सेवा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान करीब 14 प्रतिशत घटकर 63.6 करोड़ डॉलर (4,036 करोड़ रुपये) रहा।

औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल अप्रैल-जून के दौरान सेवा क्षेत्र में एफडीआई 73.8 करोड़ डॉलर (4,421 करोड़ रुपये) रहा था। सेवा क्षेत्र में बैंक, बीमा, आउटसोर्सिंग, शोध एवं विकास, कुरियर तथा प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण शामिल हैं।

सेवा क्षेत्र का देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 60 प्रतिशत योगदान है। वित्त वर्ष 2013-14 में क्षेत्र में विदेशी निवेश बढ़कर 3.25 अरब डॉलर हो गया जो 2012-13 में 2.22 अरब डॉलर था। एक अधिकारी ने कहा कि आने वाले महीनों में क्षेत्र में एफडीआई बढ़ने की संभावना है क्योंकि सरकार ने बीमा तथा अन्य क्षेत्रों में निवेश के नियमों में ढील दी है।

जिन अन्य क्षेत्रों में चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में विदेशी निवेश में गिरावट दर्ज की गयी है, उसमें निर्माण क्षेत्र, दूरसंचार, औषधि तथा मेटालर्जिकल उद्योग शामिल हैं।

हालांकि मौजूदा वित्त वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही में अप्रैल-जून में कुल एफडीआई 31 प्रतिशत बढ़कर 9.50 अरब डॉलर रहा। कंप्यूटर साफ्टवेयर तथा हार्डवेयर, ट्रेडिंग, वाहन एवं बिजली क्षेत्र में अधिक निवेश से एफडीआई में वृद्धि हुई।