राजस्थान विधानसभा में सोमवार को जिन दो विधेयकों को पारित किया गया, वे निश्चित तौर पर मौजूदा दौर की दो बड़ी समस्याओं से संबंधित हैं। एक, कहीं अफवाह के असर में या फिर किसी बहाने से होने वाली भीड़ की हिंसा और दूसरे, अपनी मर्जी से प्रेम या विवाह करने वाले वयस्क जोड़ों पर झूठे सामाजिक सम्मान के नाम पर हमले और हत्या की घटनाएं। ये दोनों तस्वीरें किसी भी विकासमान समाज के सभ्य होने पर सवालिया निशान लगाती हैं। इन दोनों सामाजिक प्रवृत्तियों पर रोक लगाने के मद्देनजर राजस्थान में झूठे सम्मान के नाम पर हत्या के साथ ही भीड़ की हिंसा के खिलाफ भी सख्त कानूनी प्रावधानों वाले विधेयक विधानसभा में पारित किए गए। ‘राजस्थान लिंचिंग से संरक्षण विधेयक-2019’ और ‘राजस्थान सम्मान और परंपरा के नाम पर वैवाहिक संबंधों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप का प्रतिषेध विधेयक 2019’ से बने इन कानूनों के अमल में आने के बाद इसके आरोपियों को सख्त सजा भुगतनी पड़ सकती है।
दरअसल, पिछले कुछ समय से भीड़ की हिंसा और झूठे सम्मान के नाम पर की जाने वाली हत्याएं एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रही थीं। सवाल उठ रहे थे कि आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ बने कानूनों के जरिए ऐसी घटनाओं पर रोक लगाना अगर संभव नहीं हो पा रहा है तो क्यों नहीं नए और सख्त कानून बनाए जाते! सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल ही साफ शब्दों में कहा था कि लोकतंत्र में भीड़तंत्र की इजाजत नहीं दी जा सकती और राज्य इसे पूरी तरह रोकने के लिए कानून बनाएं।

जहां तक भीड़ की हिंसा का सवाल है तो किसी अफवाह या भावनात्मक मुद्दों पर फैलाए गए उन्माद या उकसावे की गतिविधि की जद में आने वाले लोग शायद इस बात को लेकर निश्चिंत रहते हैं कि बड़े समूह में किसी से मारपीट करने या उसकी हत्या कर देने के बाद भी वे बच जाएंगे। यह धारणा एक हद तक सही भी थी। लेकिन राजस्थान में नया कानून लागू होने के बाद अगर भीड़ की हिंसा में पीड़ित की जान चली जाती है तो दोषियों पर आजीवन कठोर कारावास के साथ पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। कुछ अन्य सख्त कानूनी प्रावधान किए गए हैं। मसलन, इस कानून के तहत अब ऐसे मामलों में हमला या हत्या के संदर्भ में दो या इससे ज्यादा लोगों के समूह को ‘भीड़’ के रूप में परिभाषित किया गया है।

इसके अलावा, आजादी के सात दशक बाद भी स्थिति अगर यह है कि जाति के नाम पर झूठी इज्जत को बचाने की आड़ में लोग अपनी ही बेटी या उसके साथी की हत्या कर डालते हैं तो इससे बड़ी सामाजिक विडंबना क्या होगी! खासतौर पर तब जब मौजूदा संविधान और कानूनी व्यवस्था के तहत किसी भी वयस्क व्यक्ति को अपनी पसंद से प्रेम या विवाह करने का अधिकार हासिल है। इसके बावजूद अगर इस सामंती जड़ता की वजह से हत्या के लगातार मामले सामने आ रहे हैं तो इसे रोकने के लिए सख्त कानूनी प्रावधान वक्त का तकाजा हैं। राजस्थान में नए कानून के तहत अब विवाहित जोड़े पर साधारण हमला करने पर भी आरोपियों को तीन से पांच साल तक कठोर कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी। हमला अगर जानलेवा प्रकृति का होगा तब आरोपी या इसके साजिशकर्ताओं को दस साल से लेकर आजीवन कारावास हो सकता है। जाहिर है, मौजूदा दो गंभीर समस्याओं पर काबू पाने के मकसद से राजस्थान सरकार ने कानून के मोर्चे पर ठोस पहलकदमी की है। लेकिन सामाजिक स्तर पर जड़ता से बाहर निकलने के लिए नियमित तौर पर जागरूकता कार्यक्रमों की भी जरूरत है, ताकि इस समस्या के ठोस हल तक पहुंचा जा सके।