निर्भय कुमार पांडेय

मथुरा के गोवर्धन से महिलाओं का एक समूह सोमवार को चिल्ला बॉर्डर पर आंदोलन का समर्थन करने के लिए पहुंचा। इसके साथ ही गाजियाबाद और अलीगढ़ से किसानों के समर्थन देने के लिए किसान 50-60 की संख्या में पहुंचे हैं। गोवर्धन से आई शकुंतला ने कहा कि वह किसानों को समर्थन देने के लिए आई हैं। उन्होंने बच्चों को घर में ही छोड़ दिया है। बच्चे छोटे हैं। यदि बड़े होते तो साथ लेकर आतीं। शकुंतला ने कहा कि बच्चों के भविष्य की चिंता है। इस कारण आंदोलन में शामिल होने के लिए आर्इं हैं। उनका वक्त निकल चुका है।

आने वाले वक्त में उनके बच्चों का भविष्य ही सुरक्षित नहीं रहेगा तो वह क्या कर सकेंगी। अभी समय है। वहीं, गाजियाबाद से आई 14 साल की खुशबू ने कहा कि कानून के बारे में ज्यादा जानकारी तो नहीं है। पर उनके पिता ने कहा कि यदि यह कानून आ गया तो खेती-बाड़ी करने वाले किसान मजदूर बन जाएंगे। खशुबू ने कहा कि वह नहीं चाहती कि भविष्य में अपने ही खेतों में मजदूरी करें। इसलिए वह आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन के लिए चिल्ला बॉर्डर पर पहुंची हैं। वहीं, अलीगढ़ से आए किसान श्रवण कुमार बघेल ने कहा कि भारतीय किसान यूनियन ‘भाून’ के पदाधिकारी और संगठन से जुड़ किसान चिल्ला बॉर्डर पर डटे हुए हैं।

सरकार ने वार्ता के लिए बुलाया भी था, लेकिन उस वार्ता का क्या फायदा, जो शर्तों के साथ की जाए। गाजियाबाद के बम्हैटा गांव से आए सतपाल यादव ने कहा कि इससे पहले भी कानून बनते रहे हैं, लेकिन किसानों का इतना व्यापक विरोध कभी नहीं हुआ। अब तो सरकार को तय करना है कि यह आंदोलन कितने और दिनों तक चलेगा। सरकार कानून वापस ले ले। किसान अपने घरों को चले जाएंगे।