लगभग एक दशक पहले भी नील मोहन का नाम खबरों में था, जब गूगल ने अपने इस बेहतरीन अधिकारी को अपने पास रोके रखने के लिए 10 करोड़ डालर का बोनस दिया था। उसके बाद से उन्हें ‘100 मिलियन मैन’ भी कहा जाता है। यह वह समय था, जब ट्विटर अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहा था और ट्विटर के तत्कालीन सीईओ ने नील मोहन को ट्विटर में आने का न्योता दिया। नील ने वह पेशकश लगभग स्वीकार भी कर ली थी, लेकिन गूगल ने उन्हें 10 करोड़ डालर का बोनस देकर अपने पास रोक लिया।

नील मोहन का जन्म 1974 में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ। उनके पिता डा आदित्य मोहन जब पत्नी डा नीता मोहन के साथ पढ़ाई करने के लिए अमेरिका गए, उस समय नील बहुत छोटे थे। कुछ वर्ष अमेरिका के मिशिगन में रहने के बाद परिवार लखनऊ लौट आया। नील ने लखनऊ के सेंट फ्रांसिस स्कूल में कक्षा नौ से 12 तक की पढ़ाई पूरी की। इन तीन साल में ही उन्होंने थोड़ी बहुत हिंदी सीखी। स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका लौट गए। उन्होंने 1996 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली।

अपने करियर की शुरुआत में नील ने एक साल चार महीने तक एक्सेंचर में सीनियर एनालिस्ट के पद पर काम किया और उसके बाद 1997 में नेट ग्रेविटी नामक कंपनी से जुड़ गए। नवंबर 1997 में डबल क्लिक ने नेट ग्रेविटी का अधिग्रहण कर लिया। यहां नील निदेशक बनाए गए और उन्होंने ग्राहक सेवा से जुड़े मामलों को देखा।

वर्ष 2003 में वह स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई करने चले गए और 2005 में दोबारा कंपनी में वरिष्ठ उपाध्यक्ष बनाए गए। दो बरस बाद गूगल ने 30 अरब डालर की भारी भरकम रकम चुकाकर डबल क्लिक को खरीद लिया और इस तरह नील गूगल का हिस्सा बन गए।पारिवारिक जीवन की बात करें तो नील मोहन के परिवार में माता-पिता के अलावा दो छोटे भाई कपिल मोहन और अनुज मोहन हैं।

नील की पत्नी का नाम हेमा सरीन मोहन है और वह समाज सेवा के कार्य से जुड़ी हैं। यूट्यूब में नील मोहन के शीर्ष पद पर पहुंचने की वजह रहीं कंपनी की अब तक मुख्य कार्यकारी अधिकारी रहीं सुजैन वोजित्स्की, जिन्होंने नौ साल तक इस पद को संभालने के बाद अपने परिवार, स्वास्थ्य और निजी जीवन पर ध्यान देने की बात कहकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया उन्होंने नील मोहन पर भरोसा जताया कि वह इस पद को बखूबी संभाल सकते हैं।