संयुक्त राज्य अमेरिका के संघीय चुनाव भारतीयों के लिए इस बार ज्यादा अहम रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस के दोनों सदनों यानी सीनेट और प्रतिनिधि सभा (हाउस आॅफ रिप्रजेंटेटिव्ज) में भारतीय मूल के पांच उम्मीदवार चुने गए हैं और दो मामूली अंतर से हारे हैं। कांग्रेस में भारतीय मूल के लोगों का यह अब तक का सबसे बड़ा प्रतिनिधित्व है। यह अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी समूह के मतदाताओं की बढ़ती ताकत का भी प्रतीक है। कूटनीतिक नजरिए से देखें तो कई मुद्दों खासकर आतंकवाद पर दोनों देशों की राय एक जैसी होने की वजह से भी अमेरिका और भारत के बीच अरसे से मैत्री-भाव देखा जा रहा है। पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अमेरिका गए तो वहां भारतीय मूल के लोगों ने उन्हें सिर-आंखों पर बिठाया था। नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड टंÑप ने भी अपने चुनाव प्रचार में भारतीय मूल के समूह को लुभाने के लिए आकर्षक जुमलों का इस्तेमाल किया। यूरोप और अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की बढ़ती संख्या और प्रभाव, बेशक हमारे लिए भी खुशी का एक अवसर कहा जाएगा। यह एक तरह से दुनिया के दूसरे हिस्से में भारतीय मेधा का सम्मान भी है। कमला हारिस भारतीय मूल की पहली सीनेटर बनी हैं, जो कि अमेरिकी प्रांत कैलिफोर्निया से जीती हैं।


दो बार अटार्नी जनरल रह चुकीं कमला की मां भारतीय और पिता जमैका मूल के हैं। उनके अलावा, चार और भारतीय-अमेरिकी जीते हैं, जो प्रतिनिधि सभा के लिए चुने गए हैं। अमी बेरा कैलिफोर्निया, राजा कृष्णमूर्ति शिकागो, प्रमिला जयपाल वाशिंगटन और रो खन्ना कैलिफोर्निया चुनाव क्षेत्र से विजयी हुए हैं। कमला हारिस निवर्तमान राष्ट्रपति के विश्वासपात्रों में मानी जाती हैं। दिल्ली के एक तमिल परिवार से ताल्लुक रखने वाले कृष्णमूर्ति भी ओबामा के करीबी रहे हैं। मलयाली प्रमिला जयपाल प्रतिनिधि सभा में पहली भारतीय-अमेरिकी सांसद बनी हैं। ये तीनों- कमला हारिस, कृष्णमूर्ति और प्रमिला जयपाल – डेमोक्रेटिक पार्टी से संबंध रखते हैं। जयपाल ने जीत के बाद अपने बयान में कहा है, हमें सामाजिक न्याय के लिए अपूर्व लड़ाई लड़नी होगी। रो खन्ना की जीत में सिलिकॉन वैली के भारतीय मूल के लोगों का योगदान रहा है। उनके चुनाव क्षेत्र में ही एप्पल, टेस्ला और इ-बे जैसी आईटी कंपनियों के मुख्यालय हैं। अमी बेरा की पहचान तो पहले से ही भारत-मित्र के तौर पर बनी हुई है। वे तीसरी बार सदन के लिए चुने गए हैं।
अमेरिका का चुनाव जिस और वजह से भारत से जोड़ कर देखा जा रहा है वह है नवनिर्वाचित राष्ट्रपति और भारतीय प्रधानमंत्री की नीतियां और कार्यशैली। डोनाल्ड ट्रंप बार-बार आतंकवाद को अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते रहे हैं। मोदी भी हर अंतराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद को लेकर अपनी चिंता साझा करते रहे हैं। ऐसे में अगर ट्रंप का साथ भारत को मिलता है तो उम्मीद की जानी चाहिए कि इस मसले पर काफी कुछ सकारात्मक हो सकता है। इसके अलावा जुनूनी स्वभाव, त्वरित