पठानकोट के एयरबेस पर हुआ आतंकी हमला भारत और पाकिस्‍तान दोनों देश के प्रधानमंत्रियों के लिए बड़ा टेस्‍ट साबित होने वाला है। इंडियन पीएम नरेंद्र मोदी ने 25 दिसंबर को लाहौर आ नवाज शरीफ से मुलाकात करके एक बड़ी पहल की। दोनों शांति प्रक्रिया को नए तरीके से शुरू करने के लिए रजामंद हुए। दोनों के बीच शांति प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने वाले खतरों पर भी चर्चा हुई। दोनों ने एक दूसरे को भरोसा दिलाया कि भारत या पाकिस्‍तान पर किसी तरह का हमला होने की स्‍थिति में वे बातचीत को पटरी से नहीं उतरने देंगे। साथ ही बिना किसी सबूत एक दूसरे पर कोई आरोप नहीं मढ़ेंगे। जैसा सोचा था, वही हुआ। लाहौर मीटिंग के कुछ दिन बाद ही पठानकोट पर हमला हुआ और इसके साथ ही दोनों प्रधानमंत्रियों का असली टेस्‍ट शुरू हो गया। भारत ने कुछ पाकिस्‍तानियों को इस हमले के लिए जिम्‍मेदार ठहराया, लेकिन पाक सरकार पर कोई दोष नहीं मढ़ा। वहीं, पाकिस्‍तान ने न केवल इस हमले की निंदा की, बल्‍क‍ि इसे शांति प्रक्रिया के खिलाफ एक साजिश भी करार दिया। पिछली बार के उलट, दोनों ही तरफ से कोई बयानबाजी नहीं हुई।
पांच जनवरी की शाम मोदी ने नवाज शरीफ को फोन करके साफ साफ कहा कि वे अगले कुछ घंटों में हमले के मास्‍टरमाइंडों के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं। नवाज ने बताया कि वे पाक में नहीं, बल्‍क‍ि श्रीलंका में हैं और वापस लौटकर ही कोई ठोस कदम उठा सकते हैं। उन्‍होंने भारत सरकार की ओर से बिना किसी सबूत पाक सरकार पर दोषारोपण न करने को लेकर दिखाई गई परिपक्‍वता की भी तारीफ की। अगले दिन, पाकिस्‍तान के आर्मी चीफ राहिल शरीफ ने सेना के अधिकारियों के साथ रावलपिंडी में बैठक की। यहां इस बात पर जोर दिया गया कि आतंकियों के खिलाफ जरा सी भी नरमी नहीं बरती जाएगी। नवाज 6 जनवरी की शाम को इस्‍लामाबाद पहुंचे। इसके अगले दिन, उन्‍होंने सभी संबंधित अधिकारियों से कहा कि वे भारत की ओर से दी गई जानकारियों की जांच करें और एक्‍शन लें। लाहौर के विश्‍वनीय सूत्रों ने बताया कि पाकिस्‍तान की पंजाब पुलिस और कुछ सुरक्षा एजेंट ने प्रांत के दक्षिणी प्रांत में कुछ छापे भी मारे। इस छापों को प्रतिबंधित संगठन जैश ए मोहम्‍मद को ध्‍यान में रखकर मारा गया। अगले कुछ दिन में पाकिस्‍तान की ओर से कोई बड़ा एलान हो सकता है। हालांकि, इसके पहले पाकिस्‍तान भारत की ओर से दिए गए सबूतों की जांच करेगा।

भारतीय मीडिया में पठानकोट हमलों को लेकर बहुत सारे सवाल पूछे जा रहे हैं। भारत मीडिया पाकिस्‍तान को लगातार कोस रही है। हालांकि, भारतीय पीएम ने नवाज शरीफ को यह कह रखा है कि वे टीवी की हेडलाइंस देखकर कोई नीति न बनाएं। नवाज को भी भारतीय टीवी चैनलों के उन आरोपों की ज्‍यादा चिंता नहीं है, जिसके मुताबिक, पाकिस्‍तान भारत के साथ डबल गेम खेल रहा है। उनका मानना है कि भारतीय पीएम को इंडियन मीडिया का ख्‍याल रखना चाहिए। वह उन लोगों के खिलाफ एक्‍शन लेने के लिए प्रति‍बद्ध हैं, जिन्‍होंने पाकिस्‍तानी जमीन का इस्‍तेमाल करके दोनों देशों के बीच शांति प्रक्रिया को पटरी से उतारने की कोशिश की है।

नवाज यह बात अच्‍छे से जानते हैं कि अगर पठानकोट हमले के मास्‍टरमाइंड के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो मध्‍य जनवरी में दोनों देशों के बीच विदेश सचिव स्‍तर की बातचीत शुरू होना मुश्‍किल है। कुछ हितैषियों ने नवाज को चेतावनी दी है कि वे पूरी तरह आंख मूदकर उन लोगों पर कार्रवाई न करे, जिनपर भारत ने आरोप लगाए हैं। पाकिस्‍तानी पीएम ने यह साफ कर दिया है कि बिना जांच के इस मामले में कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि, अगर भारत की दी गई जानकारी सही मिली तो दोषियों के साथ भारत के दुश्‍मन जैसा नहीं, बल्‍क‍ि पाकिस्‍तान के दुश्‍मन जैसा सलूक किया जाएगा।
पीएम के नजदीकी सूत्र बताते हैं कि पठानकोट मामले में आने वाले कुछ दिनों में बड़ी उपलब्‍ध‍ि मिल सकती है। जो भी होगा, उससे दोनों देशों का राजनीतिक माहौल बदल जाएगा। हालांकि, माहौल बदलने की यह प्रक्रिया पिछले साल पेरिस से शुरू हो गई थी। इसके बाद, मोदी की लाहौर यात्रा ने इसमें और रंग भर दिए। हालांकि, पठानकोट हमले की वजह से दोनों ही देश के पीएम शर्मिंदा हैं। पाकिस्‍तान में नवाज शरीफ के कुछ आलोचक सोचते हैं कि पीएम भारत को किसी भी हाल में संतुष्‍ट नहीं कर सकते। अगर पाक सरकार किसी को गिरफ्तार करती है तो इंडिया तुरंत ट्रायल की मांग करेगा। पाकिस्‍तान के कमजोर लीगल सिस्‍टम की वजह से उसे कोर्ट में किसी को तुरंत दोषी साबित करना बेहद मुश्‍क‍िल है। नवाज को यह भी सुझाव दिए गए कि आरोपियों का ट्रायल हाल ही में स्‍थापित किए गए मिलिट्री कोर्ट में किया जाए। पीएम ने संबंधित अधिकारियेां को निर्देश दिए हैं कि वे उन सभी कानूनों की समीक्षा करें, जिसके जरिए दोषियों को जल्‍द से जल्‍द सजा दिलाई जा सके।

दोनों देशों के नेशनल सिक्‍युरिटी एडवाइजर्स बीते कुछ हफ्तों से एक दूसरे के संपर्क में हैं। दोनों के बीच अहम जानकारियों का आदान प्रदान हो रहा है। हालांकि, ये क्‍या जानकारियां हैं, यह मीडिया में साझा नहीं किया जा रहा। दोनों की इस मामले में तारीफ की जानी चाहिए क्‍योंकि इस वजह से दोनों देशों के बीच उच्‍च स्‍तरीय भरोसा कायम हुआ है। दोनों एनएसए के बीच बैंकॉक में हुई चार घंटे की बैठक भारत और पाकिस्‍तान के बीच एक नए लेवल की डिप्‍लोमेसी की शुरुआत है। शायद इसलिए ही मोदी जब नवाज शरीफ से मिलने लाहौर आए तो उन्‍होंने पाक एनएसए नासिर जांजुआ की तारीफ की। इसी तरह से नवाज ने भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज से मुलाकात में उनके एनएसए अजीत डोभाल की तारीफ की।

नवाज शरीफ और नरेंद्र मोदी को मिलने के लिए किसी सज्‍जन जिंदल या टेलिफोन पर बातचीत की जरूरत नहीं है। दोनों ही अपने एनएसए के जरिए सफलतापूर्वक अपना काम कर रहे हैं। दोनों एनएसए की ओर से उठाए जा रहे जमीनी कदमों की वजह से प्रधानमंत्रियों को भी कुछ नए कदम उठाने का स्‍पेस मिला है। नवाज शरीफ अब पठानकोट हमले को खुद के लिए सीधी चुनौती के तौर पर देख रहे हैं। उन्‍होंने स्‍थानीय हालात पता हैं, लेकिन यह भी भरोसा है कि अगर आरोपियों के खिलापु ठोस सबूत मिले तो विपक्षी पार्टियां भी उनका साथ देंगी।

पाकिस्‍तान भारत के लिए दुखद साबित होता रहा है। यह पाकिस्‍तान के सामने बेहद अहम मौका है, जब वो कुछ ठोस कदम उठाकर भारतीय जनता का दिल जीत ले। भारत के सामने एक बार विश्‍वनीय छवि बनने के बाद नवाज शरीफ भी मोदी से कश्‍मीर मुद्दे पर मदद मांग पाएंगे। अगर ये दोनों पठानकोट जैसे मुश्‍क‍िल इम्‍त‍िहान को पास कर लेते हैं तो वे कश्‍मीर जैसी कुछ दूसरी कड़ी चुनौतियों के लिए भी निश्‍च‍ित तौर पर खुद को तैयार कर पाएंगे। पठानकोट एक शुरुआत है और कश्‍मीर इसका अंत साबित हो सकता है।

लेखक पाकिस्‍तान के जियो टीवी के एग्‍जीक्‍यूटिव एडिटर हैं।