यहां रामेश्वर बाबा के नाम से विख्यात शिव मंदिर है। मंदि‍र 200 साल से ज्‍यादा पुराना बताया जाता है। खास बात यह है क‍ि मंद‍िर के दरवाजे क‍िसी के ल‍िए भी बंद नहीं हैं। यहां लगने वाला सालाना श‍िवरात्र‍ि का मेला इलाके में मशहूर है और ग्रामीण इसमें अहम भूम‍िका न‍िभाते हैं। गांव के मुसलमान इस मेले को सफल बनाने के लिए दिलो जान से जुटते हैं।

मंदिर का निर्माण दो सौ साल पहले हुआ था। मेला भी तभी से शुरू हो गया था। लेकिन मंदिर निर्माण का कार्य बाद में पूर्ण हुआ। प्रबंधन से जुड़े अजय शुक्ल ने बताया कि मंदिर के अंदर सजावट का सामान बेल्जियन और लैंप एवं अन्य चीजें कलकत्ता से लाई गई थीं बैलगाड़ियों पर। क्योंकि उस समय कोई ट्रेन नहीं होती थी। मंदिर के अंदर का रंग रोगन प्राकृतिक बेसिक कलर्स में हुआ है। उसी स्टाइल में जिसके लिए शेखावटी की हवेलियां मशहूर हैं। यह वह वक्त था जब सिंथेटिक कलर ईजाद नहीं हुए थे।

नंदना गांव में शिवरात्रि के अवसर पर कई समारोह होते हैं। इस बार एक नया कार्यक्रम भी शुरू क‍िया गया। सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का कार्यक्रम। मेला प्रबंधक अमित शुक्ल ने बताया कि कार्यक्रम का मकसद गांव में बच्चों को ज्ञान अर्जन के लिए प्रोत्साहित करना है।

यह प्रतियोगिता राजेश्वरी-दुर्गा की स्मृति में राम लखन जानकी मेला (नंदना) समिति के तत्वावधान में कराया गया। यह समिति पिछले दो सौ साल से नंदना गांव में शिवरात्रि के अवसर पर दो दिवसीय मेला और संगीत का आयोजन करा रही है।

सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में बालकृष्ण पांडेय ने पहला स्थान हासिल कर 10 हज़ार रुपए का नक़द पुरस्कार प्राप्त किया। दूसरे और तीसरे स्‍थान पर इकराम और कृष्ण सिंह रहे। उन्हें क्रमशः 5000 और 2100 का नक़द पुरस्कार मिला। दस बच्चों ने पांच-पांच सौ रुपए का सांत्वना पुरस्कार जीता।

पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन रविवार की रात मेला परिसर में सांस्कृतिक कार्यक्रम से पूर्व किया गया। पुरस्कार वितरण गांव के ही तीन समाजसेवियों के हाथों सर्वश्री डॉ राम सनेही त्रिपाठी, अब्दुल रऊफ खान और छेदा सिंह के हाथों संपन्न हुआ।