देश खासतौर पर उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की शैक्षणिक, सामाजिक व आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने की जरूरत को रेखांकित करते हुए जमीयत उलेमा ए हिंद ने राज्य की अखिलेश यादव सरकार से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक व केरल की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में मुसलिम समुदाय को शैक्षणिक व आर्थिक रूप से पिछड़ा घोषित करते हुए उनके लिए आरक्षण का प्रावधान करने की मांग की है।

जमीयत उलेमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि वे मुसलिम समुदाय के लोगों के उत्थान के लिए वाजिब और ईमानदार पहल करने की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि सरकार समुदाय के लिए ठोस पहल करे। केंद्र सरकार को समावेशी विकास की अवधारणा के आधार पर सभी के विकास के लिए काम करना चाहिए।

उन्होंने कहा- हम चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सरकार कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की तर्ज पर राज्य में मुसलिम समुदाय को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा घोषित कर इनके लिए आरक्षण का प्रावधान करे। मदनी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सपा सरकार ने 18 फीसद आरक्षण का वादा किया था जो कानूनी रूप से गलत है।

इस तरह से वह अल्पसंख्यक समुदाय को बेवकूफ बनाना छोड़ दें। प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव एक साल ही दूर है। अब आप लोगों को अधिक मूर्ख नहीं बना सकते हैं। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि कुछ लोग मुसलिम पंथ में विभाजन पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में पहले से पिछड़ रहा यह समुदाय और प्रभावित होगा।

संगठन के अध्यक्ष मौलाना करी उस्मान ने कहा कि हम अपनी पसंद से हिंदुस्तानी हैं। उन्होंने सांप्रदायिक हिंसा निरोधक कानून लागू करने की मांग की। जमीयत उलेमा ए हिंद ने हाल में मेरठ में एक रैली कर सरकार से अपना वादा पूरा करने की अपील की थी।