कल्पना लाजमी की ‘दर्मियान’ (1997) एक जन्मजात हिजड़े इमी और उसकी मां जीनत की कहानी थी। जीनत मशहूर अभिनेत्री थीं मगर छवि खराब न हो इसके लिए अपनी कोख से पैदा बेटे को जमाने के सामने अपना भाई बताती थीं। कल्पना ने 1993 में जब यह कहानी डिंपल कपाड़िया को सुनाई, तो वह तुरंत तैयार हो गर्इं। इमी की भूमिका के लिए परेश रावल ने भी हां कर दी थी। इसी दौरान हिजड़े की भूमिका पर ‘तमन्ना’ और ‘दायरा’ भी शुरू हो गई थी। महेश भट्ट ने ‘तमन्ना’ का प्रस्ताव परेश रावल को दिया, जो उन्होंने स्वीकार कर लिया। मजबूरी में लाजमी को परेश को भूलना पड़ा।

सैफ अली खान और अमृता सिंह ने खुद आगे आकर इस फिल्म में दिलचस्पी ली। मगर अमृता सिंह गर्भवती हो गर्इं और सैफ यह भूमिका करने की हिम्मत नहीं जुटा सके। 1994 की बरसात में जब फिल्म की शूटिंग शुरू होने वाली थी, डिंपल ने फोन कर कहा कि वह फिल्म में काम नहीं करेंगी। इससे लाजमी को झटका लगा क्योंकि डिंपल को एकमात्र राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था और वह था कल्पना लाजमी की 1993 की फिल्म ‘रुदाली’ के लिए। लाजमी ने रीना राय से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि वह नकारात्मक भूमिका नहीं करेंगी। अदाकारा रेखा ने सीधे तौर पर कह दिया कि वह नहीं चाहती कि उनके प्रशंसकों के दिमाग में उनकी जो इमेज है, वह तबाह हो जाए। तब मजबूरी में लाजमी ने फिल्म बंद कर दी।
1995 में अनुपम-किरण खेर का नाटक ‘सालगिरह’ देखने के बाद लाजमी ने किरण से कहा कि अगर उन्होंने फिल्म बंद नहीं की होती तो वह जरूर इसमें किरण को लेतीं। तब किरण ने कहा कि वह फिल्म में काम करेंगी और फिल्म में उनके बेटे की भूमिका के लिए शाहरुख खान को भी मना लेंगी। जाहिर है यह लाजमी के लिए बड़ी बात थी कि कोई स्टार उनकी फिल्म से जुड़े।

शाहरुख ने भी खुद फोन कर ‘दर्मियान’ में काम करने तैयारी दिखाई। लाजमी ने उन्हें कहानी सुनाई। मीडिया में शाहरुख खान ने इस फिल्म में काम करने संबंधी बयान देने शुरू कर दिए। मगर एक दिन कल्पना लाजमी ने मीडिया को एक पत्र जारी किया। 21 सितंबर, 1995 को लिखे इस पत्र में शाहरुख को संबोधित करते हुए कल्पना लाजमी ने कहा कि बीते छह महीने में शाहरुख के सेक्रेटरी अनवर ने तारीखें देने की ऐसी कोई पहल नहीं की, जिससे लाजमी आश्वस्त हों कि शाहरुख इस फिल्म में काम करना चाहते हैं। न तो शाहरुख उनसे मिलना चाहते हैं और न ही उनका फोन रिसीव करते हैं। लगातार देरी होने से ऊबी लाजमी ने पत्र में ‘दर्मियान’ के लिए अपने और शाहरुख के रास्ते अलग-अलग होने का एलान कर दिया।

पत्र के जवाब में शाहरुख खान ने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि इतनी अच्छी फिल्म उनके हाथ से निकल रही है क्योंकि वह तुरत फुरत 60 दिन की तारीखें नहीं दे सकते। प्राथमिकता के लिहाज से उनकी डेट डायरी में ‘दर्मियान’ पांचवें नबंर पर है। और यह भी कि वे फोन पर बात नहीं करते, यह बात सुभाष घई से लेकर यश चोपड़ा जैसे फिल्मकार भी जानते हैं। उस दौरान बड़े निर्माताओं की महंगी फिल्में कर रहे थे शाहरुख पर उनकी फिल्मों के निर्माताओं ने दबाव डालना शुरू कर दिया था कि अगर उन्होंने फिल्म में हिजड़े की भूमिका की तो इसका असर उनकी छवि के साथ-साथ सभी निर्माताओं की फिल्मों पर भी पड़ सकता है। इसी दबाव का असर था कि शाहरुख खान ने लाजमी को सितंबर, अक्तूबर नवंबर 1996 में 25 दिन और 1997 में 25 दिनों की तारीखें दी। जाहिर है लाजमी इतना इंतजार नहीं कर सकती थीं। शाहरुख के फिल्म छोड़ने के बाद यह भूमिका ‘चुनौती’ और ‘कैम्पस’ जैसे धारावाहिक कर चुके आरिफ जकारिया ने की, जो थियेटर और टीवी पर काम कर चुके थे।