यह किस्सा है परदे के नायक और खलनायक की दोस्ती का। इस दोस्ती का दस्तावेज एक अस्पताल में है, जिसमें खलनायक की जान बचाने के लिए नायक के दस्तखत हैं। किस्सा 1976 का है। ‘द ग्रेट गैम्बलर’ फिल्म की गोवा में शूटिंग थी। बाकी यूनिट गोवा में थी और अमजद खान अपने परिवार के साथ उसमें हिस्सा लेने के लिए मुंबई से गोवा जा रहे थे। गोवा के करीब सावंतवाड़ी आने पर अमजद खान को अपने ड्राइवर पर तरस आया, जो उनींदा था। लिहाजा वह खुद ड्राइविंग करने लगे। कार में धीमी आवाज में संगीत बज रहा था। ऑडियो कैसेट पलटने के लिए अमजद खान ने जैसे ही कोशिश की, कार पर से नियंत्रण खो बैठे। अगला सीन बहुत भयानक था। कार का स्टीयरिंग व्हील अमजद की छाती से टकराया। उनकी पसलियां टूट गईं और फेफड़ा छतिग्रस्त हो गया। उनकी बेगम शहला खान (लेखक गीतकार अख्तर उल ईमान की बेटी) को भी चोट आई। हाइवे पर उस समय मदद की कोई सूरत नजर नहीं आई।

कट टू… अमजद अस्पताल में भर्ती थे। जीवन और मौत के बीच झूल रहे थे। परिवार को मुंबई से आने में बहुत देर लगती। चूंकि दुर्घटना की खबर गोवा में ‘द ग्रेट गैम्बलर’ की यूनिट को मिल चुकी थी, इसलिए अमिताभ बच्चन तुरंत वहां से रवाना हुए और अस्पताल पहुंच गए। डॉक्टरों को ऑपरेशन करना था, उसके लिए पेपर साइन करने के लिए अमजद के परिवार का कोई सदस्य उपस्थित नहीं था। यूनिट का कोई सदस्य दस्तखत करने के लिए तैयार नहीं हुआ। तब अमिताभ बच्चन ने अमजद खान के जीवन और मौत के दस्तावेज पर दस्तखत किए। अमजद का ऑपरेशन शुरू हुआ। अमजद की 11 पसलियां इस दुर्घटना में टूटी। वह कोमा में चले गए, मगर जल्दी ही उससे बाहर भी आ गए। जब अमजद आइसीयू से बाहर लाए गए, तो उनके सामने अमिताभ बच्चन थे, जिन्हें देख कर हंसी-मजाक करने वाले अमजद के चेहरे पर फीकी-सी मुस्कान आई। उस मुस्कान को देख कर अमिताभ ने चैन की सांस ली, जो लगातार कश्मकश के दौर से गुजर रहे थे। अमजद ‘द ग्रेट गैम्बलर’ में काम नहीं कर पाए, उनका रोल उत्पल दत्त को मिला।

इस दुर्घटना के बाद अमिताभ और अमजद का कामकाजी रिश्ता घनिष्ठता में बदल गया। दोनों एक दूसरे के और ज्यादा करीब आए। 26 जुलाई, 1982 को फिर एक दुर्घटना घटी। बंगलुरु में ‘कुली’ की शूटिंग में एक एक्शन सीन करने के दौरान अमिताभ बच्चन बुरी तरह घायल होकर कुछ समय के लिए कोमा में चले गए। आग की तरह यह खबर फिल्मजगत और फिर देश भर में फैल गई। बच्चन की सेहतमंदी के लिए मंदिरों में घंटिया बजाई जाने लगीं और मसजिदों में अजानें गूंजने लगीं। आखिर वे लोकप्रिय नायक थे, उनके प्रशंसकों की बड़ी तादाद थी।

बंगलुरु से अमिताभ बच्चन को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल लाया गया। अस्पताल में अमिताभ की नजरें अमजद खान पर पड़ी, जो लगातार उन्हें देख रहे थे। कमरे में डॉक्टर और नर्सें भी थीं। जिंदगी और मौत से जूझ रहे अमिताभ बच्चन के चेहरे पर लंबे समय के बाद क्षीण-सी मुस्कान आई। डॉक्टरों और नर्सों ने पहली बार उन्हें मुस्कराते देखा। अमजद और अमिताभ एक दूसरे को देखकर भावनाओं के बवंडर में बहने लगे। लगभग छह साल पहले गोवा के अस्पताल में अमजद के चेहरे की मुस्कान और मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अमिताभ बच्चन के चेहरे की मुस्कान में अजब समानता थी। दोनों ने एक दूसरे से बिना कुछ कहे ही बहुत कुछ कह दिया। इस घटना के बाद अमिताभ और अमजद की दोस्ती और गाढ़ी हुई। फिर हालात को मात देकर लगभग छह महीने बाद जनवरी में ‘कुली’ की शूटिंग में अमिताभ सेट पर पहुंचे तो उन्हें शुभकामनाएं देने के लिए अमजद खान सेट पर मौजूद थे।