दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार को रविवार (15 मई) को एक और झटका लगा जब भारतीय कुश्ती महासंघ ने उन्हें सोनीपत में बुधवार (18 मई) से शुरू हो रहे भारत के रियो ओलंपिक के तैयारी शिविर में जगह नहीं दी। इस सूची में सिर्फ कोटा स्थान हासिल करने वाले पहलवानों को शामिल किया गया है। नियमों के अनुसार नरसिंह पंचम यादव को पुरुष 74 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में शिविर में शामिल किया गया है क्योंकि उन्होंने पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप में कोटा हासिल किया था जबकि सुशील को इस सूची में जगह नहीं मिली है।

डब्ल्यूएफआई के एक अधिकारी ने बताया, ‘रियो तैयारी शिविर बुधवार (18 मई) से शुरू हो रहा है और ओलंपिक कोटा स्थान हासिल करने वाले सभी पहलवानों को शिविर में जगह मिली है।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन अगर सुशील शिविर का हिस्सा बनना चाहता है तो उसका स्वागत है।’ इस शिविर की शुरुआत पहले सोमवार (16 मई) से होनी थी लेकिन अब इसे बुधवार (18 मई) तक स्थगित कर दिया गया है।

हालांकि प्रत्येक वजन वर्ग में शिविर में एक से अधिक पहलवान शामिल है जिसमें 74 किग्रा वर्ग भी शामिल है जिससे कि रियो जाने वाले पहलवानों की अच्छी तैयारी हो सके। डब्ल्यूएफआई ने बताया कि क्वालीफाई करने वाले सभी पहलवानों ने अपने साथियों का चयन खुद किया है और इसमें महासंघ की कोई भूमिका नहीं है। सुशील को शिविर में जगह नहीं मिलने पर अधिकारी ने कहा, ‘यह महत्वपूर्ण है कि पहलवानों को अपने जोड़ी खुद चुनने की स्वीकृति दी जाए क्योंकि यह उन्हें शिविर के दौरान गैरजरूरी चोट और नुकसान से बचाएगा। अगर दो पहलवानों के बीच कुछ निजी बैर है तो समस्या हो सकती है। यही कारण है कि डब्ल्यूएफआई किसी जोड़ीदार को नहीं चुनता।’

इस बीच डब्ल्यूएफआई ने इनकार किया है कि सुशील और नरसिंह के बीच 74 किग्रा वर्ग में ट्रायल को लेकर उन्हें सरकार से कोई निर्देश मिला है। अधिकारी ने कहा, ‘अब तक सरकार से कोई निर्देश नहीं मिला है। आगामी दिनों में कुछ हो सकता है। लेकिन अभी ऐसा कुछ नहीं है।’ भारत ने जिन सात अन्य वजन वर्ग में कोटा हासिल किया है उनमें भी ट्रायल की मांग के डर से डब्ल्यूएफआई 74 किग्रा वर्ग में भी ट्रायल में अधिक रुचि नहीं दिखा रहा।

सुशील पहले ही इस मामले को प्रधानमंत्री कार्यालय की दहलीज तक ले जा चुके हैं। इस 32 वर्षीय पहलवान ने साथ ही खेल मंत्रालय, आईओए, डब्ल्यूएफआई और प्रशंसकों से भी अपील की है कि उन्हें रियो खेलों के लिए ट्रायल का मौका दिया जाए क्योंकि नियमों के अनुसार कोटा देश का होता है और किसी विशिष्ट पहलवान का नहीं। सुशील ने कहा कि सरकार उनकी ट्रेनिंग पर बड़ी राशि खर्च कर रही है और यहां तक कि महासंघ ने उन्हें अभ्यास जारी रखने को कहा है।

सुशील ने कहा, ‘अगर यह पहले ही फैसला कर लिया गया है कि कोटा हासिल करने वाला पहलवान ही रियो खेलों के लिए जाएगा तो डब्ल्यूएफआई को मुझे बता देना चाहिए और साथ ही मेरा नाम टॉप योजना से हटा देना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसा होता तो मैं पिछले एक साल में इतनी कड़ी मेहनत नहीं करता और साथ ही सरकार भारत और विदेश में मेरी ट्रेनिंग पर इतना पैसा और समय खर्च नहीं करती।’