एक दशक में जिस रफ्तार से भारत में मोबाइल इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ी है, उसे सूचना क्रांति के युग की शुरुआत के रूप में देखा जाता है। टेलीफोन और मोबाइल उपयोगकर्ताओं की संख्या के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है। इंटरनेट उपभोक्ताओं के मामले में अभी स्थिति मजबूत नहीं है। इस दिशा में लगातार प्रयास जारी हैं…
दूरसंचार अभियांत्रिक
इंजीनियरिंग की इस विधा में दूरसंचार के लिए उपयोगी तकनीकों और उपकरणों के विकास के लिए कार्य किया जाता है। इसमें दूरसंचार उपकरणों की डिजाइनिंग, विनिर्माण और नई प्रौद्योगिकी का विकास शामिल है।
अभियंता के कार्य
मुख्य कार्य होता है दूरसंचार सेटअप और प्रसारण प्रणाली का निर्माण करना और निगरानी के साथ उन्हें सुचारु रखना। एक दशक पहले तक यह कार्य तार आधारित होने के कारण कुछ मुश्किल भरा था। अब वायरलेस (रेडिया वेव्स, वाईफाई, वाइमैक्स) तकनीक और ऑप्टिल फाइबर केबल के इस्तेमाल से काफी बदलाव आ गया है। अभियंता के कार्य में अब किसी संस्थान के लिए वायरलेस टेक्नोलॉजी नेटवर्किंग तैयार करना, माइक्रोस्कोपिक प्रोसेसर और सर्किट डिजाइन करने का कार्य शामिल है।
कार्य के अवसर
उपग्रह, मोबाइल और इंटरनेट पर आधारित दूरसंचार की दुनिया में दूरसंचार अभियंता की काफी मांग है। ब्रॉडकास्ट और टेलीकॉम उपकरणों के निर्माण और सेवाओं के परिचालन से जुड़ी सरकारी क्षेत्र की कंपनियां और निजी कंपनियां प्रमुख रोजगार प्रदाता हैं। इसके अलावा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, रेलवे, पुलिस, सेना और शोध संस्थानों में बड़े पैमाने पर नियुक्तियों के मौके मिलते हैं।
योग्यता
डिप्लोमा पाठ्यक्रम
दूरसंचार अभियांत्रिकी में डिप्लोमा पाठ्यक्रम पॉलिटेक्निक संस्थानों और कुछ विश्वविद्यालयों में उपलब्ध हैं। इनमें दाखिले की न्यूनतम योग्यता 10वीं पास होना है। दसवीं तक के पाठ्यक्रम पर आधारित प्रवेश परीक्षा के माध्यम से इस पाठ्यक्रम में प्रवेश मिलता है।
स्नातक पाठ्यक्रम
विज्ञान विषयों (भौतिक और गणित जरूरी) के साथ बारहवीं पास करके इंजीनियरिंग की इस शाखा में प्रवेश लिया जा सकता है। इसके लिए राष्ट्र स्तरीय प्रवेश परीक्षाओं (जेईई-मेन और जेईई-एडवांस्ड) में शामिल होना होगा।
स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम
दूरसंचार या इससे संबंधित विषय में बीई/बीटेक करने के बाद स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में दाखिला लिया जा सकता है। आइआइटी वाले गेट के आधार पर देश के ज्यादातर संस्थान अपनी दाखिला प्रक्रिया पूरी करते हैं। पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम के लिए विषय में स्नातक डिग्री का होना ही काफी है।
मिलने वाले पद
इंबेडेड सॉफ्टवेयर इंजीनियर जीएसएम/ जीपीआरएस
नेटवर्क टेक्निकल सपोर्ट इंजीनियर/ टेक्निकल एनालिस्ट
आउटसाइड-प्लांट इंजीनियर
सीनियर डाटा प्लानिंग इंजीनियर
सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर-3जी सर्विस डेस्क इंजीनियर
टेलीकॉम उपकरण इंजीनियर
यहां है नौकरी
ब्रॉडकास्ट सर्विस प्रोवाइडर
वायरलेस टेलीकम्युनिकेशन कंपनी
इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर
रोड ट्रैफिक इंफॉर्मेटिक्स
कॉल सेंटर
सेटेलाइट टीवी कंपनी
मिलिट्री कम्युनिकेशन
टेलीकॉम उपकरण उद्योग
प्रमुख संस्थान
आइआइटी खड़गपुर
ट्रिपलआइटी, हैदराबाद
दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, दिल्ली, मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल<br />
मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद, हरकोर्ट बटलर प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
प्रमुख पाठ्यक्रम
डिप्लोमा इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग
डिप्लोमा इन टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग,
बीई/ बीटेक इन टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग
एमई/ एमटेक इन टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग,
एडवांस्ड पीजी डिप्लोमा इन टेलीकम्युनिकेशन
पीजी डिप्लोमा इन टेलीकम्युनिकेशन
