थी या फिर उनकी डिग्री में  हेराफेरी की गई थी।

शिक्षकों के निलंबन से मचा हड़कंप : सूबे में अधिकतर शिक्षक ऐसे थे जिनके दिए गए दस्तावेज़ तय नियमों के मुताबिक सही नहीं थे। यही वजह है कि राज्य के शिक्षा विभाग में बीएड की डिग्री के सहारे सरकारी शिक्षक की नौकरी पाने वाले मथुरा के 60 शिक्षकों को सेवा से निलंबित कर दिया गया है, शिक्षकों के निलंबन की खबर सुनते ही विभाग में हड़कम्प मच गया।

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एसआईटी जांच में सामने आया मामला : सूत्रों के मुताबिक डा. बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में एसआईटी की जांच के दौरान करीब 4700 ऐसे बीएड डिग्रीधारक मिले जिनकी डिग्री में हेराफेरी थी। बता दें कि जाँच के दौरान यह बात सामने आई कि कुछ डिग्रियां फर्जी थीं तो वहीँ कुछ डिग्रियों में नौकरी पाने के उद्देश्य से हेराफेरी की गयी थी।

रिपोर्ट दर्ज करने का दिया था आदेश : शिक्षा विभाग के अधिकारियों के द्वारा फर्जी डिग्रीधारकों की सूची सीडी के रूप में दो बार विभागीय माध्यम से जनपद स्तर पर भी पहुंचाई गई थी। बेसिक शिक्षा अधिकारी चन्द्रशेखर को जनपद में तैनाती पा चुके बीएड डिग्रीधारक शिक्षकों का चयन करने के संबंध में आदेश दिए गए थे। मामले का संज्ञान लेते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी चंद्रशेखर ने ऐसे शिक्षकों को चिन्हित करते हुए उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने और सेवाएं समाप्त करने के आदेश भी दिए थे।

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निलंबन के बाद आरोप पत्र भी दाखिल : लम्बी मशक्कत के बाद आखिरकार मथुरा जनपद में चिन्हित किए गए 60 शिक्षकों को अब निलंबित कर दिया गया है । चंद्रशेखर ने मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी किया। उन्होंने बताया कि अब निलंबन के साथ ही आरोप पत्र भी जारी कर दिए हैं। मामले की सुनवाई के लिए भी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर दी है। उनका कहना है कि इन आदेशों पर जल्द से जल्द अमल हो इस बात को सुनिश्चित किया जाएगा।